भाजपा ने देश को आर्थिक बदहाली की कगार पर ला खड़ा किया: दुबे


मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने लगाए आरोप
भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार ने पहले तो भारतवर्ष को भीषणतम आर्थिक बदहाली की कगार पर ला खड़ा किया है और अब जब देश का युवा अपने रोजगार का सवाल पूछ रहा है, देश के बड़े उद्योगपति राहुल बजाज मुखरता से देश के गृह मंत्री के सम्मुख उद्योगजगत की बदहाली और भय के वातावरण पर सवाल पूछ रहे हैं, तब केंद्र सरकार इन सवालों से मुंह चुराने के लिए सीएए को आधार बनाकर धु्रवीकरण की राजनीति कर रही है। दुबे पीसीसी में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। श्री दुबे ने कहा कि 7 जनवरी, 2019 को ज्वाइंट पॉर्लियामेंट्री कमेटी ने सिटीजनशिप (अमेडमेंट) बिल 2016 के संदर्भ में लोकसभा में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसमें यह तथ्य सामने आये थे कि जब जेपीसी ने अहमदाबाद और राजकोट का दौरा किया, तब वहां उन्होंने पाया कि सैकड़ों हिन्दू परिवार पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताडऩा के चलते राजकोट आये हैं। जो राज्य सरकार द्वारा सुविधा नहीं दिये जाने के अभाव में अपना जीवन वहां व्यतीत कर रहे हैं, उन्हें राज्य सरकार द्वारा सुविधा दी जानी चाहिए। उन्हें वर्षों से रोजगार तक ढंग से उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। उन्होंने यह भी पाया कि जरूरत से ज्यादा देरी, इन नागरिकों को नागरिकता दी जाने में की गई है, जबकि वे सारी औपचारिकताएं पूरी कर चुके हैं। उन्होंने यह कहा कि कलेक्टर कार्यालय और गुजरात गृह मंत्रालय के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता है। तब अमित शाह को यह स्पष्ट करना चाहिए कि गुजरात के गृह मंत्री से लेकर देश के गृह मंत्री रहते तक धार्मिक आधार पर प्रताडि़त हिन्दू परिवारों की पीड़ाओं को उन्होंने क्यों नहीं समझा?
रॉ और आईबी ने उठाये थे कानून पर सवाल: 
श्री दुबे ने कहा कि जेपीसी के सम्मुख देश की खुफिया एजेंसी रॉ के ज्वाइंट सेक्रेटी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस कानून को लेकर हमारी सबसे बड़ी चिंता यह है कि इस कानून का दुरूपयोग करके पाकिस्तान जैसे देश उनके नागरिकों को हमारे देश की नागरिकता दिला सकते हैं अर्थात उनका इशारा पाकिस्तान परस्त आतंकियों से था। देश के गृह मंत्री को बताना चाहिए कि रॉ के इस तथ्यात्मक एतराज का उनके पास क्या जवाब है?
कांगे्रस नागरिकता दिये जाने के खिलाफ नहीं: 
श्री दुबे ने कहा कि हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी इस कानून के दायरे में लिये गये इन छह धर्मों के लोगों को नागरिकता दिये जाने के खिलाफ नहीं है। मगर हमारी चिंता है कि इस कानून को आधार बनाकर अपने छोटे राजनैतिक उद्देश्य के लिए कुछ लोगों को बाहर क्यों रखा जा रहा है। इस कानून में 31 दिसम्बर, 2014 कटऑफ डेट रखी गई है अर्थात जो लोग 31 दिसम्बर, 2014 के पहले भारत में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आये हुए हैं, जो कि छह धर्मों से हैं, हिंदू, सिक्ख, जैन, बौद्ध, पारसी और क्रिश्चियन। उन्हें नागरिकता दी जायेगी। पूरे साउथ एशिया में सर्वाधिक प्रताडि़त अल्पसंख्यक श्रीलंका से आये हिन्दू तमिल हैं। उन्हें इस कानून के दायरे से बाहर क्यों कर दिया गया। भूटान से आये क्रिश्चियन को क्यों बाहर रख दिया गया। भारत का संविधान धर्म, भाषा, जातपात के नाम पर भेदभाव की अनुमति नहीं देता।


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