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सवा दो लाख पेड़ों को बचाने सबको मिलकर लड़ना होगा : पूर्णिमा



-समाजसेवियों को सता रही पर्यावरण और प्रकृति की चिंता

भोपाल। प्रदेश की जानीमानी समाजसेवी एवं वसुंधरा संस्था की अध्यक्ष पूर्णिमा वर्मा ने प्रदेश के छतरपुर जिले में बकस्वाहा जंगल को चंद चमकीले पत्थरों के खातिर नष्ट करने की सरकारी प्रयासों की तीखी भर्त्सना करते हुए पर्यावरण और प्रकृति को लेकर चिंता जाहिर करते हुए आम जनमानस से आह्वान किया है कि बकस्वाहा को बचाने के लिए सभी को मिलकर यह लड़ाई लड़नी होगी। पूर्णिमा वर्मा ने कहा कि समस्त विश्व आज कोविड-19  के भीषण संकट से लगातार जूझ रहा है । इस सूक्ष्मदर्शी वायरस ने आज विज्ञान और उन्नति जैसे विषयों पर प्रश्नचिन्ह लगा दिये हैं और संकट अभी भी टला नहीं है। नित नये वैरियेंट के साथ म्यूटेशन चल ही रहा है । आज विश्व-पटल पर हर एक को यह बात समझ में आ ही गई है कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ मानवता के लिए विनाश का कारण बनता है। हम सभी को अब यह समझ लेना होगा कि प्राकृतिक संपदा को संभालना और सहेजना हम सब की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है । पर आज इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से हम पूरी तरह निकल भी नहीं पाएं हैं और प्रकृति के दोहन की एक नयी योजना राज्य में क्रियान्वित हो रही है । उन्होंने कहा की मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में बकस्वाहा जंगल को स्वाहा करने की पूरी योजनाबद्ध तरीके से शुरुआत हो चुकी है । यह खूबसूरत और घना जंगल कई किस्म की वनस्पति संपदा के साथ-साथ अनेक जंगली जीव-जंतुओं की ख्वाबगाह है । जंगल कटने से ना जाने कितनी नस्ल के भोले बेजुबान पशु-पक्षियों का घर और घरौंदों को नष्ट कर दिया जाएगा, यह हमारी कल्पना से परे है । लगभग 46 प्रजातियों के 2,15,875 पेड़ को काटना अभी तयशुदा है और यह सब किसलिए  सिर्फ चंद चमकीले पत्थरों के लिए। जी हां, सही सुना आपने, यदि हम मानवता की सबसे बड़ी जरूरत आक्सीजन की देन प्रकृति के इस अमूल्य खजाने को खनन करके हीरे निकालने की सोचते हैं, तो यह अवश्य ही बेकार चमकीले पत्थर ही कहलाऐंगे। श्रीमती वर्मा ने कहा कि आज हर व्यक्ति आक्सीजन की कीमत बहुत अच्छे से जान गया है । अब सवाल यह उठता है कि इस जंगल की और वहां के रहवासियों की यह दशा क्यों होना तय है ? तो सरकार कहती है कि इस जमीन के भीतर 3.42 करोड़ कैरेट हीरे छिपे पड़े हैं जिन्हें निकालने लिए तकरीबन 382.121 हैक्टेयर जमीन को खुदाई करना होगी। हालांकि इस खुदाई के एवज में 46 किस्म के 2 लाख 15 हजार 8 सौ 75 पेड़ काटे जायेंगे। इसके साथ ही साथ कई किस्म की झाड़ियां, छोटे पेड़ भी नष्ट किये जाएँगे । पूर्णिमा ने कहा कि सीधी सी बात है, ढेर सारे हीरे तो हाथ आ जाऐंगे पर साथ में कई पीढ़ियों तक ना भर सकने वाला शून्य भी हम सब को भोगना होगा जो इसी तरह के कई वायरस और बीमारियों को लेकर कई गुना होकर मानव जाति को मुश्किलों में डालने वाला होगा। उन्होंने कहा कि यदि हम अभी भी नहीं संभले, अभी भी नहीं समझे तो प्रकृति अपनी तरह से समझाऐगी और कहर बरपाऐगी । समाजसेवी पूर्णिमा वर्मा ने आमजन से अनुरोध किया है कि बकस्वाहा के जंगल को बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग आगे आऐं और विरोध करें ताकि हम प्रकृति और पर्यावरण दोनों को बचाने में कामयाब हो सकें अन्यथा आने वाले समय में इसके दुष्परिणाम सभी को भुगतने पड़ेंगे।

Comments

Dinesh Chandra said…
It is unwise to destroy the plant and animal life of Baxwaha forest, just for earning Govt. revenue, and diamond ornaments.The oxygen and good health for our future generations, must get top priority.

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