प्रभात झा के ट्वीट के तलाशे जा रहे सियासी मायने


 भोपाल । भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा रविवार को अचानक सोशल मीडिया में सक्रिय हो उठे। उन्होंने एक के बाद एक कई ट्वीट कर अपरोक्ष रूप से अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं पर सवाल खड़ा कर उन्हें कठघरे में घेरने की कोशिश की है। झा का ट्वीट यह बताता है कि वह खुद इस राजनीतिक चक्रव्यूह में उतरना चाहते थे। उन्हें तो बस अपने मन की भड़ास निकालने एक सही राजनीतिक घटनाक्रम का इंतिजार था। लिहाज संघ द्वारा भाजपा संगठन से पूर्व राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल को वापस बुलाये जाने पर प्रभात को अपने मन की बात कहने का सुअवसर मिल ही गया। हलाकि प्रभात झा के इस राजनीतिक ट्वीट के कई सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं । क्योंकि यह ट्वीट पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं की कार्यप्रणाली पर सवाल भी खड़े करते हैं। यह बात अलग है कि रामलाल के संगठन से विदाई के तुरन्त बाद आये इस ट्वीट को उनकी कार्यप्रणाली से जोड़कर देखा जा रहा है। पर कहीं न कहीं राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के कुछ और नेताओं की कार्यशैली को भी इस ट्वीट के माध्यम से आंका जा सकता है। फिलहाल ट्वीट कर प्रभात झा ने खामोशी ओढ़ ली है।


क्या है प्रभात का ट्वीट 


प्रभात झा ने ट्वीट किया कि - 'कुछ लोग इंसान होते हुए भी अपने को भगवान मानने लगते हैं। अच्छा व्यक्ति 'संगठक' वह है जो हर व्यक्ति को काम में जुटा ले। जो खुद भी काम नहीं करते और किसी को करने नहीं देते, वे लोग सदैव असफल होते हैं। इसलिए हमेशा अपने काम पर विश्वास रखें। झा ने कहा- आपको अवसर मिल गया और उन्हें अवसर नहीं मिला। अगर आपको अवसर मिला है तो सभी की योग्यता का लाभ लेना चाहिए। 'कम बोलना' अच्छा है। कम बोलने से यह भी बात आती है कि इन्हें बोलना ही नहीं है और बोलना आता ही नहीं है।
ज्यादा नहीं बोलने पर यह तो सोचें कि नहीं बोलने के चक्कर में सच का गला तो नहीं घोंटा जा रहा। आप जो आज हैं, कल नहीं थे। साथ ही कल भी नहीं रहेंगे, अतः आपका व्यवहार ही आपका जीवन भर साथ देगा। “आप' और “हम', “मैं'और “तू' में अंतर है। एक में विनम्रता है तो दूसरे में अपनत्व। यह राग बिगड़ता है तो मानवीय संबंध बिगड़ जाते हैं। सामान्य तौर पर आप जब किसी निर्णायक पद पर आएं तो राजा हरिश्चंद्र के चरित्र को अवश्य अपने सामने रखें। डाल पर यदि जरूरत से ज्यादा फल आ जाएं तो वह टूट जाती है। 'संतुलन' शब्द को जीवन में सदैव समझते रहना चाहिए। 'अवसर' को बांटो पर चाटो नहीं। मन में कभी यह भाव नहीं आना चाहिए कि मैं ही समझदार हूं। आपके अलावा भी लोग समझदार हैं।


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