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सरकार ने नहीं दिया ध्यान तो आंदोलन करने पर होंगी मजबूर

भोपाल । मध्यप्रदेश आशा उषा कार्यकर्ता संगठन की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती विभा श्रीवास्तव ने कहा है कि इस  कोरोनाकाल में अपनी जान पर खेलकर क्षेत्र में कार्य कर रही आशा कार्यकर्ताओं के साथ बुरा सलूक किया जा रहा है। वह जब कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए हितग्राहियों को बुलाने जाती हैं तो उनके साथ क्या सलूक किया जा रहा है, इसका अंदाजा न विभागीय अफसरों को है न अन्य जिम्मेदार विभागों को, जो उन पर यह कार्य थोप रहे हैं। श्रीमती श्रीवास्तव ने कहा कि वर्तमान में कोरोना की दूसरी लहर से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है कोरोना बहुत ही तेजी से फैल रहा है। ऐसी महामारी में जिला प्रशासन द्वारा पंचायत विभाग, राजस्व विभाग, महिला बाल विकास विभाग,  पुलिस विभाग, शिक्षा विभाग, नगरीय प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त सेवाएं ली जा रही है। ऐसे में इन विभागों से संबंधित समस्त अधिकारी एवं कर्मचारियों को क्षेत्र में कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं।

कोरोना पॉजिटिव आयें व्यक्तियों को घर में होम कोरोंटाईन करने के लिए पंचायत सचिव, सरपंच को जिम्मेदारी दी गई है,  किन्तु, वह आशा कार्यकर्ताओं को फोन कर बोल देते हैं की संबंधित व्यक्ति को होम कोरोंटाईन कर, घर पर दीवार लेखन कर दें या स्टीकर लगा दें । जब आशा इन पाॅज़िटिव व्यक्तियों को होमकोरोनटीन करने जाती है तो कुछ व्यक्ति ,आशा को अकेला पा कर गाली गलौच तक करने लगते हैं। कोरोना पॉजिटिव  व्यक्ति,  जिन्हें होमक्वारटीन किया गया है, उन्हें आवश्यक दवाएं पहुंचाने की जिम्मेदारी चिकित्सक अथवा स्वास्थ्य कार्यकर्ता की है, किंतु धरातल पर आशा कार्यकर्ता इन पॉजिटिव व्यक्तियों को दवा पहुंचा रही हैं । शोषण का सिलसिला यही नहीं रुकता, आशा कार्यकर्ता को कॉल कर बोला जाता है कि संबंधित व्यक्ति की दवाएं लेने  वह अस्पताल आएं और उस पॉजिटिव व्यक्ति तक यह दवायें पहुंचाएं । इस प्रकार आशा को प्रतिदिन अस्पताल से दवाई ले जाकर पॉजिटिव मरीजों तक पहुंचाना पड़ रही है।



अभी वर्तमान में कोरोना से बचाव हेतु  टीकाकरण हो रहा है जिसमें आशा कार्यकर्ता की ड्यूटी प्रचार प्रसार एवं हितग्राहियों को अस्पताल में भेजने हेतु लिखित में लगाई गई है किंतु आशा कार्यकर्ता पर एएनएम व सीएचओ संबंधित टीकाकरण सत्र पर सुबह 9 बजे से सायं 5  बजे तक बैठने व सेंटर की सफाई करने का दबाव बनाते है। टीकाकरण होने के बाद आशा कार्यकर्ता संबंधित हितग्राहियों के घर जाकर उनका फॉलो-अप भी कर रही है जबकि जिला प्रशासन द्वारा हितग्राहियों को प्रेरित करने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पंचायत सचिव सरपंच कोटवार आदि की भी ड्यूटी लगा रखी है, किंतु यह सभी आशा कार्यकर्ता पर जिम्मेदारी छोड़ देते हैं। किसी भी विभाग का काम हो, आशा कार्यकर्ता को सौंप दिया जाता है और आशा कार्यकर्ता भी बिना किसी संकोच के हर एक की मदद करती है। क्या सभी की नैतिकता बिल्कुल ही खत्म हो गई है, कि जो कार्यकर्ता ईमानदारी से अपना काम कर रहा है, उसको हमेशा जलील ही किया जाये।

नहीं दी जा रहीं 16 प्रकार की दवाई :

आशा कार्यकर्ता के पास होने वाली आवश्यक 16 प्रकार की दवाओं की बात करें तो इनको यह दवाएं तक नहीं दी जा रही है।  कोरोना से बचाव हेतु मास्क, गलब्स, सैनिटाइजर इनके पास नहीं है, जिससे  इन्हें संक्रमण होने की संभावना अत्यधिक रहती है, क्योंकि यह घर-घर जाकर भेंट करती है।

अफसर हमेशा करते हैं अपमानित :

विभा श्रीवास्तव ने कहा कि यदि अधिकारियों अथवा कर्मचारियों के व्यवहार की बात करें तो हर विभाग ( स्वास्थ्य विभाग भी) का अधिकारी और कर्मचारी इन्हें सिर्फ निर्देश देता है, अपमानित करता है, मदद कोई नहीं करता। आशा कार्यकर्ताओं की मदद के लिए सिर्फ ब्लॉक स्तर पर बीसीएम एवं जिला स्तर पर डीसीएम को जिम्मेदारी सौंपी गई है किंतु यह भी संविदा के पद पर पदस्थ होने से चाहते हुए भी इनकी मदद नहीं कर पा रहे हैं इसलिए आशा कार्यकर्ताओं का अत्यंत शोषण हो रहा है। श्रीमती विभा श्रीवास्तव , प्रदेश अध्यक्ष आशा उषा सहयोगी संगठन ने बताया कि यदि आशा कार्यकर्ताओं को इसी प्रकार सभी विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों व ग्रामीणों द्वारा जलील किया जाता रहा, और कोई कानून नहीं बना तो हमें मजबूर होकर आंदोलन करना पड़ेगा।


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