ऑनलाइन शिक्षा : राह आसान नहीं, बच्चों के साथ बढ़ी अभिभावकों की चुनौतियां


ओमिता पार्थोदास

शिक्षा की मानव जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं। परन्तु पिछले दो वर्षों से शिक्षा प्रणाली की गतिविधियों में कई परिवर्तन हुए जिसका छात्रों के साथ-साथ समाज में भी असर देखने को मिला है। शिक्षण की इस नवीन पद्धति में सबसे बड़ा खतरा बच्चों के स्क्रीन टाइम बढ़ना है।  उन्हें कुछ रचनात्मक कार्यों में संलग्न कराने पर विचार करना चाहिए या परिवार के सदस्यों को बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए। स्कूलों को हर एक क्लास के बाद 15-20 मिनट का अवकाश देना चाहिए। बच्चों के स्क्रीन टाइम बढ़ने से उत्पन्न खतरे को गंभीरता से लेते हुए, थोड़ी समझदारी से काम किया जा सकता है।
डॉक्टरों के अनुसार अगर ऑनलाइन शिक्षा में सावधानी का ख्याल नहीं रखा गया तो बच्चों को सर्वाइकल जैसी अप्रत्याशित बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। अतः बच्चों के स्क्रीन टाइम बढ़ने से उत्पन्न खतरे को गंभीरता से लेते हुए थोड़ी समझदारी से कम किया जा सकता है। ऑनलाइन शिक्षण में कई स्कूल यह निर्देश देते हैं कि बच्चे के साथ माता या पिता भी बैठेंगे। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि बच्चे इस तरह की शिक्षण में अनुशासन को ज्यादा महत्व नहीं देते है और दूर बैठे शिक्षक के पास इस पर ज्यादा कुछ करने का विकल्प होता नहीं है। अतः वो बच्चे के अभिभावक को भी साथ ही बैठने का निर्देश देते है। परंतु इससे अभिभावकों के सामने भी कुछ परेशानियां खड़ी होती है। हमें यह याद रखना चाहिए कि लॉकडाउन के दिनों में अभिभावकों के लिए यह कार्य सरल था परंतु अब जबकि पूरा देश खुल चुका है और अभिभावकों के लिए कई तरह की व्यावसायिक चुनौतियां बढ़े हुए रूपों में दस्तक दे रही होंगी, एक नए कार्य के लिए समय निकालना निश्चित ही मुश्किल होगा। लेकिन यहां यह तथ्य भी रखना आवश्यक है कि बच्चे के साथ अभिभावकों के बैठने से अभिभावकों को अपने बच्चे के पढ़ने के तरीके, शिक्षक व अन्य सहपाठियों के साथ संवाद करने का तरीका, शिक्षक के पढ़ाने का तरीका, इत्यादि को करीब से जानने का मौका भी मिलता है।कल तक बच्चे और स्कूल के बीच अभिभावकों का दखल नहीं होता था परंतु अब इसके लिए अभिभावकों को समय निकालना पड़ रहा है। 



भारत एक सांस्कृतिक देश है। यहां के समाज में सांस्कृतिक मूल्यों को आज भी सराहा जाता है, अपनाया जाता है। भारत में आज भी कई परिवार एक ही छत के नीचे रहते हैं। वैसे शहरों में अब संयुक्त परिवार से विलग हो एकल परिवार का प्रचलन बढ़ा है। संयुक्त परिवार से एकल परिवार के तरफ विचलन का सबसे बड़ा कारण, संयुक्त परिवार में निजता का नहीं होना है। ऑनलाइन शिक्षा की गतिविधियों में इस दृष्टि से भी विचार किया जा सकता है। ऑनलाइन शिक्षा में बच्चे को निजता की आवश्यकता पड़ती है जो संयुक्त परिवार में मिलना बहुत मुश्किल का काम है। शोरगुल, परिवार के अन्य सदस्यों का हस्तक्षेप या अन्य प्रकार की असुविधा अंततः बच्चे की एगाग्रता को बुरी तरह प्रभावित करती है। शहरो में रहने वाले ज्यादातर एकल परिवार की भी आर्थिक हालात ऐसे नहीं होती है कि वो बच्चे की ऑनलाइन शिक्षा के लिए एक अलग से कमरा रख सके। अतः घर पर निजता और शांति के साथ पढ़ाई करने की राह में भी कई तरह की चुनौतियां है। हमें इन पर विचार करना होगा।
(लेखिका शिक्षा काउंसलर हैं) 



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