विचारों का ऋजु या सरल होना ही आर्जव धर्म है
भोपाल। श्री 1008 भगवान महावीर दिगम्बर जैन मंदिर साकेत नगर में दशलक्षण पर्व के अवसर पर डॉ. पंकज जी जैन शास्त्री ने उत्तम आर्जव धर्म की व्याख्या करते हुए अपने प्रवचनों में कहा कि- "जिसकी वाणी एवं क्रियाकलापों में सरलता है, वही धर्मात्मा है और उसे ही उत्तम आर्जव धर्म प्राप्त होता है। छल-कपट को छोड़कर सहज-सरल होने का नाम ही आर्जव धर्म है। विचारों का ऋजु या सरल होना ही आर्जव धर्म है। जिस मनुष्य के ह्रदय में छल-कपट और मायाचार भरा हुआ हो, वह क्षणिक सफलता तो प्राप्त कर सकता है, परन्तु अंत में उसका पतन निश्चित है। आत्मा की पवित्रता के लिए क्रोध और अहंकार की ही तरह माया चारी को भी छोड़ना अनिवार्य है, आर्जव ही आत्मा का असली स्वभाव है। निश्छल और सरल ह्रदय से ही मनुष्य समाज में विश्वसनीयता और सच्ची प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है। आर्जव धर्म के परिपालन के लिए मान-कषाय (मायाचार) का त्याग आवश्यक है। आर्जव धर्म से मनुष्य का नैतिक विकास होता है। इस धर्म के परिपालन द्वारा भ्रष्टाचार जैसी विश्वव्यापी समस्या को भी समाप्त किया जा सकता है।"
हेमलता जैन 'रचना' ने बताया कि पर्युषण महापर्व के अवसर पर मंदिर जी में नित्य-नियम-पूजन-विधान, अभिषेक, शांतिधारा आदि धार्मिक क्रियाओं के साथ ही श्री 1008 भगवान सुपार्श्वनाथ जी के गर्भ कल्याणक के अवसर पर विशेष पूजन एवं नवग्रह अष्ट निवारक विधान संपन्न किया गया। विधान में सौधर्म इन्द्र नरेन्द्र जैन टोंग्या तथा शची इन्द्राणी श्रीमती प्रतिभा जैन टोंग्या थीं। पण्डित पंकज जैन शास्त्री ने बतलाया कि नवग्रह अरिष्ट निवारक विधान 24 तीर्थंकरों की विशेष प्रकार की पूजा है। इस पूजन के फल से सभी प्रकार की ग्रह बाधाएं स्वतः दूर हो जाती हैं। ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की दिशा के अनुसार जातकों को अनेक प्रकार के संकटों का सामना करना पड़ता है, सभी ग्रहों के अधिष्ठाता देवता 24 तीर्थंकरों की आराधना करते हैं इसीलिए ग्रह जनित संकटों से बचने के लिए इस विधान के माध्यम से 24 तीर्थंकरों की भक्ति भाव पूर्वक विशेष आराधना की जाती है। पर्व के अवसर पर बच्चों में धार्मिक चेतना जागृत करने हेतु रोजाना साँस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है इसी कड़ी में बच्चों की भजन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, कार्यक्रम का सञ्चालन तथा वयवस्था चन्दन जैन, डॉ महेंद्र जैन तथा तन्मय जैन द्वारा सुचारित रूप से सम्पन्न की जा रही हैं। इस प्रतियोगिता के पूर्व फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का भी आयोजन सभी आयु वर्ग के लिए किया गया। उल्लेखनीय है कि कोरोना महामारी के चलते बच्चों की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए ज्यादातर प्रतियोगिताएं ऑनलाइन ही संपन्न करवाई जा रही हैं। मंदिर के अध्यक्ष नरेंद्र टोंग्या ने बतलाया कि नित्य पूजन, विधान, अभिषेक, प्रवचनों के दौरान भी साकेत नगर समाज द्वारा कोविड 19 की गाईड लाइन का पूर्णतः पालन किया जा रहा है जिसमें समाज के लोगों का जहाँ भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है वहीँ भक्ति पूजन भी हर्षोल्लास से संपन्न हो रहे हैं।
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