अवकाश के दिन कौन सा दस्तावेज लेने पहुंचे थे नीखरा



हटने के बाद भी अपेक्स बैंक के पूर्व प्रभारी एमडी की नहीं रुक रहीं कारगुजारियां

भोपाल। अपेक्स बैंक में हो रही भर्ती में भारी गड़बड़ी के चलते प्रभारी प्रबन्ध संचालक पद से हटाए गए प्रदीप नीखरा को ऐसी कौन सी जरूरत पड़ी की अवकाश के दिन वह शनिवार को दोपहर के बाद अपेक्स बैंक मुख्यालय पहुंच कर वहां से अपने साथ गोपनीय दस्तावेजजों की पांच-छः पोटली साथ लेकर बाहर निकले और चले गए। उनके इस कृत्य में अपेक्स बैंक के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी यतीश त्रिपाठी एवं अपर महाप्रबंधक आरएस चंदेल भी उनके साथ थे। सहकारिता विभाग के अफसरों का यह कारनामा अपेक्स बैंक मुख्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरों में पूरी तरह रिकॉर्ड भी हो गया है। इस मामले में जब वर्तमान प्रभारी  प्रबन्ध संचालक एवं आयुक्त सहकारिता नरेश पाल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अवकाश के दिन बैंक खुलने की अनुमित उन्होंने नहीं दी थी। वह मामले की जांच कराएंगे और दोषियों पर कार्रवाई करेंगे। जबकि सहकारिता के जानकारों की माने तो बिना अनुमति के अवकाश के दिन बैंक खुलवाने और उससे गोपनीय दस्तावेज साथ ले जाने के मामले में पूर्व प्रभारी प्रबन्ध संचालक प्रदीप नीखरा सहित अपेक्स बैंक के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी यतीश त्रिपाठी एवं अपर महाप्रबंधक आरएस चंदेल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर देना चाहिए। अपेक्स बैंक में 104 पदों की भर्ती के मामले की गड़बड़ी उजागर होने पर सरकार ने जहां बैंक से प्रदीप नीखरा की विदाई कर दी वहीं मामले की जांच के लिए संयुक्त आयुक्त सहकारिता बृजेश शुक्ला को जिम्मा सौंपा है। जबकि शासन और सहकारिता विभाग का नियम है की जांच हमेशा उच्च पद के व्यक्ति से करवाई जाती है लेकिन यहां पर मामले को दबाने के लिए नीखरा से जूनियर व्यक्ति को जांच का जिम्मा सौंपा है। जबकि शुरूआती जांच में यह तथ्य उजागर हो चुका है कि भर्ती में नियमों को दरकिनार किया गया है। 



कौन सी गड़बड़ी ठिकाने लगाने चाहते हैं नीखरा

इस मामले में सबसे अहम सवाल यह है कि आखिरकार अपेक्स बैंक के पूर्व प्रभारी प्रबंध संचालक प्रदीप नीखरा खुद के द्वारा की गई कौन सी गड़बड़ियों को ठिकाने लगाने की तैयारियों में जुटे हैं। क्योकि नीखरा के कार्यकाल में घोटालों और अनियमितताओं का तो अम्बार है। सवाल तो यह भी उठता है कि  प्रदीप नीखरा पर राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो में आर्थिक अनियमितता के कई प्रकरण दर्ज है। उसके बावजूद वह लगातार बैंक के प्रबंध संचालक कैसे बने रहे, यह भी जांच का विषय है। प्रदीप नीखरा अपने सेवा कार्यकाल से ही घोटालों को लेकर  सुर्खियों में रहे हैं। ताजा मामला तो 104 उच्च पदों पर अपेक्स बैंक में नियुक्तियों का। जो लोग परीक्षा में फेल हो गए उन्हें बैंक का उप महाप्रबंधक और प्रबंधक बनाने की तैयारी की जा रही है। अपेक्स बैंक में अधिकारियों की भर्ती में गड़बड़ी का मामला उजागर होने के बाद एक बार फिर पूरे देश में मध्यप्रदेश की छवि व्यापमं की तरह धूमिल हुई है। इस मामले के उजागर होते ही पहले तो उसे दबाने की पूरी कोशिश की गई पर जब बात मंत्रालय के दमन तक पहुंची तो आनन- फानन में अपेक्स बैंक के घोटालेबाज तत्कालीन प्रभारी प्रबन्ध संचालक प्रदीप नीखरा को सेवानिवृत्ति से 20 दिन पहले वहां से चलता कर दिया गया। इसके साथ ही भर्ती में गड़बड़ी की जांच के आदेश दिए गए हैं। जबकि नीखरा द्वारा 104 उच्च पदों के लिए सारे नियमों को एक तरफ रखते हुए पदों को भरने की तथा अपनों को रेवड़ियां बांटने की साजिश नाकाम हुई है। बैंक सूत्रों का कहना है कि सेवानिवृत्ति से पहले नीखरा ने नियुक्तियों में 50 करोड़ की उगाही की थी। सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी राशि के और कौन बड़े हिस्सेदार थे? आखिर नीखरा को किसका संरक्षण मिला हुआ था ? 

नियम दरकिनार कर साक्षात्कार के लिए बुलाया 

अपेक्स बैंक की 104 अफसरों की भर्ती में नीखरा की भूमिका संदेहास्पद है। क्योंकि अपेक्स बैंक ने भर्ती पूर्व नियम बनाया था कि, जो भी परीक्षार्थी 40 नंबर से अधिक अंक लाएगा उसे ही साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा। बाद में पता चला कि ऐसे अपात्र जिन्हें 15, 20, 22, 23, 32 अंक मिले उन्हें भी पात्र घोषित कर नियुक्ति देने की तैयारी की जा रही थी। 

क्या था भर्ती मामला 

अपेक्स बैंक ने जनवरी 2021 में कुल 104 विभिन्न पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरु की थी। इसमें 29 पद महा प्रबंधक, उप प्रबंधक व सहायक प्रबंधकों के हैं। आरोप है कि इस भर्ती प्रक्रिया में बैंक भर्ती नियमों पालन नहीं किया गया। दरअसल, प्रारंभिक परीक्षा में महा प्रबंधक के 2 पर 2 और सहायक प्रबंधक के 3 पदों के लिए 3 उम्मीदवारों का मुख्य परीक्षा के लिए चयन किया गया। जबकि बैंकिंग भर्ती नियम में मुख्य परीक्षा में 1 पद पर न्यूनतम 5 उम्मीदवार होना चाहिए।

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