‘मातृ दिवस‘ पर देखिये एण्ड टीवी के ऑन-स्क्रीन माँ-बच्चों का खट्टा-मीठा रिश्ता



मुम्बई। माँ की मौजूदगी में भरोसा, प्यार और सच्चाई की महक होती है। माँ की जगह कोई नहीं ले सकता और हमारे एण्ड टीवी के कलाकार इस पर यकीन रखते हैं। ‘हप्पू की उलटन पलटन’ की कटोरी अम्मा (हिमानी शिवपुरी) और दबंग राजेश (कामना पाठक) तथा ‘और भाई क्या चल रहा है?’ की सकीना मिर्जा (अकांशा शर्मा) और शांति मिश्रा (फरहाना फातिमा) ने परदे पर और परदे के बाहर ममता से भरे अपने सच्चे और कोमल रिश्ते की अहमियत के बारे में बताया। हिमानी शिवपुरी, यानी  कटोरी अम्मा कहती हैं, कटोरी अम्मा एक जिद्दी और किसी से भी प्रभावित नहीं होने वाली बुजुर्ग महिला है। उसका अपना ही एक अंदाज है। किसी भी अन्य माँ की तरह, वह अपने बेटे हप्पू (योगेश त्रिपाठी) को बहुत चाहती है और उसकी फिक्र करती है। वह हमेशा उसकी भलाई के बारे में सोचती रहती है। हप्पू के गाल बिना अम्माजी के थप्पड़ के सूने-सूने लगते हैं, पर कहते हैं न माँ के थप्पड़ में भी प्यार है। इसी तरह कटोरी अम्मा, हप्पू को फटकारती है, मैं कई बार योगेश को भी सुधारती हूं। और एक आज्ञाकारी बेटे की तरह वह तुरंत मान भी जाता है और अपनी गलती सुधार लेता है। हमारे बीच जिस तरह की सहजता है वह एक रियल लाइफ माँ-बेटे की तरह ही है। हम एक-दूसरे को बहुत प्यार करते हैं और परवाह करते हैं।



कामना पाठक, यानी दबंग राजेश ने बताया, मातृत्व जैसा कोई अहसास नहीं और ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ ने मुझे माँ होने की खूबसूरत भावना को अनुभव करने का मौका दिया। राजेश एक बेबाक महिला है। उसकी अपनी सोच है, जो बिना थके अपने परिवार के लिये इधर-उधर भागती दौड़ती रहती है। कई बार ज्यादा जिम्मेदारियां उठाने से भी पीछे नहीं हटती। वह परदे पर दिखने वाली ऐसी माँ है, जिससे कई सारी महिलाएं खुद को जोड़कर देख सकती हैं। परदे के पीछे भी, मेरे अंदर मां वाली वह भावना आ जाती है, जब मैं बच्चों का ध्यान रखती हूँ और उनके खाने-पीने का ख्याल रखती हूँ। आर्यन (ऋतिक), ज़ारा (चमची) और आशना (कैट) के साथ मेरे ऐसे कई यादगार पल बीते हैं। हम साथ में काम करते हुए नाचते, गाते हैं और धूम मचाते हैं। मुझे माँ का यह किरदार निभाने में सचमुच मजा आता है, क्योंकि इससे एक व्यक्ति के तौर पर मुझे पहले से ज्यादा संवेदनशील होने में मदद मिली है।

अकांशा शर्मा, यानी सकीना मिर्ज़ा ने बताया, मेरे किरदार सकीना में सचमुच गर्मजोशी है और उसे अपने बच्चों ज़ोया और ईनाम का साथ पसंद है। जान है जान। एक माँ का किरदार निभाना ऐसा मौका है, जो जिंदगी के पाठ सिखाती है। मैं हमेशा खुशमिजाज और आजाद ख्याल रही हूँ। मैं बेहद जिंदादिल हूँ। एक माँ का किरदार निभाने से मेरे अंदर की ममता पोषित हुई है। इससे मैं अपने व्यवहार और बातों को लेकर सजग हुई हूं, क्योंकि मुझे पता है कि माँ का बच्चों पर प्रभाव पड़ता है। 


फरहाना फातिमा, यानी शांति मिश्रा कहती हैं, मिश्रा हाउस एक भरा-पूरा परिवार है। हमारे पास 3 उत्साही बच्चे हैं, जो माहौल को पूरी तरह से बदल देते हैं। उनकी मासूमियत और मसखरापन बतौर माँ, मेरी भूमिका को दस गुना आसान बना देता है। हो सकता है कि शांति एक कठोर महिला है, जिसके पास अपने परिवार के लिये कुछ नियम हैं, लेकिन उसकी दुनिया अपने बच्चों के ही इर्द-गिर्द घूमती है। उसकी यही बात उसे एक आदर्श माँ बनाती है।

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