मोदी की मंशा पर भारी पीएचई के ईएनसी सोनगरिया की मनमानी



जल जीवन मिशन को मध्यप्रदेश में लगा ग्रहण, सामने आई अफसरों की कारगुजारी

लगभग 150 करोड़ के भुगतान लंबित होने से भुखमरी की कगार पर पहुंची कार्य करने वाली संस्थाएं

भोपाल। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा जल जीवन मिशन के जरिए आम जनता के लिए घर - घर पानी पहुंचाने की है, पर मध्यप्रदेश में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अफसरों की मनमानी मोदी की मंशा पर भारी पड़ती नजर आ रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया की मनमानी  नल जल योजनाओं के क्रियान्वयन में रुकावट बन रही है। दरअसल जल जीवन मिशन अंतर्गत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली नल जल योजना तथा मध्यप्रदेश जल निगम मर्यादित द्वारा क्रियान्वित की जाने वाली अंतः ग्राम नल जल योजनाओं के क्रियान्वयन में ग्राम पंचायत/ ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के सहयोग हेतु विभाग में क्रियान्वन सहायक संस्थाओं को सूचीबद्ध किया गया था। इन संस्थाओं को पांच साल पहले लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी सेवा विभाग द्वारा कार्य करने के लिए विभाग में सूचीबद्ध किया गया था।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य निष्पादन के लिए इन संस्थाओं को सूचीबद्ध करने के बाद टेंडर के माध्यम से पात्र पाए जाने पर संबंधित क्षेत्रों के कार्य आदेश जारी किए गए थे। लगभग 5 सालों से 200 से ज्यादा स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी  विभाग द्वारा ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में जल जीवन मिशन की योजनाओं को अमली जामा पहनाने की कोशिश की जा रही है। जानकारी के अनुसार सभी संस्थाओं द्वारा कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया था। कुछ संस्थाओं के तो कार्य भी पूर्ण हो चुके हैं जबकि कुछ के दूसरे और अंतिम चरण में कार्य हो रहे थे। पर अचानक इन सभी सहायक संस्थाओं के कार्य भुगतान यह बताकर रोक दिए गए कि उनके द्वारा विभाग में सूचीबद्ध करने के लिए लगाए गए दस्तावेजों की विभाग द्वारा पड़ताल की जानी है। लगभग 6 महीने होने को आए हैं और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग इन संस्थाओं को जांच के नाम पर उलझा कर रख दिया है। इन संस्थाओं के कार्य का न तो भुगतान किया जा रहा है और न जांच की कार्रवाई समय पर पूरी की जा रही है। 

पीएमयू की कार्यप्रणाली पर लगातार उठ रहे सवाल 

 लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया की मनमानी और बेवजह की जांच के चलते लगभग 100 से 150 करोड़ का भुगतान  लंबित हो गया है। प्रमुख अभियंता के द्वारा भुगतान पर रोक लगाए हुए 6 माह लगभग हो रहे हैं इसके बावजूद अभी तक किसी भी संस्था की कोई जांच पूर्ण नहीं हो पाई है । अयोग्य और आउटसोर्स कर्मचारियों से जांच करवाने की प्रक्रिया में पीएचईडी के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी के जल जीवन योजना को पलीता लगा दिया है। परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) के आउटसोर्स कर्मचारियो द्वारा पिछले 4 माह से कर्मचारियों के द्वारा कार्यरत सहायक संस्थाओं के कागजों की जांच और दोबारा जांच करने को लेकर संस्थाओं का शोषण किया  जा रहा है। गौरतलब है कि पीएमयू को संचालन करने का टेंडर लेक्सस नामक संस्था को मिला है। सूत्रों के अनुसार यह एक पूर्व प्रमुख अभियंता के बेटे के द्वारा संचालित की जा रही है, जिसमें स्तरहीन कर्मचारियों की नियुक्ति कर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से 75 करोड़ का टेंडर हासिल कर लिया है। अब लेक्सस कंपनी के आउटसोर्स स्टाफ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को गुमराह कर उनसे मनमानी फैसले करवा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस कंपनी के कर्मचारी प्रबल प्रताप सिंह और महेंद्र गुप्ता पीएचईडी में कार्यरत सहायक संस्थाओं से कमीशन ऐठने के चक्कर में इस तरह की कार्यगुजारी ईएनसी श्री सोनगरिया और उनके मातहत अफसरों से करवाते जा रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन पर कुंडली मारकर बैठ गए हैं।

पांच साल बाद आई दस्तावेजों की याद 

मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन के क्रियान्वयन में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अफसरों की मनमानी और लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि विभाग में सूचीबद्ध 200 से ऊपर स्वयं सेवी संस्थाओं को 2019 और 2020 में सूचीबद्ध करने के बाद इन संस्थाओं से कार्य करवा लिए और बीच में कई बार भुगतान भी कर दिया और अब जब कई संस्थाओं के कार्य के बाद भुगतान की बारी आई तो अब उनके दस्तावेज देखने के नाम पर उनके भुगतान रोककर एक तो उन संस्थाओं को परेशान किया जा रहा वहीं दूसरी ओर क्रियान्वयन सहायक संस्थाओं के दस्तावेजों को जांच के नाम पर मंगाने के बाद उनको टेंपरिंग करने की जानकारी भी सामने आ रही है। सूत्र बताते हैं कि ऐसा करने के पीछे पीएमएयू के कर्मचारियों की मंशा शायद स्वयं सेवी संस्थाओं से जबरिया वसूली की रही होगी। अब पीएचईडी और पीएमयू के द्वारा कार्य में रुकावट के चलते मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन का कार्य प्रभावित हो रहा है। अब देखना यह है कि मोहन सरकार कब तक पीएचईडी के इन अफसरों की मनमानी पर लगाम कस पाती है।

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