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भारतीय अर्थव्यवस्था का काला दिन है यह : जनता कांग्रेस


नई दिल्ली । जनता कांग्रेस सुप्रीमो डॉ माहताब राय ने आज मोदी सरकार के अंधेर नगरी चौपट राजा वाले निर्णय नोटबंदी की चौथा वर्षगांठ पर अपना वकत्व्य जारी कर मोदी सरकार के नोटबंदी निर्णय की निंदा करते हुये कहा है कि आज ही के दिन 4 साल पहले यानी इसी नवंबर की 8 तारीख को 2016 को भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। यह एक बड़ा फैसला था और उसके कई पहलू सामने आए। कुछ लोगों ने इसके फायदे गिनाए और अधिकतर अर्थशास्त्रियों ने भविष्यवाणी की कि यह देश के आर्थिक हितों को चोट पहुंचाने वाला कदम है। राय ने कहा कि क्या हम नोटबंदी के 4 साल बाद नोटबंदी के दूरगामी परिणामों की चर्चा कर सकते हैं? सेंटर फॉर मॉनिटरिंग के आंकड़े लगातार बता रहे हैं कि नोटबंदी के बाद करोड़ों की संख्या में लोगों की नौकरियां गई हैं।
जनता कांग्रेस प्रमुख ने बताया कि ताजा आंकड़े भयावह हैं। मई 2019 से लेकर अगस्त 2020 के बीच 60 लाख लोगों को फैक्ट्रियों और सेवा क्षेत्रों से निकाल दिया गया। सरकारी विभागों में तो नौकरियों की किल्लत लगातार बढ़ ही रही थी । इधर नोटबंदी के बाद निजी कंपनियों में भी नौकरियों के लाले पड़ने लगे हैं। छंटनी का दौर है। 
राय के अनुसार आलम यह है कि नोएडा की आईटी कंपनियों में सैलरी समय से नहीं मिल रही है । दो-दो महीने की देरी हो रही है। दो साल से सैलरी नहीं बढ़ी है , बल्कि अधिकतर क्षेत्रों में सैलरी आ कम कर दी गई हैं और मजबूर कर दिया गया है कि यदि आपको काम करना है तो इतने में करो वरना घर जाओ । कमोबेश सभी निजी सेक्टरों का यही हाल है । जिस मोबाइल कंपनी पर लोगों का भरोसा था उस मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों से भी लोगों को धड़ाधड़ निकाला जा रहा है । एक आंकड़ा यह भी कहता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में काम मिला है लेकिन वहां मजदूरी घट गई है । कम पैसे पर ज्यादा काम करने पर रहे हैं ।
राय ने जोर देकर कहा कि नोटबंदी के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुद कहा था कि इससे नक्सल और आतंक समाप्त हो जाएगा लेकिन आंकड़े बताते हैं कि नोटबंदी के बाद दोनों क्षेत्रों में बढ़ोतरी हुई है। यदि नक्सल समस्या खत्म हो गई होती तो चुनाव आयोग को झारखंड जैसे छोटे राज्य में पांच चरणों में चुनाव कराने की जरूरत नहीं पड़ती।



नोटबंदी के समय काले धन का भी बहुत रोना रोया गया था। कहा गया था कि बाजार से काला धन समाप्त हो जाएगा लेकिन ऐसा कुछ दिख नहीं रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि काला धन घटने के बजाय बढ़ गया है। हालांकि काले धन की तरलता जरूर कम हो गई है, लेकिन इस प्रकार की संपत्ति में कमी नहीं आई है । आज तक स्विस बैंकों में जमा अरबों खरबों रुपए वापस भारत आना रहा तो दूर , उनकी लिस्ट भी नहीं आ पाई । कहा यह गया था कि नोटबंदी के बाद भारत का चौगुणा आर्थिक विकास होगा लेकिन देश के सभी सेक्टरों में गिरावट दर्ज की जा रही है। नोटबंदी के बाद सबसे पहले बैंक ही बर्बाद हुए। बैंकरों की सैलरी तक नहीं बढ़ रही है। विगत वित्तीय वर्ष में एक और खबर आई कि रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत के कर्ज चुकाने की क्षमता को नेगेटिव कर दिया है। उसका कहना है कि पांच तिमाही से आ रहे अर्थव्यवस्था में ढलान से कर्ज बढ़ता ही जाएगा।
राय ने बताया कि  2020/21 में बजट घाटा जीडीपी का 3.7 प्रतिशत हो जाएगा जो 3.3 प्रतिशत रखने के सरकार के लक्ष्य से बहुत ज्यादा है। इसलिए दावे के साथ कहा जा सकता है कि विश्व आर्थिक मंच पर भारत की साख कम हुई है। यह खतरनाक संकेत है। भारत की जीडीपी 6 साल में सबसे कम 5 प्रतिशत हो गई है। इसके 8 प्रतिशत तक पहुंचने के चांस बहुत कम हैं। फित्च और एस एंड पी दो अलग रेटिंग एजेंसियां हैं, इनके अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था में जड़ता आ गई है जो फिलहाल खत्म होने वाली नहीं है। हालांकि इस मामले में विगत वर्षों में वित्त मंत्रालय का बयान आया है, जिसमें कहा गया कि मूडी ने जरूर नेगेटिव अंक दिए हैं लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार और स्थानीय मुद्रा की श्रेणी की रेटिंग में बदलाव नहीं किया है। उसकी रेटिंग स्थिरता बता रही है। 
डॉ राय ने कहा कि कुल मिलाकर देखा जाए तो इससे हर भारतीय प्रभावित हुआ है भारतीयता के विश्व स्तर पर अपमानित करने वाले इस नोट बंदी वाली निर्णय ने एक परिवार की महिलाओं को बुजुर्गों को युवाओं को धन से वंचित कर दिया है अर्थव्यवस्था और एक घर परिवार की आर्थिक हालत लगातार गिरते जा रहे हैं व्यापार-व्यवसाय काम धंधे चौपट होते जा रहे हैं इन सब का जिम्मेदार आखिर कौन होगा जिम्मेदार होगा वही निर्णय जो बिना सोचे समझे आज से 4 वर्ष पूर्व लिया गया था ! जनता कांग्रेस पार्टी की मांग है कि नोटबंदी के लिए सरकार के जिम्मेदारों को जनता से माफी मांगना चाहिए ।



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