
अपनों के बीच त्यौहार का मजा..... स्वास्थ्य की दृष्टि से देखूँ तो वर्ष 2017 मेरे लिए बहुत खराब साल रहा, हालांकि जय भी उसी साल हुए। यह उनकी पहली दीवाली थी पर उस समय मेरी देह इतनी अशक्त थी कि कुछ भी करने का दिल न करता। मन क्लान्त रहता। ठीक होने की कोई उम्मीद ही न दिखती, फिर भी मैंने मन को समझाया-बुझाया, घर द्वार को सजाया कि बच्चों के लिए त्योहार की अनुभूति बनी रहें और वे इनके महत्व को समझें। मेरे कारण या किसी भी और कारण से उनके बचपन की स्मृतियाँ बनने से पहले ही नष्ट न हो जाएं। त्योहार यूँ भी सुन्दर होते हैं चूँकि व्यक्ति अपना अगला पिछला सब कुछ समय के लिए भुला कर उनमें जुट जाता है। उस साल की दीवाली की अपनी तस्वीरें देखकर आज खुद पर इसलिए भी थोड़ा सा रीझना बनता है कि देख मिनी मैंने उस वक्त भी हार नहीं मानी। खैर, अभी दो दिन पहले ही दीवाली पर दोस्तों, रिश्तेदारों को मिठाई देने जाने के क्रम में मैं और मेरे पति एक सज्जन के घर गए हुए थे। वे दोनों पति-पत्नी घर पर ही मिले। दीवाली की कोई सजावट उनके द्वार पर हमने नहीं देखी, पर चूँकि अभी समय था सो उस वक्त बहुत ध्यान नहीं दिया। बातचीत के दौ...