उज्जैन में पहली बार एक ही दिन में 27 नए पॉजिटिव मिले


भोपाल में 20 नए पॉजिटिव, एक ही परिवार के 8 महीने के बच्चे समेत 4 संक्रमित
सागर में तीन लोगों में कोरोना की पुष्टि,  प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 1687
कोरोना संक्रमण की वजह से प्रदेश की 7.50 करोड़ आबादी घरों में कैद
भोपाल। मध्यप्रदेश में लॉकडाउन फेज-2 का गुरुवार को नौवां दिन था। भोपाल में गुरुवार को 20 मरीज मिले। वहीं, उज्जैन मे पहली बार एक ही दिन में 27 मरीजों में कोरोना की पुष्टि हुई। यहां संक्रमितों का आंकड़ा बढ़कर 87 तक जा पहुंचा। अब तक इस संक्रमण से शहर में आठ लोगों की जान जा चुकी है। उधर, सागर में तीन लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई। प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 1687 हो गई है। भोपाल में गुरुवार को सुबह 20 नए पॉजिटिव केस मिले। अशोका गार्डन इलाके में एक ही परिवार के 8 महीने के बच्चे समेत 4 लोग संक्रमित पाए गए। अब भोपाल में कोरोना संक्रमितों की संख्या 323 हो गई है। इससे पहले राजधानी में बुधवार की शाम राहत देने वाली खबर आई। चिरायु अस्पताल में भर्ती 44 मरीज एक साथ ठीक होकर घर भेजे गए। अब तक भोपाल में 78 मरीज स्वस्थ होकर घर जा चुके हैं। उधर, शहर की प्रोफेसर कॉलोनी को संक्रमण मुक्त घोषित कर दिया गया है। यहां पर 25 दिन से कोई नया केस नहीं मिला है। जबकि दो दिन में भोपाल में 850 सैंपल की जांच रिपोर्ट में केवल 15 पॉजिटिव मरीज मिले। 
अभी तक 31 हजार सैम्पल लिए गए
कोरोना संक्रमण की वजह से प्रदेश की 7.50 करोड़ आबादी घरों में कैद है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, करीब 40 दिन में 31078 लोगों के सैंपल लिए गए। यानी कुल आबादी का महज 0.041 प्रतिशत। 8 हजार 414 सैंपल की रिपोर्ट आना बाकी है। 21077 सैंपल की रिपोर्ट या तो निगेटिव आई है या रिजेक्ट कर दी गई है। प्रदेश में बुधवार तक संक्रमितों की संख्या 1587 पर पहुंच गई। वहीं, राज्य में 456 कंटेनमेंट एरिया बनाए गए हैं। मध्यप्रदेश में सैंपल टेस्टिंग को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। अभी तक जो 31 हजार से ज्यादा सैंपल लिए गए हैं। इनमें 80 फीसदी सैंपल भोपाल और इंदौर के बताए जा रहे हैं। बाकी इलाकों में टेस्टिंग की प्रक्रिया काफी धीमी है। राज्य में 14 लैब में टेस्टिंग हो रही है। इनमें 12 सरकारी और 2 निजी हैं।  
ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं पहुंची स्वास्थ्य टीम
प्रदेश के करीब 24 जिले ग्रीन जोन में हैं। यहां एक भी संक्रमित मरीज नहीं पाया गया है। सूत्रों के अनुसार, वास्तविकता में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते लोगों की जांच ही नहीं हो रही है। संक्रमण फैलने की खबरें जिस तरह से आ रही हैं, उससे ग्रामीण इलाकों में लोग जांच कराने से भी बच रहे हैं। प्रदेश के तमाम जिलों में ओपीडी तक बंद कर दी गई है। संक्रमण के डर से निजी अस्पतालों में जनरल ओपीडी बंद है। मुख्यमंत्री ने कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि यदि कोई निजी चिकित्सालय न खुले, तो उसका लाइसेंस निरस्त करें। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बेंस ने बताया कि मुख्यमंत्री ने कोरोना की समीक्षा के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कलेक्टरों से कहा है कि वे एक टीम बनाकर निजी अस्पतालों की जांच कराएं। जिन व्यक्तियों के कोरोना टेस्ट के सैंपल लिए गए हैं, वे कहीं न जाएं, वरना कार्रवाई होगी।


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