विश्व संगीत दिवस पर विशेष आलेख डा आरती सिन्हा खुशी हो या फिर गम, संगीत दिल को सुकून देता है। कहते हैं संगीत की कोई भाषा नहीं होती, यह सरहदों के पार होता है, दिल से निकलकर दिल तक पहुंचता है। संगीत को प्रेम की भाषा भी कहा जाता है। किसी के दिन की शुरूआत संगीत से होती है तो किसी की रात संगीत पर खत्म हो जाती है। संगीत की इसी विशेषता को उजागर करता है विश्व संगीत दिवस। हर साल 21 जून के दिन विश्व योग दिवस के साथ ही विश्व संगीत दिवस भी मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरूआत साल 1982 में फ्रांस से हुई थी। हर बार की तरह इस बार भी सुबह की सार्थक शुरुआत योग एवम विश्व संगीत दिवस की चर्चा के साथ हुई। मन, मस्तिष्क की एकाग्रता, प्रसन्नचित्त व्यक्तित्व योग शास्त्र की देन है। संगीत में स्वरों की शुद्धता पर जोर दिया जाता है, वहीं योग शास्त्र में आसन व मुद्राओं पर जोर दिया जाता है। दोनों में ही स्वर व मुद्रा की श्रेष्ठता से आनंद और स्वास्थ्य पाया जा सकता है। इस दृष्टि से देखा जाए तो दोनों शास्त्र यानी संगीत और योग एक दूसरे के पूरक हैं। संगीत के बिना योग अधूरा है और योग के बिना संगीत अधूरा है। जब हम ...