स्त्रिया

बार-बार लोग
सुनकर देते हैं
कि स्त्रियां बेवकूफ होती हैं
बहुत प्रचलित है न 
हमारे समाज में
यह वाक्य 
हां,सच में
मूर्ख ही तो होतीं हैं
वह
दृष्टिअंदाज करतीं हैं
पुरुषों की गलतियां
अनदेखी करती हैं
बच्चों की निगाहें
और छोड़ती हैं क्योंकि
अपना स्वाभिमान 
हां,स्त्रियां बेवकूफ हैं  आज भी कई जगह उसके  अस्तित्व चाय के कब्जे की तरह है जहां उसकी भूमिका अहम है तो अहम है लेकिन  वर्कशॉप पर सबसे
पहले  उन्हें छानकर अलग कर दिया जाता है। है 












अपनी गृहस्थी पालने के लिए
और उपाय बनाएं रखने के लिए
झुकती भी है,ती टूट भी है
न जाने कितने बार
समेटती है टुकड़े 
अपने आत्म सम्मान के लिए
महिला जब दिल की जगह
दिमाग से काम लेना शुरू करती है
तब घरों में खिंचतीं हैं घुटनों
में चिपकती हैं। हो जाती हैं फ्रेजिंग
और.. परिवार, संयुक्त से
सिंगल में सिमटने लगता है
विमोचन इस बात की है
कि एक महिला के अलग-अलग हिस्से में
पुरुष का होता है
उतना ही हाथ
किसी दूसरी महिला का भी होता है
जो एक घंटे के बाद हो जाती है
पुरुषवादी हैं  ।।


माया देवांगन
 रायपुर

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