टाइगर स्टेट का दर्जा मिलते ही खत्म होने लगे बाघ


एक सप्ताह में हुई तीसरे बाघ की मौत से विभाग में मचा हड़कंप, व्यवस्था पर उठ रहे सवाल


राहुल सिंह राणा
शहडोल। अर्से बाद प्रदेश को मिले टाइगर स्टेट के दर्जे पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। टाइगर स्टेट का दर्जा मिले महज चंद दिन ही हुए हैं और एक के बाद एक 3 बाघ की मौत ने व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश के शहडोल सम्भागफ़ अंतर्गत उमरिया जिले के बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (टाइगर रिजर्व) से सटे तहसील पाली ऑस्ट्रेलिया के ग्राम पहाड़िया मड़वा के बीट क्रमांक 214 जो घुनघुटी रेंज में आता है, में एक बाघ का शिकार हो गया है। यह क्षेत्र राष्ट्रीय उद्यान से लगभग सटा हुआ है । यहां 30 जुलाई को करीब 11 बजे एक बाघ शावक की मौत होने की जानकारी मिली। मप्र को टाइगर स्टेट दर्जा भले ही मिल गया हे लेकिन बांधवगढ़ में बाघों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दो दिन पहले बांधवगढ़ में एक बाघिन और शावक के मौत की जांच चल ही रही थी कि एक और शावक की मौत ने वन विभाग की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। पाली के घुनघुटी मझगवां पहडिय़ा में मंगलवार को एक बाघ शावक का शव मिला है। बाघ की उम्र लगभग डेढ़ साल आंकी जा रही है। बताया गया कि घुनघुटी पाली में पिछले काफी दिन से बाघिन और शावक का मूवमेंट था। बताया गया कि शावक को दूसरे बाघ ने हमला करके मौत के घाट उतार दिया है। शावक की मौत के बाद रातभर बाघिन का आसपास ही मूवमेंट था। मौत के बाद वन विभाग के अफसर तो जंगल पहुंच गए लेकिन मां शावक के शव के आसपास ही रही। दूसरे दिन बुधवार को डॉग स्क्वाड की टीम ने भी पड़ताल की। अधिकारी बाघ के हमले से शावक की मौत बता रहे हैं। बताया गया कि शावक बाघिन के साथ घुनघुटी में था तभी एक दूसरे बाघ ने हमला कर दिया। घटनास्थल के आसपास बाघ के कई पदचिंह के साथ ही आपसी संघर्ष होने के साक्ष्य भी मिले हैं। एसडीओ राहुल मिश्रा सहित कई अधिकारियों ने पहुंचकर पीएम कराते हुए अंतिम संस्कार करा दिया है। गौरतलब है कि दो दिन पहले ही बांधवगढ़ के कल्लवाह रेंज में बाघिन और शावक को खुद की टेरिटरी से भटककर पहुंचे एक बाघ ने हमला कर दिया था। बढ़ती बाघों की संख्या के बीच अब सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल उठ रहा है। बांधवगढ़ के बाहर शहडोल और उमरिया के जंगलों में लगभग 20 बाघों का मूवमेंट है। इससे ग्रामीण और बाघ दोनों को खतरा है। गौरतलब है कि पिछले चार साल में मध्यप्रदेश में 218 बाघों की बढ़ोतरी के साथ इनकी संख्या 526 बताई गई और प्रदेश ने टाइगर स्टेट का दर्जा फिर हासिल कर लिया है। पिछली दो गणना में सबसे ज्यादा टाइगर वाले कर्नाटक में इस बार दो बाघ कम मिले और बाघों की गिनती में वह दूसरे नंबर पर रहा था।


डॉक्टरों की टीम ने किया पोस्टमार्टम


मृत बाघ शावक का पंचनामा डॉ डीपी दुबे, डॉ हिमांशु जोशी तथा नितिन गुप्ता द्वारा किया जाकर  बाघ शावक का विसरा लेकर सागर, जबलपुर और हैदराबाद भेजने की प्रक्रिया की गई। 


वर्चस्व की लड़ाई हुई मौत


रेंज के एसडीओ राहुल मिश्रा ने बताया कि बाघ की हमले में शावक की मौत हो गई। शावक एक साल का बताया जा रहा है। मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलने के बाद बाघ की ये तीसरी मौत है। दो दिन पहले भी उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में टी 62 बाघिन और उसके एक शावक की मौत हो गई थी। वन विभाग के अधिकारी इस बाघिन और शावक की मौत के पीछ टी 33 बाघ को देख रहे हैं। ये मौत भी बाघों की वर्चस्व की लड़ाई में हुई थी। 


एक साल में 23 बाघों की मौत


आंकड़ों के मुताबिक 1 अक्टूबर 2018 से 27 जून 2019 तक मध्य प्रदेश में 23 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से 3 बाघों की मौत शिकार की वजह से हुई जबकि 5 बाघों की मौत करंट लगने से हुई है। बाकी के बाघों की मौत आपसी लड़ाई या फिर प्राकृतिक कारणों से हुई।


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