स्कूटर और मोटरसाइकिल से सैकड़ों क्विंटल अनाज की सप्लाई



सीएजी की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा, मध्यप्रदेश में पोषण आहार घोटाला

भोपाल । मध्यप्रदेश में बच्चों के पोषण आहार के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट ने इस भ्रष्टाचार के खेल का पर्दाफाश कर दिया है। सरकार द्वारा स्कूली बच्चों और आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए जारी 2,000 करोड़ रुपये का बजट भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस घोटाले में परिवहन विभाग भी संलिप्त है। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, पोषण आहार की आपूर्ति के लिए जिन वाहनों का उपयोग दिखाया गया, वे असल में स्कूटर और मोटरसाइकिल निकले। इन दोपहिया वाहनों से सैकड़ों क्विंटल अनाज की ढुलाई के फर्जी बिल बनाए गए, जबकि जांच में ये वाहन कबाड़ में पड़े मिले या सड़कों पर चलने लायक भी नहीं थे।

बच्चों के निवाले पर डाका: 2,000 करोड़ का पोषण घोटाला

प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने बताया कि मध्यान्ह भोजन और आंगनबाड़ी पोषण योजना के तहत प्रदेश के 1.09 करोड़ बच्चों को भोजन उपलब्ध कराने की योजना थी। लेकिन हकीकत में बच्चों तक सही मात्रा में पोषण नहीं पहुंचा। रिपोर्ट में सामने आया कि स्कूल न जाने वाले और मृत बच्चों के नाम पर भी राशन निकाला गया। भोजन आपूर्ति में 40% गड़बड़ी, लाखों बच्चों तक सही पोषण नहीं पहुंचा।  खराब गुणवत्ता का खाना दिया गया, जिससे कई बच्चों की तबीयत बिगड़ी।
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, 110 करोड़ रुपये के परिवहन घोटाले में स्कूटर और बाइक से सैकड़ों क्विंटल अनाज भेजने का दावा किया गया। इन वाहनों के नंबरों की जांच की गई तो वे पुराने और अनुपयोगी निकले। कुछ वाहन तो वर्कशॉप में पड़े मिले, लेकिन कागजों में उनसे हजारों किलो अनाज ढोया जा रहा था।

भ्रष्टाचार का 'पुरस्कार' भी ले गई सरकार 

इतना बड़ा घोटाला करने के बाद भी प्रदेश सरकार ने खुद को सफल बताकर 201 करोड़ रुपये का पुरस्कार भी हासिल कर लिया। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पुरस्कार हासिल करने के लिए फर्जी आंकड़े पेश किए गए।

मध्यप्रदेश: कुपोषण में नंबर 1, फिर भी बच्चों के अनाज पर डाका

भारत पहले ही कुपोषण के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर है, और मध्यप्रदेश देश में कुपोषण का गढ़ बना हुआ है। बावजूद इसके, बच्चों के पोषण के लिए जारी किया गया फंड भ्रष्टाचारियों की जेब में चला गया।

बड़ा सवाल: होगी कार्रवाई या दब जाएगा मामला?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस घोटाले के दोषियों पर कोई कड़ी कार्रवाई होगी? क्या मासूम बच्चों के हिस्से का भोजन हड़पने वालों को सजा मिलेगी? या फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा? जनता सरकार से जवाब मांग रही है—क्या भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसा जाएगा, या फिर पोषण आहार योजना केवल एक और घोटाले की कहानी बनकर रह जाएगी?
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