एक झाड़ू दिमाग को स्वच्छ बनाने के लिए : अतुल


सड़को पर पड़ा कूड़ा तो हटा लिया, दिमाग में भरा कूड़ा कब हटायेंगे


इंदौर। भारत की सड़के, जो पहलें कूड़ें से भरी रहती थी, अब वो साफ-सुथरी और हरी-भरी नजर आने लगी है। फिर भी एक सवाल मन में खटकता है कि क्या भारत अपने स्वच्छता मिशन में पूरी तरह कामयाब हो पाया है? शायद नही। आप सोच रहें होंगे कि आखिरकार मै ऐसा क्यूं कह रहा हूं जबकि अब तो दूसरें देश  भी अब उनके देश  को स्वच्छ बनाने के लिए भारत के स्वच्छता माॅडल को अपना रहे हैं। मै ऐसा इसलिए कह रहा हूं दोस्तो क्योंकि एक देश बनता है उसके वासियों से। मै पूछना चाहता हूं आपसे कि क्या आपने, कभी अपने दिमाग पर झाडू लगाया है? दोस्तों, हमने घर-आंगन और सड़के तो साफ कर ली, लेकिन हमारा दिमाग उसे तो साफ करना हम भूल ही गयें। अगर साफ होता तो चोरी, भ्रष्टाचार, बलात्कार, हत्याएं न होती। हम नन्हें हाथों में कलम पकड़ाते न कि उन्हें बाल मजदूर बनाते।  भ्रूण हत्याएं न होती, दहेज की लपेटों में वो चीखें न उठती, दिलों में इतनी नफरते न होती, गरीबी और अमीरी के बीच ये खायी ना होती। अफसोस ऐसा नही है, क्योंकि हमारे दिमाग का कचरा साफ नही है। काश! हमारे दिमाग में भरा कचरा साफ होता तो हमारें दिलों में करूणा होती, ममता होती, प्यार होता, दया होती, मदद की भावना होती है तो हम गर्व से कह सकते थे कि देश स्वच्छ हो रहा है। दोस्तों,देश तभी स्वच्छ बन सकेगा, जब हमारा दिमाग स्वस्थ बन पायेगा। मै चाहता हूं कि वो दिन जल्द आये जब एक या दो देश नही बल्कि पूरी दुनिया भारत का एक और आदर्श  नमूना प्रस्तुत करे। नमूना ' स्वस्थ मानसिकता, स्वच्छ भारत का।' इसीलिए अपने दिमाग पर भी झाडू लगायें और भारत को सही मायनों में स्वच्छ बनायें।


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