गलत के खिलाफ महिलाओं को उठानी चाहिए आवाज

घरेलू हिंसा हमारे समाज में प्राचीन काल से ही विद्यमान है। प्रतिदिन देश निरंतर प्रगति कर रहा है लेकिन महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा में कोई कमी नहीं आई है। आज भी महिलाओं की स्थिति बहुत ही दयनीय है। बचपन से ही महिलाओं के उपर उनके परिवारजन और रिश्तेदारों द्वारा अत्याचार शुरू कर दिए जाते हैं। जब वह पैदा होती है तो उन्हें ताने दिए जाते हैं और प्रताड़ित किया जाता है।घरेलू हिंसा के अंतर्गत महिला से मार पीट, उससे जबरदस्ती और किसी भी प्रकार का दबाव बनाना आता है जो कि परिवार के किसी सदस्य या फिर रिश्तेदार के द्वारा किया जाता है। घरेलू हिंसा में महिला का शारीरिक और मानसिक रूप से शोषण किया जाता है। बहुत से लोग महिलाओं के साथ अत्याचार दहेज के लालच में करते हैं और इस अपराध को करने में पढ़े लिखे लोग भी पीछे नहीं रहते हैं। घरेलू हिंसा को बढ़ावा देने में स्वयं महिलाएँ भी जिम्मेवार है क्योंकि वह इसके खिलाफ कुछ नहीं करती है बल्कि खुद को ऐसे ही माहोल्ल में ढालने की को कोशिश करती है जिसके परिणामस्वरूप वह एक दिन अपनी जिंदगी गँवा बैठती है।


महिलाओं को चाहिए कि वह गलत के खिलाफ आवाज उठाए और उनके साथ गलत होने से रोकें। लोगों को भी अपनी सोच को बदलना होगा कि अपनी बहुओं को प्रताड़ित न करें क्योंकि यदि उनकी बेटी किसी के घर की बहू बनेगी तो उस पर भी ऐसे ही अत्याचार किया जाऐगा। सरकार ने भी घरेलू हिंसा रोकने के लिए कानून बनाया है और अन्य उचित कदम भी उठाए गए हैं। हम सबको भी घरेलू हिंसा को रोकने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। यदि कहीं किसी महिला पर अत्याचार हो रहा है तो उसकी सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए ताकि पुलिस जल्दी से जल्दी मामले का पता लगाकर घरेलू हिंसा को रोक सकें।


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(एडवोकेट ममता वशिष्ठ)
लेखिका राजस्थान महिला कांग्रेस की प्रदेश महासचिव हैं।


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