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नीखरा की काली करतूतों पर पर्दा डाल रहें एसीएस केसरी



-सहकारिता के इस सरगना पर भाजपा-कांग्रेस दोनों सरकारें रही मेहरबान

-मोदी और शिवराज पर भी भारी रहा नीखरा का सहकारी भ्रष्टाचार

-निखरा के रंग में डूबे सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया

विशेष संवाददाता, भोपाल

मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक मर्यादित (अपेक्स बैंक) में होने वाली कैडर अफसरों की भर्ती में हो रही भारी गड़बड़ियों के चलते पद से हटाए गए अपेक्स बैंक के प्रभारी प्रबन्ध संचालक एवं संयुक्त आयुक्त सहकारिता प्रदीप नीखरा की काली करतूतों पर पर्दा डालने का काम अपर मुख्य सचिव सहकारिता अजीत केसरी कर रहे हैं। दरअसल एक बार पहले भी जब प्रदीप नीखरा अपेक्स बैंक के  प्रभारी प्रबन्ध संचालक थे तो उस समय भी अजीत केसरी सहकारिता विभाग के आयुक्त रह चुके हैं। तभी से सहकारी भ्रष्टाचार की जुगलबंदी में नीखरा और केसरी का याराना है। संयुक्त आयुक्त नीखरा पर एसीएस केसरी की मेहरबानी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अपेक्स बैंक सहित, अपने पूर्व पदस्थगी वाले संस्थाओं में करोड़ों की गड़बड़ी को अंजाम देने वाले इस सहकारी अफसर ने जब अपेक्स बैंक की भर्ती में यही कारनामा किया तो नीखरा को फौरी तौर पर निलंबित करने की जगह उनसे जूनियर अफसर से उसके काले कारनामों की जांच कराने की औपचारिकता  की जा रही है, ताकि मामले पर पर्दा डाला जा सके। दरअसल प्रदीप नीखरा 30 जून को सेवा निवृत्त होने जा रहे हैं। इसलिए एसीएस केसरी चाहते हैं कि तब तक मामले में हीलाहवाली कर नीखरा को अभयदान दिया जा सके। सहकारिता के क्षेत्र में अरबों की धांधली कर भ्रष्टाचार की इमारत खड़ी करने वाले प्रदीप नीखरा ने सहकारिता के बड़े अफसरों और वर्तमान तथा तत्कालीन विभागीय मंत्रियों और  नेताओं को इस तरह अपनी जेब में रखा कि उसके कारनामों के आगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सुशासन भी पानी मांगता नजर आया। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि नीखरा पर मेहरबान भाजपा सरकार ने सहकारी क्षेत्र में भारी गड़बड़ियों और ईओडब्ल्यू में दर्ज मामले के बाद भी उन्हें अपेक्स बैंक जैसी सहकारिता की मदर संस्था का प्रभारी प्रबंध संचालक बना दिया,   जबकि नियमतः अपेक्स बैंक में प्रभारी एमडी का पद है ही नहीं। बिन सहकार नहीं उद्धार की मूल भावना को पूरी तरह से कुचलने वाले सहकारिता के अब तक के इतिहास में सबसे भ्रष्ट अफसर प्रदीप नीखरा पर डेढ़ साल के लिए सत्ता में आई कांग्रेस सरकार भी कम मेहरबान नहीं रही। राजधानी के कुछ समाजसेवियों एवं पत्रकारों द्वारा नीखरा के कारनामों की लम्बी फेहरिस्त जब रिजर्व बैंक और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी गई तो पीएमओ के आदेश पर अमल करते हुए साल 2017 के अंत में नीखरा को अपेक्स बैंक के प्रभारी प्रबन्ध संचालक के पद से हटाकर अपर पंजीयक (न्यायिक) बना दिया गया। लेकिन साल 2018 में प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनी तो फरवरी 2020 में एक बार फिर प्रदीप नीखरा को अपेक्स बैंक का प्रभारी प्रबन्ध संचालक बना दिया गया। मजेदार बात तो यह है कि जिस नीखरा को पीएमओ में हुई शिकायत के बाद हटाया गया था, उसे डेढ़ साल बाद फिर भाजपा सरकार वापस आने के बाद भी बरकरार रखा गया। गत वर्ष अपनी विभाग की उपलब्धि मीडिया को बताने के लिए प्रेस वार्ता करने करने के दौरान सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने दो टूक कहा था कि भ्रष्टाचार किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगा। अब सवाल यह उठता है कि भले ही भाजपा के दिग्गज नेता एवं सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सरकार में हुए कार्यों में घोटाला बताकर उस पर कार्रवाई करने का राग अलापते रहे हो पर अपेक्स बैंक में पदस्थ रहे प्रभारी प्रबंध संचालक प्रदीप नीखरा की कारगुजारियां क्या वाकई इन्हें भी नजर नहीं आई या स्वयं जानबूझकर अपनी आंखें मूंदे रहे। अपेक्स बैंक के पूर्व प्रभारी प्रबंध संचालक प्रदीप निखरा शिवराज सरकार के लिए चुनौती बने हुए हैं। प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन और सुशासन का वादा करने वाली शिवराज सरकार भी सहकारिता के इन दीमकों के आगे बौनी नजर आ रही है। खास बात यह है कि अपनी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए विद्यार्थी परिषद से राजनीति में अलग पहचान रखने वाले प्रदेश के कद्दावर भाजपा नेता एवं राज्य के सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया भी नीखरा के भ्रष्टाचार पर मौन स्वीकृति देकर खुद भी शामिल होते रहे। बड़ा सवाल यह है कि क्या वाकई में सहकारिता के सिस्टम को ग्रहण लग गया है या वर्तमान भाजपा सरकार भी बिन सहकार नहीं उद्धार की भावना को पलीता लगा रहे अफसरों पर लगाम कस इसे एक बार फिर किसानों के लिए जीवंत करेगी।

नीखरा पर भार्गव ने लगाए थे  गंभीर आरोप 

साल 2020 की फरवरी में जब प्रदीप नीखरा को पुनः अपेक्स बैंक का प्रभारी प्रबन्ध संचालक बनाया गया था तब राज्य के लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने गम्भीर आरोप लगाए थे। तब वह स्वयं नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में थे। भार्गव ने आरोप लगाते हुए कहा था कि नीखरा पर भ्रष्टाचार के दस से ज्यादा केस दर्ज हैं। इनमें आठ तो 16 साल से लंबित हैं। ये प्रकरण 2003-04 में इओडब्ल्यू ने दर्ज किए थे। उन पर आरोप है कि उस समय 23 गृह निर्माण समितियों के प्लाट आवंटन में बड़ा घोटाला किया गया था। भार्गव ने यह भी आरोप लगाया था कि नीखरा के नजदीकी रिश्तेदार कांग्रेस संगठन में बड़े पदाधिकारी हैं। उन्हीं की सिफारिश पर उन्हें दोबारा एमडी बनाया गया है। अपने आरोप में भार्गव ने कहा था कि भोपाल एयरपोर्ट के पास वेलकम गृह निर्माण सहकारी समिति की जमीन को औने-पौने दाम में बेचने में 2015 में नीखरा पर आरोप लगे थे। पुष्टि होने पर लोकायुक्त ने केस दर्ज किया था। इसी साल दूसरा मामला अमर सिंह यादव को नियम विरूद्ध 45 लाख के भुगतान के मामले में भी कायम किया गया है। तब नीखरा अपेक्स बैंक के एमडी थे। भार्गव का कहना था कि नीखरा को बैंक के एमडी पद से हटाने की कार्रवाई पीएमओ और रिजर्व बैंक तक पहुंची शिकायतों के बाद की गई थी। 



अठारह साल से निखरा पर मेहरबान रही राज्य सरकारें 

अपेक्स बैंक के प्रभारी प्रबंध संचालक रहे प्रदीप नीखरा भ्रष्टाचार करने में कितने माहिर है इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो भोपाल द्वारा एक ही दिन 29 जनवरी 2004 को आवास संघ द्वारा किए गए ऋण वितरण में की गई गम्भीर अनियमितता के कारण निखरा सहित कुछ अफसरों पर 10 प्रकरण एक साथ दर्ज किये थे । सबसे बड़ी बात यह  है कि इन सभी प्रकरणों में धारा 120बी, 420, 467, 468, 471, 409, 13 (1)डी, सहपाठित धारा 13(2) भ्र.नि. अ.  1988 के के तहत अपराध  पंजीबद्ध किये गए थे। इन मामलों में अलग-अलग कुल 56 धाराएं लगाई गई थी। इसके बाद भी सभी मामले जांच के नाम पर अभी तक लटका रखे हैं। वर्तमान एसीएस सहकारिता अजीत केसरी जब विभाग के आयुक्त थे तो उन्होंने ईओडब्ल्यू को पत्र लिखकर नीखरा पर दर्ज मामलों की जानकारी मांगी थी। हालांकि उसके बाद केसरी ने किया कुछ नहीं पर नीखरा ने उन्हें भी अपने सांचे में ढाल लिया। अपेक्स बैंक के पूर्व प्रभारी प्रबंध संचालक प्रदीप नीखरा पर विभागीय अफसरों और नेताओं की मेहरबानी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नीखरा के भ्रष्टाचार और काली करतूतों की शिकायतें सहकारिता विभाग के अफसरों से लेकर विभागीय मंत्री,  मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री कार्यालय को करने के बाद भी भ्रष्टाचार के चलते अपेक्स बैंक के प्रभारी प्रबंध संचालक पद से हटाए गए नीखरा को सरकार बदलते ही साल 2020 में पुनः दूसरी बार अपेक्स बैंक का प्रभारी प्रबंध संचालक बना दिया गया। पर सबसे बड़ी बात यह है कि अप्रैल 2020 में पुनः सरकार बदलने पर भी नीखरा पर उसी तरह की मेहरबानी कायम रही, क्योकि पहली बार प्रभारी प्रबन्ध संचालक भी इतने भ्रष्टाचार के बाद भी इसी सरकार ने बनाया था।

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