जिंदगी
जिंदगी में अपनी मैंने तो तेरी जरूरत देखी,
पर तेरी आंखों में अपने लिए मोहब्बत ना देखी,
जितनी बार खुद को भी ना देखा होगा,
उतनी बार तूने मेरी कमियां ही देखीं,
सच है जिंदगी को चुनौतियां ही रोमांचक बनाती हैं,
साथ ही हर बार एक नया सबक भी दे जाती हैं,
क्योंकि यह तो मुमकिन नहीं कि हर वक्त मेहरबां रही जिंदगी,
फिर भी जाने क्यों जीने का, तजुर्बा सिखा जाती है जिंदगी,
जिसने जो चाहा लिखा जिंदगी पर,
पर जिंदगी को कोई,
पढ़ नहीं पाया अब तक,,,,
रचनाकार :- रश्मि दुबे "आभा"
भोपाल
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