धरती की कक्षा से निकल कर  चांद  के रहस्य से पर्दा उठाएगा चंद्रायन-2


भारत का मून मिशन चंद्रयान 2 : चाँद के दक्षिणी ध्रुव में उतरेगा यान


भोपाल। 22 अक्टूबर 2008 वह दिन था जब भारतीय अंतरिक्ष मिशन में एक लंबी छलांग लगाई थी। 11 साल बाद 2019 में चंद्रयान 1 ने जिस सफर को शुरू किया था, उस सफर को आगे बढ़ाने जा रहा है चंद्रयान 2। लेकिन ये सफर ऐतिहासिक भी है और चुनौतियों और जोखिमो से भरा हुआ भी है, क्योंकि चंद्रयान 2 को चांद के उस अंधेरे और बहुत ज़्यादा ठंडे इलाके में उतरना है जहां आज तक कोई जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मिशन के साथ ही भारत उन देशों की कतार में खड़ा हो जाएगा जो चांद की सतह पर उतरने का कारनामा कर चुके हैं और शायद उन रहस्यों से भी परदा उठा सके जो आज तक मूनवॉक की थ्योरी से जुड़े रहे हैं। मुमकिन है कि चंद्रयान 2 का सफर उन सवालों के जवाब भी दे सके जो जुलाई 1969 में मिशन अपोलो के बाद दुनिया ने उठाए थे। 


नासा ने चांद पर रिसर्च करने के लिए अपोलो 1 से लेकर अपोलो 17 तक मिशन चलाया। इसमें तीन मिशन फेल भी रहे। लेकिन मानव को चांद पर पहुंचाने के बाद अमेरिका ने एकाएक मिशन अपोलो बंद कर दिया और उसकी बहुत सारी तस्वीरों जारी करने पर रोक लगादी। इसके पीछे दावा किया जाता है कि मिशन पर गए कुछ अंतरिक्षयात्रियों ने ये महसूस किया था चांद पर उनसे पहले भी कोई  मौजूद था। अंतरिक्ष यात्रियों की इस कहानी की शुरुआत होती है 16 जुलाई 1969 से। उस दिन अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में मेरिट द्वीप से अपोलो 11 उड़ान भर रहा था। मानव पहली बार चांद पर उतरने वाला था और ये इतिहास रचने वाले थे नील आर्मस्ट्रॉन्ग और उनके साथी  बज ऐल्ड्रिन।


पहले तो इस थ्योरी पर ही सवाल उठाए गए कि अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चांद पर उतरे ही नहीं। दावा किया गया कि शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने रूस पर दबाव बनाने के लिए स्टूडियो में शूटिंग करके ये साबित करने की कोशिश की है वो चांद पर इन्सान भेजने वाला पहला देश  बन गया है।लेकिन क्रू में मौजूद बज ऐल्ड्रिन ने 30 साल बाद एक इंटरव्यू में दावा किया कि चांद पर एक अन्जानी रोशनी ने उनका पीछा किया था। ऐल्ड्रिन ने इस बात की जानकारी नासा के अधिकारियों को भी दी थी। लेकिन नासा ने चांद पर उतरने वाले अंतरिक्ष यात्रियों से मिली इस तरह की जानकारी को बरसों बरस छुपाए रखा।


नासा ने 2017 में 800 से ज़्यादा गोपनीय तस्वीरें जारी की थीं। इन तस्वीरों को देखकर ऐसा अहसास होता है कि इन्सान से पहले भी कोई चांद पर मौजूद है या रहा होगा।अपोलो मिशन के तहत 24 अंतरिक्ष यात्री चांद पर गए थे। इनके साथ गए ऑरबिटर ने चांद की सतह की तस्वीरें उतारीं और इन्हें देखने के बाद उनके दावे सही लगने लगते हैं। ये तस्वीरें अपोलो मिशन पर गए अंतरिक्ष यात्रियों ने खुद उतारी थीं। जिन्हें पहली बार जारी किया गया है। क्या ये एलियन्स की बस्ती है?  या फिर कोई परमाणु रिएक्टर है या फिर भ्रम?दुनियाभर के एक्सपर्ट्स ने ये तस्वीरें देखीं, जांचने परखने कीकोशिश की, लेकिन सही सही अंदाजा कोई नहीं लगा सका है। अपोलो मिशन के दौरान चांद पर ली गई ये तस्वीरें आज भी रहस्यमयी पहेली बनी हुई हैं। दावा है कि इन्हीं तस्वीरों के मिलने के बाद ही नासा ने मिशन मून अचानक बंद कर दिया। इन रहस्यों से परदा उठाने में इंसान तो नाकाम ही रहा है लेकिन अब चंद्रयान 2 की मेगा मशीनरी चांद के दक्षिण ध्रुव पर उतरने की तैयारी में है। मुमकिनहै कि धरती के सब से करीबी और इकलौते उपग्रह के कई राज़ से परदा उठ जाए।


धरती की कक्षा से निकल कर चंद्रयान 2 चांद की सतह पर 7 सितंबर को उतरेगा जिसे अंतरिक्ष विज्ञान की भाषा में सॉफ्ट टच कहा जाता है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार कोई देश लैंडर उतार रहा है। इसके बाद भारत का प्रज्ञान नाम कारोवर चांद की सतह पर रिसर्च करेगा। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर रिसर्च करना बहुत बड़ी चुनौती साबित होगा, क्योंकि चांद का दक्षिणी ध्रुव अंधेरे में डूबा हुआ इलाका है जहाँ सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती। इसकी वजह से दक्षिणी ध्रुव का तापमान-248 डिग्री सेल्सियस रहता है। वहाँ पर बने बड़े गड्ढों में बर्फ होने की भी बहुत संभावना है। अनुमान है कि दक्षिणी ध्रुव पर पानी का भंडार हो सकता है। यहां पर कई बड़े क्रेटर हैं जिनमें सबसे बड़ा क्रेटर 20 किलोमीटर तक हो सकता है। चंद्रयान 2 का लैंडर विक्रम जब चांद पर उतरेगा तो दक्षिणी ध्रुव के बहुत बड़े इलाके को सेंसर से स्कैन करेगा। सही जगह मिलने पर लैंडर विक्रम खुद तय करेगा कि उसे किस जगह पर उतरना है। चांद के अंधेरे इलाके में जब रोवर प्रज्ञान रिसर्च करेगा तो कई रहस्यों से परदे उठेंगे, लेकिन चांद पर जाने वाले वैज्ञानिकों ने भी चांद के कई रहस्मयी किस्से कहे सुनाए हैं


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