महिलाओं की प्लास्टिक मुक्त स्वास्थ्य और सुरक्षा

महिलाओं की प्लास्टिक मुक्त स्वास्थ्य और सुरक्षा


भोपाल। महिलाओं से जुड़ी कुछ समस्याएं आज भी ऐसी हैं जिन पर समाज मे खुलकर बात नहीं की जाती, जो शर्म और संकोच के कारण बढ़ती ही जा रही हैं। आज से कई सालों पहले की बात करें, जब इतनी आधुनिकता नहीं थी और साधन भी सीमित थे, परन्तु उन सीमित साधनों में मिलावट नहीं थी । प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग होता था। जो कपडे पहने जाते थे वो सूती या खादी के होते थे । आज सूती या खादी के वस्त्र आमजन की पहुंच से परे हैं। कपड़ों की कई वैराईटी मार्केट में उपलब्ध है। वैसे ही आज की सब्जियां-फल सभी में कहीं न कहीं केमिकल पाया जाता है, जो सेहत के लिए नुकसानदेह है। वहीं प्लास्टिक के उपयोग से स्वास्थ्य को और पर्यावरण को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पहले की अपेक्षा बीमारियों के अनुपात में भी वृद्धि हुई है । खासकर महिलाओं में ऑवरी में सिस्ट, अनियमित माहवारी, बांझपन, फंगल इन्फेक्शन और भी न जाने क्या क्या। इस का मुख्य कारण है जीवन शैली में उपयोग की गई प्लास्टिक निर्मित चीजों का उपयोग। पहले महिलाएं माहवारी के उन कठिन चार दिनों मे सूती कपड़े का उपयोग करती थीं धीरे धीरे बदलाव आया और मार्केट मे उपलब्ध सेनेटरी नैपकिन का उपयोग करने लगी। लेकिन शोध से पता चलता है की उन सेनेटरी नैपकिन के उपयोग से कुछ समय की सुविधा तो मिली परंतु अन्जानी बीमारियों को निमंत्रण भी मिला जिसके परिणामस्वरूप हर चौथी पांचवी महिला में कैंसर जैसी लाईलाज बीमारी के लक्षण पाए जाने लगे। क्योकि अधिकतर सेनेटरी पैड में कॉटन या प्लास्टिक का उपयोग किया गया है जो कि बहुत हानिकारक है। जिसकी प्रतिक्रिया बीमारियों के रूप में सामने आई। इसी श्रंखला मे स्नो फील के जो सेनेटरी नैपकिन हैं पूर्णतः प्लास्टिक रहित हैं। आठ परतों से बने यह पैड और उसमे लगी हुई एक निगेटिव एनाईन चिप उन कठिन परेशानी वाले दिनों को आसान बनाने में कारगर है । यह चिप बैक्टीरिया खत्म करने की अद्भुत क्षमता रखती है । यह दर्द निवारक होने के साथ-साथ तनाव व अवसाद भरे उन दिनों को सकारात्मक और उर्जावान बने रहने में सहायता करती है।
यह एक बहुत अच्छी और सार्थक पहल है, पर्यावरण के सा-साथ महिलाओं को भी प्लास्टिक मुक्त स्वास्थ्य व सुरक्षा प्रदान करने की।



-सुषमा सिंह, भोपाल


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