कैसे सुधरे कांग्रेस अब इस पर किया जाना चाहिए मंथन


प्रदेश प्रभारी की बैठक में जिसे मिला मौका उसी ने निकाली अपनी भड़ास 
कमलनाथ और दिग्विजय को भी नहीं छोड़ा

भोपाल। कांग्रेस की स्थिति देखकर हिंदी की किताब में पढ़ा गया मुहावरा रस्सी जली पर ऐंठन बरकरार वाला याद आया। यह मुहावरा मंगलवार को उस समय अचानक याद आ गया जब पीसीसी की बैठक शुरू हुई और कांग्रेस के नेेताओं ने अपनी-अपनी भड़ास निकालनी शुरू कर दी। अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी पराजय हुई। इस पराजय की जिम्मेदार खुद कांग्रेसी हैं। जिन्होंने संगठन का प्रभारी बनाने से लेकर टिकट वितरण तक में कोई पारदर्शिता का ध्यान रखा। तीन-तीन बार कराये गये सर्वे को दरकिनार किया। अब जब पिछले चुनाव से आधी सीटें ही जीत पाये तो कभी भाजपा के मैनेजमेंट को कोसा तो कभी ईव्हीएम का बहाना बना लिया। लेकिन जो 66 सीटेे कांग्रेस को मिली तो क्या उसमें ईव्हीएम से वोट नहीं पड़ा। कांग्रेसी एक दूसरे पर आरोप लगाने में हमेशा माहिर रहे हैं। सो इस प्रवृत्ति को कैसे बदला जा सकेगा, इस पर मंथन किया जाना चाहिए। रस्सी जली पर ऐंठन बरकरार वाली कहावत से उबरना होगा। तभी जाकर कुछ हो पायेगा।  मंगलवार को प्रदेश कार्यालय में बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में प्रदेश प्रभारी भंवर जितेद्र सिंह के अलावा प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और पीसीसी के पूर्व प्रमुख कमलनाथ भी मौजूद रहे। इसके अलावा प्रदेश के सभी जिलों के अध्यक्ष और संगठन मंत्री को बुलाया गया था जो शामिल हुए। बैठक आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर थी। लेकिन विधानसभा चुनाव में कम वोट मिलने को लेकर भी समीक्षा की गई। इस समीक्षा बैठक मेंं कुछ जिलों के पदाधिकारियों ने दिग्विजय सिंह और कमलनाथ पर अपना गुस्सा उतारा। कहा गया कि रेवड़ी की तरह पद बांटे गये। जो ब्लाक के पदाधिकारी लायक नहीं थे उन्हे जिला और प्रदेेश स्तर के पद दिये गये। संगठन की जिम्मेदारी निभाने वाले दादागिरी पर उतारू रहे। चरण वंदन करने वालों को सिर में बैठाकर रखा गया। जो जमीनी कार्यकत्र्ता थे उनकी पूछ परख नहीं हुई। बैठक में विभिन्न जिलों से आये पदाधिकारियों ने कहा कि हमेशा भोपाल स्तर में खींचतान मची रही जिसका प्रभाव जिलों में पड़ा। कई ऐसे नेेता थे जो विधानसभा चुनाव के लिये पूरे पांच साल तैयारी किये। सर्वे में उनका नाम आया। पर टिकट से दूर हो गये, आखिर क्यों। अगर सर्वे के आधार पर टिकट नही बांटना था तो फिर क्यों सर्वे कराये जाने का नाटक किया गया।

  कैसे मिलेगी लोकसभा में सफलता

 पदाधिकारियों ने कहा जब तक हम सब एक नही होगें लोकसभा में सफलता की उम्मीद करना बेमानी है। संगठन के मुखिया को भेदभाव नहीं करना चाहिए। उसे सबको लेकर चलने की जिम्मेदारी होती है। लेकिन चापलूसों को महत्व दिया जाता है, जमीनी कार्यकत्र्ता हासियें पर रहता है।  

किसने किया भितरघात जांच होनी चाहिए

विधानसभा चुनाव में कई जगह भितरघात किये जानेे की जानकारी पर प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह ने कहा कि जहां से भी लिखित शिकायत आये वहां की जांच कराई जाये और दोषी पर कार्यवाही की जाये। बताया गया कि प्रदेश की कई ऐेसी सीटें हैं जो काफी कम मतों के अंदर से हारी हैं। उसमें कांग्रेस के उन लोगों ने भितरघात किया जो चुनाव लडऩे के लिये टिकट मांग रहे थे और उनका नाम काफी आगे तक बढ़ा और अंत में उनके हांथ से टिकट निकल गई। इसीलिये उनने क्षेत्र में कांग्रेस की वजाय अन्य दलों के प्रत्याशियों से हाथ मिला लिया, लिहाजा कांग्रेस कमजोर हुई। इस तरह के कदम उठाने वाले नेताओं के खिलाफ कार्यवाही की मांग की गई। 

कांग्रेस को मजबूत करें  

प्रदेश प्रभारी भंवर जितेद्र सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर आप सभी एकता का परिचय देते हुए कांग्रेस को मजबूत करें। यह वक्त आरोप-प्रत्यारोप का नहीं है। चुनाव हम कैसे जीत सकते हैं, इस पर जोर देना है। प्रदेश प्रभारी ने कहा जनता भाजपा सरकार से त्रस्त हो चुकी है। हमें इनकी कमजोरी को पकडऩा है और सरकार की नाकामियों को जनता के बीच ले जाकर उन्हे कांग्रेस की रीति-नीति से वाकिफ  कराना है। 

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