रूठा मानसून, औसत से 11 प्रतिशत कम हुई बारिश


15 जिलों में 15 लाख हेक्टेयर में नहीं हो पाई बोवनी


भोपाल । रबी फसलों का रिकार्ड उत्पाद करने वाले किसानों को मानसून की बेरूखी आफत बन सकती है। मप्र में मानसून आने के दो महीने बाद भी प्रदेश में ठीक से बारिश नहीं हो रही है। ऐसे में अब तक यह औसत तक भी नहीं पहुंच पाई है। जून में झमाझम बारिश से सभी रिकॉर्ड टूट गए, लेकिन अब भी यह औसत से 11 प्रतिशत कम है। इस कारण 15 जिलों में करीब 15 लाख हेक्टेयर में बोवनी प्रभावित हुई है। धान की फसल रोपने के लिए नहरों से पानी छोड़ा जा रहा है।
वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक जेडी मिश्रा ने बताया कि जून में 114 प्रतिशत से भी ज्यादा बारिश हुई थी, लेकिन जुलाई में मानसून की बेरुखी चल है। ऐसे में 1 जून से 28 जुलाई तक 399.8 मिमी पानी गिर जाना था, लेकिन अब तक सिर्फ 357.6 मिमी बारिश ही हुई है। इसका प्रभाव बुवाई पर पड़ा है। कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि प्रदेश में इस बार 145 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बोवनी का लक्ष्य रखा गया है। शुरुआत दौर में अच्छी बारिश होने के कारण बोवनी तेजी के साथ हुई लेकिन फिर लंबा अंतराल आ गया। इसकी वजह से जो बोवनी हुई थी वो भी प्रभावित हुई और नए क्षेत्र में बोवनी भी नहीं हो पा रही है। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में किसानों को हरसंभव मदद दी जाएगी जिससे वह कर्ज में नहीं डूबें।


52 में से 34 जिलों में औसत से कम


राज्य के अलग-अलग जिलों की बात की जाए तो 52 जिलों में से 34 जिलों में तो सामान्य बारिश से बहुत कम बारिश हुई है। एक्का-दुक्का जिलों को छोड़कर शेष में तो औसत से 50 प्रतिशत से ज्यादा बारिश नहीं हो सकी है। ग्वालियर, चंबल और जबलपुर संभाग के 15 जिलों के 15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कम वर्षा के कारण बोवनी का काम प्रभावित हुआ है। सागर संभाग में उड़द की बोवनी प्रभावित हुई है। सूखा या अतिवृष्टि की स्थिति में फसलों को हुई क्षति की भरपाई करने में पीछे नहीं रहेंगे।


पश्चिमी की अपेक्षा पूर्वी क्षेत्र में कम पानी गिरा


मौसम विभाग मध्यप्रदेश में मानसून को पश्चिमी और पूर्वी हिस्से में बांटकर आकलन करता है। अब तक पश्चिमी मध्यप्रदेश की अपेक्षा पूर्वी मध्यप्रदेश में ज्यादा बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी कारण प्रदेश में बारिश की स्थिति ठीक नहीं है। पूर्वी हिस्से में इस समय तक 447.5 मिमी बारिश होनी थी, लेकिन यह 13 प्रतिशत कम 389.9 मिमी ही हुई है। इधर अगर पश्चिमी हिस्से की बात की जाए तो 363.2 मिमी बारिश की तुलना में 8 प्रतिशत कम 332.8 मिमी बारिश दर्ज की गई।


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