आर्जव ही आत्मा का असली स्वभाव है- पण्डित अरविंद शास्त्री



साकेत नगर में उत्तम आर्जव धर्म पर हुए प्रवचन
समाज की नन्हीं कोंपलों में धर्म संस्कार पल्लवित करने हेतु पाठशाला

भोपाल। नन्हीं कोंपलों में धर्म संस्कार पल्लवित करने हेतु श्री 1008 भगवान महावीर दिगम्बर जैन मंदिर साकेत नगर में दशलक्षण पर्व के अवसर पर अभिनव प्रयोग किया जा रहा है जिसमें मंदिर जी में संचालित पाठशाला के बच्चों द्वारा जैन धर्म से सम्बन्धित विषयों पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताएँ आयोजित की जा रही हैं ताकि वह जैन संस्कृति से भली-भाँति परिचय प्राप्त कर सकें। इसके साथ ही प्रश्नोत्तरी अथवा पहेलियों के माध्यम से बच्चों के ज्ञान का परीक्षण व पोषण किया जा रहा है जिनमें जैन धर्म और जिनवाणी माँ से संबंधित प्रश्न बच्चों से पूछे जाते हैं, जिनके जवाब देने हेतु बच्चे स्वाध्याय करते हैं और ज्यादा से ज्यादा संख्या में उत्साहपूर्वक प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। हेमलता जैन 'रचना' ने बताया कि साकेत नगर जैन महिला मंडल द्वारा समस्त साँस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जिसमें मंदिर जी अध्यक्ष नरेन्द्र टोंग्या सहित समस्त कमेटी सदस्यों का भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है। दशलक्षण पर्व के तीसरे दिन पण्डित अरविंद जी शास्त्री जी ने उत्तम आर्जव धर्म की व्याख्या करते हुए अपने प्रवचनों में कहा कि- "जिसकी वाणी एवं क्रियाकलापों में सरलता है, वही धर्मात्मा है और उसे ही उत्तम आर्जव धर्म प्राप्त होता है। छल-कपट को छोड़कर सहज-सरल होने का नाम ही आर्जव धर्म है। विचारों का ऋजु या सरल होना ही आर्जव धर्म है। जिस मनुष्य के ह्रदय में छल-कपट और मायाचार भरा हुआ हो, वह क्षणिक सफलता तो प्राप्त कर सकता है, परन्तु अंत में उसका पतन निश्चित है। आत्मा की पवित्रता के लिए क्रोध और अहंकार की ही तरह मायाचारी को भी छोड़ना अनिवार्य है, आर्जव ही आत्मा का असली स्वभाव है। निश्छल और सरल ह्रदय से ही मनुष्य समाज में विश्वसनीयता और सच्ची प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है। आर्जव धर्म के परिपालन के लिए मान-कषाय (मायाचार) का त्याग आवश्यक है। आर्जव धर्म से मनुष्य का नैतिक विकास होता है। इस धर्म के परिपालन द्वारा भ्रष्टाचार जैसी विश्वव्यापी समस्या को भी समाप्त किया जा सकता है।

साकेत नगर मंदिर में नित्य नियम पूजन, विधान, अभिषेक, शांतिधारा आदि धार्मिक क्रियाओं के साथ ही रोजाना साँस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है इसी कड़ी में "भजन" तथा "जोड़ी में है दम" प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया, जिसमें ग्रुप ए में अरायना जैन, नीरव जालोरी, दक्षिता जैन, ग्रुप बी में प्रभुता जैन, श्रद्धान जैन, अलंकृता जैन तथा आस्था जैन, ग्रुप सी में मोनिका जालोरी, शैलेंद्र जैन एवं सिद्धेश भागवतकर ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान अर्जित किया वहीं जोड़ी में है दम प्रतियोगिता में अलंकृता जैन, निर्जरा जैन, प्रभुता जैन, दक्षता जैन, अंजू नायक और अर्पणा जैन ने प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान अर्जित किया। प्रतियोगिताओं में डॉ महेंद्र जैन, बालेन्द्रु कुशवाह, सुनील जैन तथा हेमलता जैन रचना, श्रीमती ललित मन्या जैन, श्रीमती राखी जैन निर्णायक के रूप में उपस्थित रहे। बहुत ही खूबसूरत अंदाज़ में कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ पारुल जैन तथा सीमा कासलीवाल ने किया। मंदिर के अध्यक्ष नरेंद्र टोंग्या ने बतलाया कि नित्य पूजन, विधान, अभिषेक, प्रवचनों के दौरान शक्ति/साकेत नगर जैन समाज के अतिरिक्त आस-पास के रहवासी भी धर्म लाभ लेने पधार रहे हैं। समस्त व्यवस्थाओं में समिति के सदस्यों सहित सभी लोगों का भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है वहीं भक्ति,पूजन, प्रवचन ,विधान भी हर्षोल्लास से संपन्न हो रहे हैं।

Comments