रेड, ऑरेज, येलो से मिलती है रंग भरे मौसम की चेतावनी


सप्तरंगी मौसम का विज्ञान समझाया सारिका घारू ने


भोपाल। मौसम की बेइमानी और आने वाले तूफान की चेतावनी देने होता है इंद्रधनुषी रंगों का उपयोग। मानसून के दौरान सातों रंगों का संगम तो मनमोहक इंद्रधनुष बनाता है। लेकिन मौसम विभाग उनमें से हरा, पीला,नारंगी और लाल रंग का उपयोग  मौसम के मिज़ाज की चेतावनी देने के लिये करता हैै। वैज्ञानिक आकलन करके मौसम विभाग ने अलर्ट जारी करने के लिये इन रंगों का चुनाव कई एजेंसियों ने साथ मिलकर किया है जिससे जनधन की हानि कम हो सके। नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने मौसम के रंग कार्यक्रम में बच्चों को ये जानकारी दी।
सारिका ने बताया कि भीषण गर्मी, शीत लहर, मानसूनी या चक्रवाती तूफान आदि के बारे में जानकारी देने के लिये इन रंगों का प्रयोग किया जाता है। जैसे जैसे खतरा बढ़ते जाता है अलर्ट का रंग गहरा होता जाता है। रेड अलर्ट तब जारी किया जाता है जब मौसम खतरनाक हो जाता है और भारी नुकसान होने की संभावना होती है। येलो अलर्ट का मतलब है कि खतरे के प्रति सावधान रहें। ग्रीन अलर्ट का मतलब है कि अभी कोई खतरा नहंी है। तो रंग भरे मौसम के हरे रंग में आनंद लीजिये इंतजार के बाद हुई मानसून की मेहरबानी का।
सारिका ने बताया कि आरेंज या रेड अलर्ट आने पर-घर की लाईट और गैस कनेक्षन बंद कर दें, पालतू जानवरों को सुरक्षित आश्रय दें, अपने घर के सबसे मजबूत हिस्से में जायें, दरवाजे और खिड़कियों से दूर रहें और बंद रखें।, पानी की बोतल, कुछ नाष्ता ,दवाई अपने साथ रखें।    


अन्य जानकारी


रेड अलर्ट
जब चक्रवात के दौरान तेज बरसात के साथ हवा 130 किमी प्रति घंटा से अधिक हो जब 30 मिमी से अधिक बरसात होने की संभावना हो और वह कम से कम दो घंटे तक होती रहे
आरेंज अलर्ट
येलो अलर्ट को अपडेट करके आरेंज अलर्ट जारी किया जाता है। इसमें लोगों को घरो में रहने की सलाह दी जाती है। जब हवा की गति 75 किमी प्रतिधंटा हो जाती है। 15 से 30 मिमी बरसात होने की संभावना रहती है।
येलो अलर्ट
जब 8 से 15 मिमी बरसात की संभावना हो जो कि अगले 1 से 2 घंटे तक जारी रहने की सभावना हो। जिसके कारण बाढ़ आने की संभावना हो। इस अलर्ट में मौसम पर लगातार नजर रखी जाती है।


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