25 सालों से नहीं हुई भर्ती, प्रायवेट कॉलेजों में पढ़ाने को मजबूर


पटवारी को सौंपा ज्ञापन, टीचिंग एवं रिसर्च के अनुभव को  अगली चयन परीक्षा में अतिरिक्त अंक देने की मांग


भोपाल। प्रदेशभर के प्राइवेट कॉलेजों में कार्यरत सहायक प्राध्यापकों के "एलिजिबल  इंटेलेक्चुअल कमिटी" के सदस्यों ने उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी को ज्ञापन सौंपा। इस समिति के पांच सह संयोजक डॉ. प्रीति चिंचोलीकर, डॉ. प्रीति गुप्ता, डॉ. रुचि दुबे शर्मा, डॉ. अंशुमाला, डॉ. बृजेन्द्र शर्मा ने अपना ज्ञापन सौंपते हुए यह मांग रखी है कि उनके टीचिंग एवं रिसर्च के अनुभव को भी सरकार अगली एमपीपीएससी सहायक प्राध्यापक चयन परीक्षा में अतिरिक्त अंक देकर (अधिकतम 20) समानता के अधिकार का पालन करें। उनकी समिति में कुल 10000 से अधिक ऐसे बुद्धिजीवी है जो पुरस्कृत विद्वान है। सरकार द्वारा कोई भी नियुक्ति की प्रक्रिया पिछले 25 सालों में (2017 को छोड़कर) न होने के कारणवश सभी प्राइवेट कॉलेजों में कार्य करने के लिए मजबूर हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि इसी कारण बहुत सारे विद्वान अपने आयु सीमा भी पार कर गए हैं। उनको मप्र लोक सेवा आयोग की सहायक प्राध्यापक चयन परीक्षा में बैठने तक का मौका नहीं मिला है। उनके टीचिंग एवं रिसर्च कार्य के अनुभव को मप्र लोकसेवा आयोग की सहायक प्राध्यापक चयन परीक्षा में कोई भी मान्यता नहीं दी जाती है।  जब कि ये भी यूजीसी मान्यता प्राप्त महाविद्यालय में ही पढ़ाते हैं। इज़के अलावा यूजीसी की शर्ते, पाठ्यक्रम इत्यादि सरकारी महाविद्यालयों के अनुरूप ही करते हैं। वे चाहते है, की फिर से चयन परीक्षा हो, और उनके अर्हताओं को भी सामान रूप से मान मिले। ज्ञापन में कहा गया है कि अगली चयन  परीक्षा  में प्राइवेट कॉलेज में कार्यरत नेट, स्लेट और पीएचडी अर्हताधारी शिक्षकों को भी अनुभव के समान अंक दिए जाए एवं आयु सीमा में भी राहत दी जाए।


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