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विकास मल्टीकॉर्प करेगी एफएमसीजी सेगमेंट में प्रवेश


बनाई 100 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश की योजना 


नई दिल्ली। बीएसई और एनएसई में सूचीबद्ध स्पेशयलिटी कैमिकल्स फर्म, विकास मल्टीकॉर्प लिमिटेड द्वारा हाल ही में नए क्षेत्र से जुड़ने सम्बन्धी एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई। कम्पनी आगे एफएमसीजी उद्योग के फ़ूड प्रोटेक्शन तथा पर्सनल हाइजीन सेगमेंट में प्रवेश कर सकती है। इसके लिए आने वाले 2 वर्षों में कम्पनी ने करीब 100 करोड़ रुपये के निवेश की भी योजना बनाई है। विकास मल्टीकॉर्प ने नियामक रेगुलेटरी फाइलिंग (नियामक फाइल) में कहा- कम्पनी ने इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए ख्यात और स्थापित राष्ट्रीय ब्रांड्स युक्त ट्रेडमार्क के एक पोर्टफोलियो के अधिग्रहण के लिए एक 'डेफिनिटिव एग्रीमेंट' पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इस डील के विस्तृत वर्णन को सामने न लाते हुए, कम्पनी ने कहा कि उसने फ़ूड पैकेजिंग तथा टिशू पेपर ब्रांड्स- होमफॉइल, चपाती रैप, क्लीनरैप तथा मिस्टीक के ट्रेडमार्क का अधिग्रहण किया है। 
विकास मल्टीकॉर्प द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस ब्रांड पोर्टफोलियो के अधिग्रहण के साथ कम्पनी इन वस्तुओं की मेन्युफेक्चरिंग के लिए एक मौजूदा पेटेंट को पहचानने और उसे अधिगृहित करने की प्रक्रिया की ओर बढ़ रही है। इसी बीच, इन उत्पादों को बनाने के लिए थर्ड पार्टी कॉन्ट्रैक्ट बेस मेन्युफेक्चरिंग के लिए प्रबंध किए जा रहे हैं।' कम्पनी ने आगे कहा। विकास मल्टीकॉर्प ने आगे कहा कि, भारत में एल्युमिनियम फॉइल और टिशू पेपर उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है और इसके निरन्तर बढ़ने की संभावना है क्योंकि वर्तमान में प्रति व्यक्ति इसकी खपत कुछ कम है।  भारत में वर्तमान एल्युमिनियम फॉइल मार्केट का आकार करीब 200,000 एमटी प्रति वर्ष है जो कि मूल्य के हिसाब से 7,000 करोड़ रुपये के करीब है। ये ब्रांड्स भारतीय बाजार में करीब 6 प्रतिशत का मार्केट शेयर रखते हैं। 
भारत में टिशू पेपर का बाज़ार करीब 5,000 करोड़ रुपये का है। इसमें से ब्रांडेड टिशू का मार्केट करीब 2,000 करोड़ रुपये का है। ब्रांडेड तिशूज़ की श्रेणी में मिस्टीक ब्रांड का शेयर तकरीबन 10 प्रतिशत है। ये ब्रांड्स तीन दशकों से भी अधिक समय की अवधि में बहुत विकसित हो गए हैं और डोमेस्टिक मार्केट (घरेलू बाजार) में एक स्थापित नाम बन चुके हैं। अब ये ब्रांड्स, देशभर में 10 लाख से भी अधिक रिटेल काउंटर्स पर मार्केट में अपनी मज़बूत और प्रभावकारी उपस्थिति का आनंद ले रहे हैं। इसके अलावा ये ख्यात और प्रतिष्ठित इंस्टिट्यूशनल कस्टमर्स जैसे कि ताज ग्रुप ऑफ होटल्स, मेरिडियन, मौर्या शेरटन, ओबेरॉय, इंटरकॉन्टिनेंटल, हयात, मैरियट तथा अन्य बड़ी होटलों तथा विभिन्न बड़े हॉस्पिटल्स जैसे कि अपोलो, एस्कॉर्ट्स, मैक्स, गंगाराम, विमहन्स, फोर्टिस, मूलचंद आदि एवं एयरलाइंस जैसे एयर इंडिया, जेट एयरवेज़, जेट लाइट, अलाइंस एयर आदि, कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएसडी-सेना कैंटीन) तथा रेलवे और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया जैसे बड़े संस्थानों-स्थानों पर भी बेचे जा रहे हैं। इन सबके साथ ही, यह ब्रांड्स सभी बड़ी रिटेल चेन्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्शा रहे हैं। इन ब्रांड्स की पहचान अंतरराष्ट्रीय मार्केट तक मे स्थापित हो चुकी है, कहसलर यूके, मिडिल ईस्ट और यूरोपियन देशों में। 
अब तक भारतीय फॉइल मार्केट कई छोटे कनवर्टर्स से भरा पड़ा था, जो कि इस क्षेत्र के मौजूदा व्यवसायियों से एल्युमिनियम खरीदते थे और उसे फॉइल में बदल लेते थे। चूंकि पिछले कुछ समय में घर मे काम आने वाली एल्युमिनियम फॉइल ने किचन में महत्वपूर्ण जगह बना ली है, इसलिए पिछले कुछ वर्षों में इसमें करीब 30-40 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है। प्लास्टिक के उपयोग पर लगी रोक ने भी वृद्धि में योगदान दिया है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में, जहां प्लास्टिक के उपयोग पर बैन को पहले लागू किया गया था, किये गए शोध अध्ययनों के अनुसार वहां एल्युमिनियम फॉइल की बिक्री में 50 प्रतिशत तक कि बढ़ोत्तरी पाई गई। अभी भी, भारत के पास प्रति व्यक्ति पैकेजिंग उपभोग बहुत कम है, जो कि करीब 4.3 किलो है। यह अन्य विकसित राष्ट्रों जैसे जर्मनी और ताइवान से बहुत कम है जहां प्रति व्यक्ति पैकेजिंग उपभोग क्रमशः 42 और 19 किलोग्राम का है। 
कम्पनी, भारतीय घरों की आवश्यकता के हिसाब से फ़ूड प्रोटेक्शन और पैकेजिंग पर्सनल हाइजीन  के लिए सम्पूर्ण समाधान वन स्टॉप शॉप (एक ही जगह पर) उपलब्ध करवाने की दिशा में प्रयास करने की योजना बना रही है। कम्पनी डिस्पोजेबल से होने वाली आमदनी के बढ़ने से भी आशान्वित है, जो कि भारतीयों को नियमित रूप से हाइजीनिक और एस्थेटिक समाधानों का उपयोग करने को प्रेरित कर रही है। ऐसे समाधान और साधन जिन्हें एक समय पर कीमती समझा जाता था और विशेष अवसरों पर ही उपयोग में लाया जाता था। अब कामगार जनसंख्या के बढ़ने और शिक्षा पर फोकस करने जैसी स्थितियों के परिणामस्वरूप भी दफ्तरों तथा अन्य सामान्य स्थानों पर घर पर बने पैक्ड भोजन तथा पर्सनल हाइजीन उत्पादों जैसे कि टिशू पेपर की मांग और आवश्यकता दोनों बढ़ गई हैं। 
कम्पनी का इस बारे में कहना है-'बदलती जीवनशैली, शहरीकरण और फ़ूड पैकेजिंग की बढ़ती जरूरत वे महत्वपूर्ण कारण हैं जो मांग में वृद्धि को बनाये रखेंगे। कोविड-19 के बाद ग्राहकों के व्यवहार में कुछ परिवर्तन सम्भव हैं जो कि इन उत्पादों की प्रगति को और प्रोत्साहन देंगे।'


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