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मनुष्य का अन्त:करण ही शिक्षा का मूल: प्रो. दिव्यप्रभा नागर



महर्षि अरविंद: दर्शन, शिक्षा एवं युवा' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी 

भोपाल। विद्या भवन गांधी शिक्षा अध्ययन संस्थान एवं श्रीअरविंद सोसाइटी उदयपुर शाखा के संयुक्त तत्वावधान में 'महर्षि अरविंद, दर्शन, शिक्षा एवं युवा' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन स्थानीय महाविद्यालय में किया गया। संगोष्ठी के आयोजन का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों एवं अध्यापक शिक्षकों को श्रीअरविंद के दर्शन, शिक्षा दर्शन, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ एवं स्वामी विवेकानंद के आलोक में भविष्य के भारत के लिए युवाओं की भूमिका से अवगत कराना था। संगोष्ठी का शुभारंभ दीप प्रज्वलन, प्रार्थना एवं ध्यान द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अतिथियों का परिचय प्रस्तुत करते हुए स्वागत उद्बोधन महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. भगवती अहीर द्वारा दिया गया। श्रीअरविंद सोसाइटी उदयपुर शाखा के अध्यक्ष प्रोफेसर एमपी शर्मा द्वारा अरविंद सोसाइटी के कार्यों व उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया। उद्घाटन सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. पीके  दशोरा, कुलपति मंगलायतन विश्वविद्यालय, बैसला, अलीगढ़ रहे। इन्होंने अपने उद्बोधन में शिक्षा के विभिन्न अर्थ व परिभाषा को स्पष्ट किया। श्रीअरविन्द, स्वामी विवेकानन्द एवं महात्मा गांधी के शैक्षिक दर्शन का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत किया। बीज वक्ता के रूप में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विषय में भी प्रकाश डाला गया। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डॉ. अनुराग प्रियदर्शी मुख्य संचालक, विद्या भवन सोसाइटीे द्वारा की गई। इन्होंने अपने उद्बोधन में वास्तविक अध्यात्म एवं विज्ञान के विषय में अपने विचार प्रस्तुत किये। उद्घाटन सत्र का धन्यवाद डॉ. नरेश माथुर, सचिव, श्रीअरविंद सोसाइटी उदयपुर शाखा द्वारा प्रस्तुत किया गया। सत्र के समापन में जयगान प्रस्तुत किया गया। संगोष्ठी के विभिन्न तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. अपर्णा रॉय, प्रो. अनिल वाजपेयी, प्रो. डीएन दानी, प्रो. एमपी शर्मा एवं डॉ. सरिता जैन ने क्रमश: महर्षि अरविन्द एवं समग्र योग दर्शन, वर्तमान भारत में युवाओं कि भूमिका श्रीअरविन्द के आलोक में, महर्षि अरविन्द एवं शिक्षा, अरविन्द दर्शन एवं शिक्षक की भूमिका तथा शिक्षक शिक्षा के संदर्भ में श्रीअरविन्द विषय पर अपने विचारों से सदन को अवगत कराया।  संगोष्ठी के समापन सत्र का शुभारंभ मंचासीन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. भगवती अहीर द्वारा प्रस्तुत किया गया। संगोष्ठी का प्रतिवेदन गतिविधि संयोजक डॉ. यतीन कुमार चैबीसा द्वारा विस्तृत रूप में प्रस्तुत किया गया। सत्र के दौरान प्रतिभागी विद्यार्थी द्वारा संगोष्ठी प्रतिपुष्टि भी प्रस्तुत की गई। समापन कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन के अंतर्गत प्रो. दिव्यप्रभा नागर ने बताया कि मनुष्य के अन्त: करण को शिक्षा का मूल माना जाता है। उन्होनें अपने वक्तव्य में आत्म साक्षात्कार, चेतना एवं शिक्षक के जीवन में व्यक्तित्व संबंधी गुणों के विषय में बताया। इस सत्र के अंतर्गत प्रतिभागियों द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रकार के प्रश्नों के उत्तरों को मुख्य वक्ताओं द्वारा दिए गए। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद श्री दुष्यंत कुमार अग्रवाल, उपाध्यक्ष, श्रीअरविंद सोसाइटी उदयपुर शाखा द्वारा ज्ञापित किया गया। राष्ट्रगान द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन किया गया।  संगोष्ठी के दौरान सभी मुख्य वक्ताओं एवं विशिष्ट अतिथियों का सम्मान उपरणा, पगड़ी, शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ देवेंद्रा आमेटा द्वारा किया गया। समस्त तकनीकी सत्रों का संचालन महाविद्यालय व्याख्याता डॉ निर्मला शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम के विभिन्न तकनीकी सत्रों में प्रो. डीएन दानी, प्रो. एमपी शर्मा, डॉ. तारा कुमावत एवं डॉ. सुषमा इंटोदिया ने संयोजक की भूमिका निभाई। विभिन्न सत्रों के दौरान प्रतिवेदन लेखन का दायित्व डॉ. प्रियंका जैन एवं डॉ. प्रियंका चैधरीे द्वारा निर्वहन किया गया। संगोष्ठी में विद्या भवन सोसाइटी व उसकी विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी, श्रीअरविंद सोसायटी उदयपुर शाखा के पदाधिकारी, महाविद्यालय के संकाय सदस्य, शहर के विभिन्न शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय के प्राचार्य व व्याख्याता, शोधार्थी, विद्यालय के शिक्षक, एवं छात्राध्यापक उपस्थित थे। संगोष्ठी का ऑफलाइन व ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आयोजन किया गया। संगोष्ठी में लगभग 110 प्रतिभागियों ने भाग लिया। संगोष्ठी श्रीअरविंद सोसायटी हिंदी क्षेत्रीय समिति द्वारा प्रायोजित की गई। उक्त समस्त जानकारी महाविद्यालय के गतिविधि संयोजक डॉ यतीन कुमार चौबीसा द्वारा प्रस्तुत की गई।

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