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प्रयोग के साथ विज्ञान के सिद्धांत को समझाने सारिका ने बनाई खुली प्रयोगशाला


सप्तरंगी गगन तले वनवासी बच्चों ने किया प्रयोग, टोले के तालाब की मदद से समझा जीव विज्ञान


भोपाल। चारदीवारों से घिरी , तालों और आलमारियो वाली प्रयोगशाला अब टोला मंजीरा में नदी , पहाड़, झरने किनारे सप्तरंगी गगन के तले किसी वृक्ष की झांव में पहुंच रही है। महुआ की छांव के साथ आंगन में डली छप्पर अब बिना दीवारों वाली प्रयोगशाला की छत बन रही है नर्मदापुरम संभाग आयुक्त रजनीश श्रीवास्तव के उत्प्रेरण से नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू के नवाचार टाइबल टोला टीचिंग में  टोलों में  पहुंच कर पोस्टरों की मदद से विज्ञानशाला का आकर्षक रूप तैयार करती है। बच्चों के हाथ सेनिटाइज करके उनको  मास्क और स्टूल देती है। बच्चें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ इन स्टूल पर बैठ जाते हैं और शुरू हो जाती है टाइबल टोला टीचिंग की खुली प्रयोगशाला।
खुले वातावरण की शीतल हवाओं में प्रयोग करने के पहले विज्ञान के जटिल सिद्धांतों को मधुर गीत गाकर बच्चों को समझाती है। इसके बाद प्रत्येक बच्चा स्वयं अपने हाथों में सामग्री लेकर प्रयोग करता है।
सारिका का कहना है कि टाइबल टोला टीचिंग की इस खुली प्रयोगशाला ने बच्चों के मन से प्रयोगशाला , इस्टूमेन्ट और केमिकल का भय समाप्त कर दिया है। वे शिक्षा विभाग के संभागीय एवं जिला स्तरीय अधिकारियों के मार्गदर्शन में विभिन्न पहुचविहीन ग्राम, टोलों में जाकर विज्ञान को रूचि के साथ पहुंचाने का एक प्रयास कर रही है सारिका घारू। 



क्या खास है इस खुली प्रयोगशाला में : 


टोले के बच्चे लिटमस से नीबू के रस और साबुन के घोल को लेकर अम्ल और क्षार को पहचानते है तो विभिन्न स्थानीय सामग्री का पीएच मान मालूम करते है। प्रिज्य की मदद से गगन के प्रकाश के सप्तरंगी होने की पुष्टि करते है। लेजर लाइट की मदद से कांच के गुटके में प्रकाश के मुड़ने की अपवर्तन की घटना को समझाया जाता है। बच्चों को टोले के किसी तालाब से जलीय पौधा लेकर , कांच का गिलास चुंगी जैसे ग्राम में उपलब्ध उपकरणों को संयोजित करके प्रकाश संश्लेषण क्रिया में आक्सीजन उत्पन्न होने के प्रयोग की कार्यविधि समझाई जाती है। प्रोजेक्ट के रूप में बच्चे अपना घरेलू सोलर कुकर बनाकर मूंगफली के दाने को हल्का सेकते हैं। कागज की फिरकी बनाकर बच्चे पवन चक्की का सिद्धांत समझते हैं।



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