एक-दूसरे को सिंदूर लगा, की देवी से सुख-शांति की प्रार्थना


नवरात्र पर बंगाली समाज द्वारा खेली गई सिंदूर की होली


भोपाल। नव भोपाल बंगीय समिति दानिश कुंज कोलार रोड द्वारा दक्षिणेश्वर कालीबाड़ी प्रांगण में मां दुर्गा की  विशेष पूजा की गई। समिति के अध्यक्ष संदीप्त बोस और सचिव संजीत साहा ने बताया कि इस मौके पर महिलाओं ने परंपरागत रूप से हर्षोल्लास के साथ सिंदूर की होली खेली। इस दौरान उन्होंने एक-दूसरे को सिंदूर लगाया और देवी से सुख-शांति की प्रार्थना की। सिंदूर खेला के आयोजन में शामिल ओमिता पार्थो दास ने बताया कि बंगाली समाज में मान्यता है कि इस पूजा से मां भगवती प्रसन्न होती हैं और महिलाओं का अखंड सौभाग्य का वर प्रदान करती हैं। सिंदूर खेला के दौरान प्याली चक्रवर्ती, ओमिता पार्थो दास, चुमकी चक्रवर्ती, कृष्णा चटर्जी, सुप्रिया बैनर्जी, मुनमुन भट्टाचार्य, सुलेखा भट्टाचार्य, प्रतिमा डे सहित बंगाली समाज की कई महिलाओं ने जमकर एक दूसरे को सिंदूर भी लगाया। दरअसल दुर्गा पूजा के बाद बंगाली महिलाओं ने दशहरे पर धूमधाम से सिंदूर खेला पर्व मनाया। एक बड़ी थाली में सिंदूर रखकर महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया आैर त्यौहार की बधाई दी। सिंदूर खेला के बाद महिलाओं के बीच सेल्फी का भी खासा क्रेज रहा। हर साल दुर्गा पूजा के बाद बंगाली महिलाएं सिंदूर खेलती हैं। महिलाएं दुर्गा मां को पहले सिंदूर, मिष्टी, पान और सुहाग का सामान देती हैं, बाद में आपस में सिंदूर खेला होता है। राजधानी में दक्षिणेश्वर कालीबाड़ी के अलावा विभिन्न जगहों पर यह आयोजन हुए।



क्या होता  है सिंदूर खेला


बंगाली समाज में मां दुर्गा को कन्या का रूप माना जाता है और ऐसी मान्यता है कि मां नवरात्रि में कैलाश से चलकर अपने भक्तों के पास आती हैं और दशहरे पर वापस चली जाती हैं। अष्टमी को बंगाली समाज की महिलाओं द्वारा मां को सिंदूर चढ़ाया जाता है। दशहरे के दिन उसी सिंदूर से विवाहित महिलाएं मांग सजाती हैं और एक-दूसरे पर डालती हैं। इसे ही सिंदूर खेला पर्व के रूप में जाना जाता है।



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