शिवराज और भार्गव में नेतृत्व को लेकर प्रतिस्पर्धा : शोभा ओझा


दोनों नेताओं ने संसदीय परंपरा का उल्लंघन किया 


भोपाल । मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी, मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने आज भोपाल में जारी एक बयान में बताया कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव के बीच में नेतृत्व को लेकर प्रतिस्पर्धा और अस्तित्व बचाने का संघर्ष चल रहा है। सत्ता चले जाने के बाद मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए शिवराज और भार्गव दोनों ही हर समय लालायित रहते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण 17 जुलाई को विधानसभा के भीतर देखने को मिला। दोनों नेताओं सहित भाजपा विधायकों ने कानून व्यवस्था को लेकर अविलंबनीय लोक महत्व के विषय के जरिये सदन में चर्चा कराये जाने की बात बार-बार कही और यह सब, उस दौरान किया, जब माननीय विधायकों के लिए निर्धारित प्रश्नकाल चल रहा था। श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि सामान्यतः बजट पर चर्चा के दौरान सदन में स्थगन प्रस्तावों के लिए अनुमति नहीं दी जाती है क्योंकि इस चर्चा के दौरान सदस्यों को सभा का ध्यान आकर्षित करने के लिए पर्याप्त अवसर मिल जाते हैं।श्रीमती ओझा ने यह भी कहा कि संसदीय पद्धति और प्रक्रिया, जिसको कि स्वयं शिवराज सिंह चौहान और सभी विधायक अपने लिये "गीता" मानते हैं, इसके बावजूद भी शिवराज सिंह चैहान और गोपाल भार्गव ने मान्य परंपराओं का उल्लघंन किया है। ओझा ने अपने बयान में आगे कहा कि भाजपा विधायकों और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 17 जुलाई  को प्रश्नकाल में जो व्यवधान किया और जिसके कारण महत्वपूर्ण प्रश्नकाल बाधित हुआ, उससे कई जनकल्याणकारी विषय सदन में माननीय सदस्यों द्वारा नहीं उठाए जा सके, इससे प्रदेश की प्रगति, हितों और विकास के संदर्भ में भाजपा और उसके नेताओं की वास्तविक सोच उजागर हो गई है। श्रीमती ओझा ने अपने बयान में कहा कि भाजपा की पूर्ववर्ती सरकार के मंत्री और विधायक पंद्रह वर्षों तक सदन में जब कांग्रेस के विधायकों को नसीहत और नियम प्रक्रिया का हवाला देते थे, वे ही अब मान्य संसदीय परंपराओं का न केवल उल्लघंन कर रहे है, बल्कि अपना वास्तविक चाल, चरित्र और चेहरा भी जनता के सामने दर्शा रहे हैं।


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