मंत्री भदौरिया पर भारी अपेक्स बैंक का प्रभारी अधिकारी

 


- भ्रष्टाचार मिटाने का दावा करने वाले सहकारिता मंत्री भी नीखरा के आगे बेबस, हटाने में छूट रहा पसीना

विशेष संवाददाता, भोपाल

प्रदेश के सहकारिता एवं लोकसेवा प्रबंधन मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया ने हाल ही में हुई एक औपचारिक पत्रकार वार्ता में भले ही प्रदेश की सहकारिता के दामन में लगे दाग को धोने का दावा किया हो, पर उनकी कार्यशैली देखकर लग नहीं रहा कि वह इस क्षेत्र में कुछ कर पाएंगे और सहकारिता भ्रष्टाचारियों के चंगुल से आजाद हो पाएगी। दरअसल प्रदेश में सहकारिता की रीढ़ समझे जाने वाली साढ़े 4 हजार सहकारी समितियों एवं 38 जिला सहकारी बैंकों के सुचारू संचालन एवं उन पर पैनी नजर रखने के लिए सहकारिता की शीर्ष बैंकिंग संस्था अपेक्स बैंक का गठन कर उसके माध्यम से निगरानी की जा रही है। पर विगत कुछ सालों से प्रभारी के खेल में अपेक्स बैंक को उलझाकर सहकारी भ्रष्टाचार की ऐसी इमारत खड़ी की गई है कि उसे गिराने में नए सहकारिता मंत्री डॉ अरविंद सिंह भदौरिया को भी पसीने छूट रहे हैं। यह बात अलग है कि मंत्री भदौरिया भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसने का दम्भ जरूर भर रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि जब अपेक्स बैंक जैसी सहकारिता की शीर्ष संस्थान में प्रभारी प्रबन्ध संचालक के रूप में प्रदीप नीखरा जैसे दागी अधिकारी विराजमान हो तो किस तरह सहकारिता का भला हो पायेगा।

जानकारी के अनुसार अपेक्स बैंक के दूसरी बार प्रभारी प्रबन्ध संचालक बने कांग्रेस नेता के रिश्तेदार प्रदीप नीखरा पर भ्रष्टाचार के 10 से ज्यादा केस दर्ज हैं। इनमें 08 मामले तो  विगत 16 साल से लंबित हैं। यह प्रकरण 2003-04 में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ( ईओडब्ल्यू) ने दर्ज किए थे। उन पर आरोप है कि उस समय 23 गृह निर्माण समितियों के प्लाट आवंटन में बड़ा घोटाला किया गया था। सूत्र बताते हैं कि नीखरा के नजदीकी रिश्तेदार कांग्रेस संगठन में बड़े पदाधिकारी हैं। उन्हीं की सिफारिश पर ही प्रदीप नीखरा को भ्रष्टाचार के आरोपों पर पीएमओ के निर्देश पर हटाये जाने के बाद भी पुनः अपेक्स बैंक का प्रभारी प्रबन्ध संचालक तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बना दिया था । यह बात अलग है कि कांग्रेस नेता के रिश्तेदार पर भाजपा के नेता भी मेहरबान बने हुए हैं। सूबे की सत्ता में भले ही कांग्रेस की जगह भाजपा का परिवर्तन हो गया हो पर सहकारिता की शीर्ष संस्था अपेक्स बैंक पर नीखरा अभी भी कुण्डली मारकर बैठे हुए हैं।

लोकायुक्त में दर्ज हैं और भी मामले :

सूत्रों के अनुसार भोपाल एयरपोर्ट के पास वेलकम गृह निर्माण सहकारी समिति की जमीन को औने-पौने दाम में बेचने के एक मामले में 2015 में प्रदीप नीखरा पर आरोप लगे थे। पुष्टि होने पर लोकायुक्त ने केस दर्ज किया था। इसी साल दूसरा मामला अपेक्स बैंक के अधिकारी अमर सिंह यादव को सेवा निवृत्त पर नियम विरूद्ध 45 लाख के भुगतान के मामले में भी कायम किया गया है। तब भी प्रदीप नीखरा अपेक्स बैंक के प्रभारी प्रबंध संचालक  थे। नीखरा को अपेक्स बैंक के प्रभारी प्रबन्ध संचालक पद से हटाने की कार्रवाई पीएमओ और रिजर्व बैंक तक पहुंची भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद की गई थी।

नीखरा पर अफसर और नेता सब मेहरबान :

मप्र राज्य सहकारी बैंक मर्यादित (अपेक्स बैंक) के वर्तमान प्रभारी प्रबंध संचालक प्रदीप नीखरा पर विभागीय अफसरों से लेकर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने भी खूब मेहरबानी की । मामले का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नीखरा के भ्रष्टाचार और काली करतूतों की शिकायतें सहकारिता विभाग के अफसरों से लेकर विभागीय मंत्री,  मुख्यमंत्री और राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री कार्यालय को करने के बाद भी भ्रष्टाचार के चलते प्रभारी प्रबंध संचालक अपेक्स बैंक के पद से हटाए गए नीखरा को तब सूबे की सरकार बदलते ही दूसरी बार अपेक्स बैंक का प्रभारी प्रबंध संचालक बना दिया गया था। उम्मीद की जा रही थी कि भाजपा की सरकार बनते ही नीखरा के काले कारनामे पर लगाम कसी जाएगी पर उन पर कार्रवाई के बजाय मेहरबानी कायम है। एमडी प्रदीप नीखरा द्वारा अवैध रूप से अपेक्स बैंक कर्मचारियों की रोकी गई ग्रेजुएटी के कारण पेनल्टी के रूप में अपेक्स बैंक को करीब 200 करोड़ रुपए की हानि उठानी पड़ी है। जिसकी शिकायत भी एचएस मिश्रा सेवानिवृत्त लेखाधिकारी अपेक्स बैंक ने 10 अगस्त 2019 को मप्र विधानसभा उपाध्यक्ष को सविस्तार की थी।  इसके बाद भी प्रदीप नीखरा को प्रमुख सचिव सहकारिता एवं आयुक्त सहकारिता तथा राजनेताओं से गहरी सांठगांठ होने के कारण आज तक प्रभारी प्रबंध संचालक अपेक्स बैंक के पद से नहीं हटाया गया है।  न ही उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई की गई है । दरअसल नीखरा के सम्बंध में की गई समस्त शिकायतें प्रमुख सचिव सहकारिता विभाग के पास ही जाती हैं और उनके द्वारा उक्त शिकायतों पर कोई कार्रवाई न कर ठंडे बस्ते में डाल दी जाती हैं। इसके अलावा नीखरा काली कमाई का कुछ हिस्सा नेताओं को भी समर्पित कर देते हैं ताकि उनकी मेहरबानी भी कायम रहे।

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