आ गई कुंभ की घड़ी, सारिका ने कुंभघड़ी से बताया महत्व

आकाश है एक कुंभ घड़ी, जिसमें जुपिटर और सूर्य  हैं घड़ी के कांटे! 

भोपाल। पारंपरिक सांस्कृतिक मेले कुंभ का  आयोजन हरिद्वार में मकर संक्रांति के स्नान से संक्षिप्त रूप से आरंभ हुआ हैं। कोविड को देखते हुये मार्च अप्रैल माह में ही पूर्णरूप से मनाया जायेगा। हरिद्वार के अतिरिक्त प्रयाग, उज्जैन एवं नासिक में आयोजित होने वाले कुंभ के निर्धारण की मान्यताओं का खगोलविज्ञान समझाने नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने कुंभ घड़ी का माॅडल तैयार किया। इस माॅडल की मदद से कुम्भ मेले के आयोजन के समय निर्धारण को समझाया। इसमें आकाश में पूर्व से जफर में रहने वाले 12 तारामंडल को घड़ी के 12 अंकों के समान दिखाया गया। घड़ी में मिनिट के कांटे पर सूर्य को लगाया तो घंटे के कांटे पर जुपिटर को स्थापित किया। जब सूर्य का प्रतिनिधित्व करने वाला  मिनिट का कांटा 360 डिग्री का एक पूरा चक्कर लगाता था तब जुपिटर वाला कांटा एक अंक आगे बढ़ जाता था।

सारिका ने बताया कि इसी प्रकार पृथ्वी से देखने पर सूर्य के पीछे दिखने वाला तारामंडल हर माह में बदलता रहता है। 12 माह में सूर्य के पीछे से पूरे 12 तारामंडल निकल जाते हैं। इस दौरान जुपिटर एक तारामंडल आगे निकलता है। जुपिटर को पूरे तारामंडल को पार करने में लगभग 12 साल लगते हैं।

सारिका ने बताया कि आकाश एक यूनिवर्सल घड़ी की तरह कार्य करता है जिसमें सौर परिवार का सबसे बड़ा तथा आसानी से पहचान आने वाला जुपिटर यह निर्धारित करता है कि कुंभ के किस साल होगा  तो सूर्य की स्थिति यह निर्धारित करती है कि वह किस माह में होगा।

गुरू     तारामंडल क्रमांक     सूर्य  कुंभ का स्थान

कुंभ तारामंडल 11 वां    मेष तारामंडल-अप्रैल  हरिद्वार

वृषभ तारामंडल 2 रा    मकर तारामंडल-जनवरी    प्रयाग

सिंह तारांडल 5 वां     मेष तारामंडल-अप्रैल उज्जैन

सिंह तारामंडल 5 वां     सिंह तारामंडल-अगस्त नासिक

सारिका ने बताया कि कुंभ का निर्धारण जुपिटर और सूर्य के पीछे दिखने वाले तारामंडल के आधार पर किया गया है। जब जुपिटर के पीछै वृषभ तारामंडल और सूर्य के पीछे मकर तारामंडल हो तो प्रयाग में कुंभ होता है। जब जुपिटर के पीछे सिंह तारामंडल हो और सूर्य के पीछे मेष तारामंडल तो उज्जैन में सिंहस्थ होता हे। इसी साल सूर्य के पीछे सिंह तारामंडल आने पर नासिक में होता है। इस प्रकार उज्जैन एवं नासिक में चार माह के अंतराल से कुंभ होते हैं। इसके  छः साल बाद जब जुपिटर कुंभ तारामंडल और सूर्य के पीछे मेष तारामंडल हो तो हरिद्वार में कुभ होता है। यह स्थिति 2021 में बनी है इसलिये अभी हरिद्वार में कुंभ हो चुका है।


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