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वरिष्ठ साहित्यकार मधु सक्सेना का व्यंग्य-कथा

व्यंग्य........…|| कथा || 


मधु सक्सेना/रायपुर


एक बार की बात है .....नेमिषयारण्य में संतों का समागम हुआ।दूर दूर से सन्त और उनके चेले -चपाटे वहां एकत्रित हुए। उचित समय जानकर कुछ दुखी सुंदरियों ने आपस में सलाह करके एकत्रित होकर , जिनमे कई विभागों के अधिकारियों की और बड़े व्यपारियों की पत्नियां शामिल थी, सूत जी से अपनी समस्या कही कि - " हे प्रभु! हम स्त्रियां घर मे रहकर ऊब जाती है । हमारे पतियों को हमारे लिए समय नही....कभी आफिस तो कभी साइड पर । कभी मंत्री का दौरा तो कभी बड़े अफसरों का आगमन । हम बेचारी घर मे पड़ी पड़ी दुखी रहती है और ऊब जाती है तो तनाव होता है .. तो कोई ऐसा उपाय बताएं कि हम सब सुखी हो, खुश रहें ।
सूत जी ने आशीर्वाद दिया । वे सुमुखियाँ पुनः कहने लगी -
"हे महात्मन ...... पति की खुशी और लम्बी उम्र के लिए तो बहुत उपाय, व्रत, उपवास पूजन इत्यादि है पर हम स्त्रियों की खुशी के लिए कोई व्रत, उपवास, पूजन अनुष्ठान आदि कोई कुछ करता भी नही और कुछ है भी नही । अतः हे ऋषिवर हमे राह सुझाइए।" सूत जी ने गम्भीरता से चिन्तन किया।अन्य ऋषियों से सलाह ली । काग भुषण्ड जी को भी बुला भेजा । आठ दिन तक चली इस गम्भीर समस्या पर चिंतन हुआ। सबका अपना अपना मत । कोई ठोस उपाय नही सूझा तो सरस्वती माँ से प्रार्थना की गई । सब ऋषियों ने 16 दिन तक तपस्या की । तब माँ सरस्वती ने प्रगट होकर ऋषियों की समस्या सुनी । सुनकर उनकी आँखों मे आँसू आ गए । उन स्त्रियों का दुख दूर करने के लिए माता सरस्वती ने क्लब देवी का आह्वान किया । क्लब देवी ने प्रकट के होकर माता को प्रणाम किया । माता ने भरे गले से पृथ्वी लोक की स्त्रियों का दुख बताया और क्लब देवी को आज्ञा दी और कहा कि -हे बहन ...पृथ्वी पर जाओ और उन दुखी स्त्रियों को सुखी करो।
सरस्वती माता की आज्ञा से क्लब देवी ने अपने अनुष्ठान और व्रत का उपाय सूत जी को बताया कि ....".कोई एक या दो या इससे भी ज्यादा स्त्रियां मिल कर ये अनुष्ठान करे । उसमे अन्य स्त्रियों को आमंत्रित करें । सब स्त्रियां मिलकर किसी के घर या होटल में एकत्रित हो जाये। सब पैसा इकठ्ठा कर हाउजी नामक अंको के खेल का आनन्द ले । नम्बर के मंत्रों का जाप भी हों जायेगा । ताश या अन्य खेल भी खेले जा सकते है । खाने पीने का भरपूर इंतज़ाम हो । एक दूसरे के कपड़ो और जेवरों पर नज़र रखे । उनके दाम पूंछे । एक दूसरे की तारीफ करें । पीठ पीछे बुराई करने का भी अलग ही आनन्द है । कभी-कभी विवाद की आरती भी की जाय ।
परिवार की बात भी की जा सकती है । कभी गीत, संगीत, नृत्य आदि का भी कार्यक्रम रखा जा सकता है । अगर किसी की मदद करे क्लब की तरफ से ...तो फोटो अखबार में देना न भूलें । कभी-कभी एक से कपड़े पहनने का नियम भी बनाया जा सकता है । त्योहार मनाने का भी अच्छा साधन है। उपहारों का लेनदेन भी सम्भव है । कभी-कभी नानवेज बात भी करें । चेहरे की लालिमा बनी रहेगी । क्लब की स्त्रियां परस्पर सहमति से कोई भी नियम बना सकती है उससे क्लब देवी को अतिरिक्त प्रसन्नता होगी और वे ज्यादा आनन्द प्रदान करेगी । इस प्रकार सूत जी ने क्लब देवी के बताए अनुसार अनुष्ठान से उन स्त्रियों को अवगत कराया । उन स्त्रियों ने श्रद्धा पूर्वक अनुष्ठान किया और प्रसन्नता पूर्वक अपने गृह को चली गई । पति के आने पर चुप रहने वाली स्त्रियों के पास भी बताने के लिए बहुत से समाचार थे अब .....और पति को सुनना ही पड़ेगा ।


इस अनुष्ठान की सरलता और सहजता देखकर बहुत सी स्त्रियां इस अनुष्ठान में शामिल होने लगी । जगह-जगह कई क्लब खुल गए । हज़ारो सुंदर -असुंदर, गरीब- अमीर सब स्त्रियों ने अपनी सुविधा और औकात के अनुसार क्लब बनाये । कहीं इसे किटी कहा या कहीं बीसी । सब इसी क्लब रूपी अनुष्ठान के ही रूप है । इसकी प्रसिद्धि का अंदाज़ इस बात से लगाया जा सकता हैं कि काम वाली बाइयाँ भी अब ये अनुष्ठान करती है और आनन्दित होती है । स्त्रियों को ये अनुष्ठान बहुत भाता है । न तो हरतालिका तीज या करवा चौथ की तरह भूखा प्यास रहना होता है, न छठ की तरह कठिन पूजा, न चाँद देखकर ही खाने की अनुमति, न मंदिर जाना, न प्रसाद की झंझट, न ही सत्यनारायण की कथा की तरह बिना प्रसाद लिए चले जाओ तो ईश्वर की नाराजगी ।क्लब देवी कभी नाराज़ नही होती ।न तो चप्पल जूते उतारने की ज़रूरत न सास जैसी डोकरियों के चरण छूने की ज़रूरत। अब उनको लकीर के फकीर बनने से भी मुक्ति मिली । अपनी मर्जी से दिन चुनो, स्थान चुनो, अपने तरीके से अनुष्ठान करो । सब सरल सहज। आज के युग मे तो क्लब के वाट्सप समूह भी बन गए । खूब चैंपने का सुख भी मिल रहा। अपनी पसन्द नापसन्द सब वाट्सप की दीवार पर उगली जा सकती है । फारवर्ड मेसेज की तो भरमार । कुछ भक्तों को भगवान के फोटो चेंपने और उनके नाम लिखने की भी सुविधा है । दूसरों को देखने की जरूरत भी नही ।खुद का चेंपो और भागो । अतः एक मैसेज कई बार आ जाता है । क्लब की सूचना और योजना तो बनती ही है, इस पर साथ ही बधाइयाँ और दुख प्रकट करने का भी बढ़िया साधन है । इमोजी की मदद से आप अपनी प्रतिक्रिया भी दे सकते है । इस तरह क्लब देवी का पूरे मनोयोग से अनुष्ठान करें । अपनी जेब के अनुसार भोजन की व्यवस्था जरूरी है । भोजन में वेलकम ड्रिंक्स, स्टार्टर, सूप और पूरा भोजन, मीठा या हाई टी भी रख सकते है । 
अंत मे सूत जी कहते है कि -है रंगबिरंगी बालाओं ....."खूब सारी फोटो लेना चाहिए एक दूसरे की । सेल्फी भी ली जा सकती है। सारे फोटो ग्रुप में चैंपकर सबकी तारीफ बटोर कर शाम तक सब् फोटुओ से छुटकारा भी पा सकते है ।"
इस अनुष्ठान का लचीलापन और मोहकता देखकर स्त्रियां मुग्ध है।खुश और तनावरहित रहती हैं । इस दिन डाइटिंग को घर मे ताक पर रखकर जाएं ।


अतः है सुमुखियो ........इस अनुष्ठान को श्रद्धा पूर्वक करने का उपाय आपको समझ आ ही गया है । इस अनुष्ठान के बारे में अन्य स्त्रियों को भी बताएं । इसमे चावल -फूल हाथ मे लेकर वही पुरानी कथा सुनने की, बोर होने और उबासी लेने की जरूरत नही । हर बार नई कहानी बनाइये ।खूब मस्ती की अनुमति है । दिल से ,खुशी से इस अनुष्ठान को करिए ।जो समय या साधन नही है के बहाने से इस मे शामिल न हो उन्हें बार बार मत कहिये । आप अपनी खुशी बटोरिये ।देखिए ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत है ।
सबका भला हो ।क्लब देवी की सब पर कृपा बनी रहे ।
अतः हे चन्द्र मुखियों, मृगनैनियों ,सुकेशियो , आप सभी क्लब देवी की आराधना और अनुष्ठान से अपने व अपने परिवार को खुश रखिये।
नमस्कार...



|| मधु सक्सेना ||


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