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आइये हम सब मिलकर सफल बनाए "एक पेड़ मां के नाम अभियान"



डॉ. मोहन यादव

भोपाल : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व पर्यावरण दिवस के पुनीत अवसर पर 5 जून को बुद्ध जयंती पार्क में एक पौधा लगाकर "एक पेड़ मां के नाम" अभियान की शुरुआत की थी। उन्होंने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम "मन की बात" के 111 वें एपिसोड में इस अभियान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रत्येक देशवासी से अपनी मां के प्रति सम्मान स्वरूप कम से कम एक पौधा अवश्य लगाने की मार्मिक अपील की थी। प्रधानमंत्री की उस मार्मिक अपील ने देशवासियों के दिलों को छू लिया और देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों के बीच अपनी मां के प्रति अपने सम्मान की अभिव्यक्ति के रूप में पौधे रोपित करने की होड़ लग गई। एक माह के अंदर ही देश भर में करोड़ों पौधे लगाए जा चुके हैं और यह अभियान 140 करोड़ पेड़ लगाने के लक्ष्य की ओर द्रुत गति से आगे बढ़ रहा है। हर भारतवासी अपूर्व उत्साह के साथ इस अभियान में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए आतुर है। पर्यावरण की सुरक्षा और समृद्धि के लिए समर्पित इस अभियान को मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की अनूठी उपलब्धि मानते हुए उन्हें मध्यप्रदेश की जनता की ओर से साधुवाद देता हूं। इसमें कोई संदेह नहीं कि "एक पेड़ मां के नाम" अभियान आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने, धरती का तापमान कम करने, भूजल स्तर को ऊपर लाने और प्रदूषण नियंत्रण में महत्वपूर्ण योगदान करने में समर्थ होगा।
मुझे प्रसन्नता है कि भारतीय जनसंघ (वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी) के संस्थापक और महान देशभक्त स्वर्गीय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्म दिवस की शुभ तिथि 6 जुलाई से एक पखवाड़े के अंदर भोपाल जिले में 20 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। अकेले 6 जुलाई को भोपाल जिले में विभिन्न स्थानों पर 12 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है। 6 जुलाई को नगर निगम भोपाल द्वारा 300 स्थानों पर पौधे लगाने के लिए सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। भोपाल में 480 हेक्टेयर क्षेत्र में 20 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसी तरह प्रदेश की औद्योगिक राजधानी इंदौर में 51 लाख पौधे लगाने के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा चुका है। एक जुलाई से 15 जुलाई तक "एक पेड़ मां के नाम" अभियान को युद्ध स्तर पर संचालित किया जा रहा है। एक पखवाड़े तक चलने वाले इस अभियान को सफल बनाने के लिए सभी आवश्यक तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। मुझे पूरा विश्वास है कि मध्यप्रदेश "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के अंतर्गत जन-जन की भागीदारी से एक पखवाड़े के अंदर अपना लक्ष्य प्राप्त करने में सफल होगा। हम निश्चित रूप से सारे देश में एक अनूठा कीर्तिमान स्थापित करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। प्रदेश के हर शहर, गांव और कस्बे के लोगों में इस अभियान जुड़ने की जो उत्कंठा जाग उठी है वह उनके मन में मां के प्रति अगाध श्रद्धा और आदर की परिचायक तो है ही, साथ ही यह प्रधानमंत्री मोदी के प्रति उनके विश्वास और प्रेम की अभिव्यक्ति भी है। मध्यप्रदेश सरकार प्रधानमंत्री के इस भरोसे की कसौटी पर खरा उतरने के लिए कटिबद्ध है कि केंद्र सरकार की अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं और अभियानों की भांति" एक पेड़ मां के नाम "अभियान की सफलता में भी मध्यप्रदेश का योगदान अहम साबित होगा। यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश ने 2017 में भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही देश में एक दिन में सबसे ज्यादा पौधे लगाने का कीर्तिमान स्थापित किया था। तब 15 लाख वालंटियर ने प्रदेश भर में 12 घंटे में 6. 6 करोड़ से अधिक पौधे लगाए थे। तत्कालीन भाजपा सरकार के उस अविस्मरणीय अभियान में प्रदेश की जीवन रेखा पुण्य सलिला नर्मदा के किनारे 20 अलग-अलग प्रजातियों के पौधे लगाए गए थे। मुझे विश्वास है कि जन-जन की भागीदारी से "एक पेड़ मां के नाम" अभियान में भी मध्यप्रदेश का योगदान से पर्यावरण की सुरक्षा के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने में सफल होगा।
मैं मानता हूं कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने पर्यावरण रक्षा के इस पुनीत अभियान को "एक पेड़ मां के नाम" का रूप देकर इसे मातृवंदना से जोड़ने की जो स्तुत्य पहल की है उसके लिए वे भूरि-भूरि प्रशंसा के हकदार हैं। प्रधानमंत्री मोदी का अपनी मां के प्रति जो समर्पण और श्रद्धाभाव रहा है वह हम सबके लिए प्रेरणा का विषय है। इस अभियान का एक निहितार्थ यह भी है कि हम सब प्रकृति की गोद में ही पलकर बड़े होते हैं। अतः इस अभियान से जुड़ कर हमें प्रकृति के प्रति अपने फर्ज को भी पूरा करने की संतुष्टि मिल सकती है। मैं प्रदेशवासियों से हार्दिक अपील करता हूं कि वे इस पुनीत अभियान को सफल बनाने के लिए तत्परता से आगे आकर इसमें प्राणपण से सहयोग प्रदान करें। यशस्वी प्रधानमंत्री की पहल पर शुरू किया गया यह पुनीत अभियान पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में किए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान करने में समर्थ होगा।
 (लेखक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री है)

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