-जैविक खेती के जरिये पोषित होती रही कृषि विभाग के अफसरों की "आत्मा"
-कृषि महकमें के इस महाघोटाले में अफसर-नेता सब शामिल
संदीप सिंह गहरवार
भोपाल। केन्द्र सरकार द्वारा राज्य के किसानों के विकास के लिए दिए जाने वाली विभिन्न योजनाओं की राशियों का मध्यप्रदेश में जमकर दुरुपयोग किया जा रहा है। हालात यह है कि मंत्री से लेकर अफसर तक सब इस महा घोटाले में शामिल हैं। बड़ी बात यह है कि कृषि विभाग के अफसर किसानों के उन्नयन के लिए मिलने वाली राशि को अपने हिसाब से खर्च कर ठिकाने लगाते जा रहे हैं और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। पांच बार कृषि कर्मण अवार्ड हासिल करने और खेती को लाभ का धंधा बनाने का दम भरने वाली प्रदेश की भाजपा सरकार में यह महा घोटाला सामने आया है। इसके बाद भी इस पर कुछ और ही कार्यवाही करने की जगह सरकार चुनाव में व्यस्त है। दरअसल मध्यप्रदेश को जैविक खेती में आगे ले जाने के लिए भारत सरकार द्वारा पीकेवीवाय में दिये जा रहे फंड का 2016 से जबरदस्त दुरुपयोग किया गया। ठेकेदारों और अफसरों की जुगलबंदी से केंद्र से मिली राशि को ठिकाने लगाने से कोई गुरेज नहीं किया। घोटाला भी ऐसा जिसे जानकर कोई भी हैरान हो सकता है। एक शब्द की हेरफेर से 110 करोड़ का घोटाला इस फंड में किया गया। बीमारी के लिए इलाज के लिए मनुष्यों को तो डॉक्टर कैप्सूल देते हैं, यह सब जानते हैं पर कृषि विभाग के अफसरों ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए पेड़ों को भी कैप्सूल खिला दिए। विश्व मे अपनी तरह का यह पहला मामला है जिसमें अफसरों ने इस तरह का कारनामा मध्यप्रदेश को जैविक खेती में सर्वश्रेष्ठ बनाने के नाम पर कर दिया।
घोटाला करने अपनाया पुराना तरीका :
इस घोटाले में कृषि विभाग के अफसरों का तरीका वही पुराना है। नाफेड को बीच में रखकर जिन सप्लायर्स के साथ सेटिंग है उनका बिना टेंडर के सामान हजारों गुना कीमत पर खरीद लिया गया। आत्मा परियोजना में लगभग 2348 क्लस्टर के लिए लिक्विड बायो फर्टिलाइजर खरीदने के लिए भारत सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को फंड दिया था। यह लिक्विड फॉर्म बायो फर्टिलाइजर 150 रुपया प्रति लीटर से बाजार में उपलब्ध रहता है। भ्रष्टाचार करने के लिए कृषि विभाग के अफसरों ने बायो फर्टिलाइजर के साथ हेरफेर करते हुए एक शब्द जोड़ा 'इन कैप्सूल फार्म' और करोड़ों रुपए के पेड़ों को खिलाने के नाम पर कैप्सूल खरीदे गए ।
निरस्त दरों पर कर डाली खरीददारी :
किसानों के कल्याण की राशि को किस तरह ठिकाने लगया गया इसकी बानगी इस बात से पता चलती है कि एक ही ऑर्डर लगभग 5 करोड़ का है । यह कैप्सूल अलग-अलग बैक्टीरिया के नाम से 160 रुपये से लेकर 196 प्रति कैप्सूल की दर तक में खरीदे गए और जनता के धन को ठिकाने लगा दिया गया। जो दरें निरस्त की जा चुकी थीं उन दरों पर ये सामान खरीदे गए। यह जांच का विषय है कि दुनिया में पहली बार कैप्सूल के रूप में बायो फर्टिलाइजर खरीदने के इस महाघोटाले पर सरकार का ध्यान क्यों नहीं गया? क्यों नीचे से लेकर ऊपर तक चिड़िया बैठती चली गई? आखिर किस बड़े नेता के हित लाभ के लिए यह किया गया, यह एक बड़ा सवाल है ।
नियम विरुद्ध कर डाली खरीद :
सूत्रों के अनुसार बायो फर्टिलाइजर की कोई भी खरीदी एफसीयूके माध्यम से जिसे फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर कहते हैं, ही की जाती है । इंडियन स्पाइसेज रिसर्च बोर्ड द्वारा इसे प्रमाणित भी होना चाहिए लेकिन बिना इन दोनों संस्थाओं के प्रमाणीकरण के यह खरीदी की गई। सरकार को यह बताना चाहिए कि लिक्विड बायो फर्टिलाइजर की जगह कैप्सूल खरीदने के लिए क्या इन संस्थाओं से अनुशंसा प्राप्त की गई थी? प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना जिसके तहत यह पैसा मध्यप्रदेश को मिला उसमें भी कैप्सूल फॉर्म में बायोफर्टिलाइजर खरीदने के कोई निर्देश नहीं थे। 5 अक्टूबर 2018 को 2348 क्लस्टर की योजना में नियमों को ठेंगा दिखाते हुए भ्रष्ट अफसरों और सप्लायरों के गठजोड़ ने योजना स्वीकृति के अगले दिन ही दलालों को कार्य आदेश दे दिए, जिसमें कैप्सूल फॉर्म में लिक्विड फर्टिलाइजर वर्मी बेड मार्कफेड द्वारा निरस्त दरों पर एमपी एग्रो से जिसमें स्प्रे पंप खरीदने आदि के आइटम सम्मिलित थे पर क्रय आदेश आ गए। कुछ परियोजना कार्यालय में तो बाकायदा चुनाव आचार संहिता में ही ऑर्डर काट दिए जिसकी जांच होना चाहिए। यह भी जांच होना चाहिए कि क्या इस सप्लाई में छत्तीसगढ़ के नेताओं के परिजन या रिश्तेदार भी शामिल हैं । भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं के इस गठजोड़ से करोड़ों रुपए की चोट प्रदेश के एवं देश के संसाधनों को पहुंचाई गई है। दुनिया में मध्य प्रदेश ऐसा पहला प्रदेश बन गया है जिसने पेड़ों को भी कैप्सूल खिलाने का काम किया।
कांग्रेस ने की जांच की मांग :
इस महाघोटाले को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने जांच की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाते हुए मांग की कि यह भी जांच की जाये कि इन घोटालों के भुगतान पर काग्रेस सरकार मे लगी रोक हटाकर लाकडाउन मे करोड़ों का भुगतान कैसे हो गया?कृषि मंत्री कमल पटेल प्रदेश की जनता को जबाब दें कि ये घोटाले कितने परसेंट में माने जायें?
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