30 करोड़ के फर्जी मेडिकल घोटाले को दबाने में जुटा महकमा



-मामले की लीपापोती करने सोनकिया की सेवायें वापस करते हुए धगट को बनाया मुख्य लेखाधिकारी 

भोपाल । छुट्टी लिये बिना बीमारी का बहाना कर फर्जी मेडिकल बिल के नाम पर सरकारी खजाने को 30 करोड़ की चपत लगाने वाले मंत्रालय के दोषी अधिकारी कर्मचारियों को मामला उजागर होने के बाद बचाने की कवायद शुरू हो गई है । मीडिया की सुर्खी बनने के बाद इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग की मुख्य लेखाधिकारी श्रीमती संतोष सोनकिया को हटाकर सात साल से लेखा शाखा में पदस्थ लेखाधिकारी के पद पर पदस्थ दीपक धगट को मुख्य लेखाधिकारी बना दिया गया है । 

जानकारी सूत्र बताते है कि मामले पर पर्दा डालने के लिए इस तरह की फौरी कार्रवाई की गई है । दरअसल इस कार्रवाई पर सवाल इसीलिए उठ रहे है कि क्योंकि सोनकिया के पद पर पदस्थ किये गये लेखाधिकारी धगट भी वहीं पदस्थ है और उनके इस घोटाले में पूर्व से ही शामिल होने की आशंका जताई जा रही है । ऐसे सवाल यह उठता है कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए वहां किसी अन्य मुख्य लेखाधिकारी की पदस्थापना क्यों नही की गई । मंत्रालय की लेखा में शाखा में पदस्थ एक कर्मचारी ने नाम न बताने पर बताया कि मेडिकल बिल घोटाले में शामिल अधिकारी और कर्मचारी जांच को दबाने के प्रयास में जुट गये है । अभी तक इस मामले में मुख्य लेखाधिकारी को हटाने के सिवाय कोई विशेष कार्रवाई नहीं की गई है जबकि सूत्र बताते है कि पड़ताल में यह भी सामने आया है कि फर्जी मेडिकल बिल लेने वाले अधिकारी और कर्मचारी एक तरफ बीमारी का बहाना कर सरकारी खजाने को चपत लगाने की कोशिश करते रहे जबकि दूसरी तरफ वो कार्यालय में नियमित रूप से काम भी करते रहे । 

मेडिकल बिल में अचानक आई कमी 

चौरई से कांग्रेस विधायक सुजीत मेर सिंह ने जब से विधानसभा में यह मुद्दा उठाया है तब अचानक ही मंत्रालय की लेखा शाखा में मेडिकल बिलों में कमी आ गई है । इसके पहले तक जहां हर महीने पांच सौ से छ: सौ मेडिकल बिलों के प्रकरण आते थे यकायक यह संख्या घटकर न के बराबर हो गई है । ऐसे में सवाल उठता है कि जिन कर्मचारियों ने एक-एक साल का बीमारी का प्रमाण पत्र चिकित्सक बनवाकर लेखा शाखा में जमा कराया था वे भी विधानसभा में मुद्दा उठते ही अचानक से स्वस्थ्य कैसे हो गये । 

संख्या बल अधिक होने से विभाग कर सकता है कार्रवाई 

दस साल पहले जल संसाधन विभाग में हुये मेडिकल बिल घोटाले में क्राइम ब्रांच ने कार्रवाई करते हुए न्यायालय में चालान पेश किया था जहां से आरोपियों कर्मचारियों को कारावास की सजा सुनाई गई । चूंकि मंत्रालय में लेखा शाखा के सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार ऐसे कर्मचारियों की संख्या 800 हो रही है ऐसी स्थिति में विभाग अपने स्तर से कार्रवाई करते हुए इन कर्मचारियों को वेतनवृद्धि रोके जाने संबंधी सजा से दण्डित कर सकती है जिससे शासन को हुई आर्थिक क्षति की पूर्ति भी हो सकेगी तथा शासन का निर्णय आने कर्मचारियों के लिए नजीर भी बन सकेगा । 


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