रश्मि दुबे की कविता- जिंदगी


कविता- जिंदगी


जिंदगी में कुछ अलग ना कर सके गम है इसका
यूं तो मौत के करीब जाकर भी
नाम कमा ना सके
गम है इसका
सभी रिश्तो को सींचकर, सहेजना चाहा, पर सहेजना सके
गम है इसका
शायद अपने जीते जी गर्व से अपनों का सीना चौड़ा न कर सकी
गम है इसका
सब चाहते हैं मुझसे खुशियों की छांव
खुद को मिटाकर भी
पूरा कर न सकी
गम है इसका
कहते हैं आगे बढ़ने के लिए दुनिया की तरह बनना होगा
चाह कर भी कर न सकी ऐसा
गम है इसका


रश्मि दुबे


लेखिका एवं चित्रकार


भोपाल


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