मुख्यमंत्री बनने के बाद भी सुविधाओं का इस्तेमाल खुद या परिवार के लिए नहीं किया
समस्तीपुर। कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। ढाई साल के शासन में उन्होंने गरीब, दलित और पिछड़ों के लिए ऐतिहासिक फैसले किए। 1952 से 1984 तक वह कभी विधानसभा चुनाव नहीं हारे। इसके बाद भी वह अपने जातिगत नाई पेशे का सम्मान बनाए रखा। सीएम बनने के बाद भी उनके पिता गोकुल ठाकुर नाईं के परंपरागत पेशे से ही गुजर-बसर करते रहे। एक बार खुद कर्पूरी ठाकुर ने गांव की एक शादी में नाईं की भूमिका निभाई । इससे पहले भी वह अपने पिता का अपमान करने वाले एक दबंग के घर उस्तरा लेकर दाढ़ी बनाने पहुंच गए थे। उन्हें अपने जातीय पेशे पर गर्व था। जब भी उनके परिवार के लोग नौकरी की सिफारिश लेकर पहुंचते, तो वह उन्हें परंपरागत पेशा अपनाने की सलाह भी देते थे।
यजमान का ख्याल रखना ही पड़ेगा, शादी में निभाई नाई की रीत
बिहार में होने वाली शादियों में नाईं (हज्जाम), बरही, कुम्हार और धोबी समेत कई जातियों की रस्में होती हैं। दूल्हा और दुल्हन पक्ष के नाईं बरात से विदाई तक मौजूद रहते हैं। गांवों में नाईंयों के गृहस्थ यजमान भी तय होते हैं। कर्पूरी ठाकुर के निजी सचिव रहे सुरेंद्र किशोर उनकी कई यादों को साझा कर चुके हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में 1979 की घटना बताई, जब कर्पूरी ठाकुर दूसरी बार सीएम पद से हटे थे। इसके बाद वह अपने गांव पितौंझिया लौट आए। अप्रैल के महीने में शादियों का सीजन पीक पर था। कर्पूरी ठाकुर के परिवार के पुरुष सदस्य दूसरे यजमानों के घर जा चुके थे। उनके एक यजमान के घर से शादी में रस्म निभाने का बुलावा आ गया। मौके की नजाकत देखते हुए खुद कर्पूरी ठाकुर अपने बेटे को लेकर शादी में रस्म निभाने पहुंच गए। वह परंपरागत रीति के मुताबिक अपने साथ पानी का घड़ा और आम के पत्ते भी लेकर पहुंचे। जब उन्होंने रस्में निभानी शुरू की तो वहां मौजूद लोगों ने उन्हें रोका तो उन्होंने कहा कि यजमान का ख्याल रखना ही होगा। फिर उनके बेटे रामनाथ ठाकुर ने रीति को पूरा किया।
दबंग ने पिता का अपमान किया तो खुद हजामत करने पहुंचे सीएम कर्पूरी
कर्पूरी ठाकुर के हज्जाम पेशे से जुड़ा एक और वाकया कर्पूरीग्राम के लोग आज भी याद करते हैं। 1970 में जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बने, उनके पैतृक घर पर लोगों का तांता लग गया। कर्पूरी ठाकुर के पिता गोकुल ठाकुर लोगों के स्वागत में व्यस्त हो गए, इस कारण वह गांव के दबंग के यहां समय से नहीं पहुंचे। जब वह थोड़ी देर बाद दबंग के घर पहुंचे तो उनके साथ बदसलूकी की गई। गोकुल ठाकुर को काफी भला-बुरा कहा और मारपीट की। जब यह जानकारी सीएम कर्पूरी ठाकुर को मिली तो वह अपने गांव आए। प्रशासन को घटना की खबर मिली तो पुलिस ने दबंग को घर को घेर लिया। लोगों को लगा कि कर्पूरी ठाकुर उनके खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई कराएंगे। कर्पूरी ठाकुर उस्तरा और हजामत का सामान लेकर दबंग के कोठी पहुंचे। उन्होंने दबंग से कहा कि मेरे पिताजी बूढ़े हो गए हैं, आप कहें तो आपकी हजामत कर दूं।
रिश्तेदार को दिए 50 रुपये, गर्व से करें लोगों की हजामत
कर्पूरी ठाकुर के सहयोगी रहे प्रेम कुमार मणि ने भी एक इंटरव्यू में उनके उसूलों के बारे में जानकारी दी। सीएम रहने के दौरान कर्पूरी ठाकुर ने किसी के लिए नौकरी की पैरवी नहीं की। जब भी कोई नौकरी के लिए उनके पास जाता तो वह उन्हें परंपरागत पेशे को अपनाने की सलाह देते थे। उनका एक रिश्तेदार भी नौकरी की आस में पहुंच गया। रिश्ते में वह कर्पूरी ठाकुर का बहनोई था। उन्होंने बहनोई का हाल-चाल पूछा। उनकी बातें सुनीं, फिर अपनी जेब से 50 रुपये निकालकर दे दिए। उन्होंने इन पैसों से उस्तरा, कैंची और हजामत का सामान खरीदने की सलाह दी कहा कि जाइए, अपना पुश्तैनी काम शुरू करिए। उन्होंने उसे समझाया कि नाईं पेशे को भी गर्व से किया जा सकता है। उनके दो टूक से रिश्तेदार नाराज भी हुआ।
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