शुभांगी अत्रे उर्फ अंगूरी भाभी कहती हैं, जब मैं इंडस्ट्री में धीरे-ंधीरे अपने कदम आगे बढ़ा रही थी, तो मैं अकेली नहीं थी, मेरे पति थे मेरा साथ देने के लिये। इसके अलावा मैं दो साल की बेटी आशी की मां थी। उसे घर पर छोड़कर अपने कॅरियर की शुरूआत करना मुझे कशमकश में डाल देता था। कॅरियर के मेरे शुरूआती कुछ साल मुश्किलों भरे थे, लेकिन मेरा परिवार मेरी ताकत बन गया। यदि मैं 15 दिनों के लिये भी आउटडोर शूटिंग के लिये बाहर जाती थी तो मुझे कभी इस बात की चिंता नहीं रहती थी कि मेरी बेटी का क्या होगा। वह काफी समझदार लड़की है और वह मुझे स्पेशल महसूस कराने के लिये सारी चीजें करती है। हम दोनों मां-बेटी अपने हरेक सेकंड का भरपूर लुत्फ उठाते हैं। हम दोनों साथ मिलकर घर के काम करते हैं, इनडोर गेम्स खेलते हैं और फिर बातें करते हैं और खूब हंसते हैं। यह एक साथ होने का अहसास है और हमारा रिश्ता अद्भुत है। आप कहीं भी हों, आप जो कुछ भी करती हैं आप सभी मांओं को ‘हैप्पी मदर्स डे‘। हर मां अपने आप में अद्भुत होती हैं। आपने जो त्याग किये हैं और आपने जो इतना प्यार दिया है उन सबके लिये।
फरहाना फातिमा उर्फ शांति मिश्रा कहती हैं, अपनी 10 साल की बेटी मिसारा के साथ मेरा रिश्ता बहुत ही दमदार है। वह मेरी दुनिया है, मेरे लिये सब कुछ है और मेरे लिये सबसे कीमती तोहफा है। मैं हमेशा से ही एक बेटी चाहती थी और मुझे एक प्यारी सी बिटिया मिली। उसका व्यक्तित्व ऐसा है कि कोई भी खींचा चला आता है और वह सबको प्यार करने वाली और परवाह करने वाली बच्ची है। कई बार तो वह मेरे साथ बेटी की बजाय एक मां की तरह व्यवहार करने लगती है। वह मेरी जिंदगी में सहज सारी खुशियां और आनंद लेकर आयी। जब भी मैं थोड़ा परेशान होती हूं वह मुझे हसा देती है, जब मैं बीमार पड़ती हूं मेरी देखभाल करती हैऔर हम एक-ंदूसरे से काफी चीजें शेयर करते हैं। हम एक दोस्त की तरह ज्यादा हैं और सारी बातें एक-ंदूसरे को बताते हैं। हम एक-ंदूसरे के साथ काफी सहज रहते हैं, हमारे बीच जो विश्वास और अटूट बंधन है वह हमारे रिश्ते को और भी अनूठा बनाता है। मिसारा की एक बात है जो मुझे परेशान करती है, वह है ऑनलाइन गेमिंग को लेकर उसका जुनून। इसलिये, कई बार इस बात को लेकर हमारे बीच बहस हो जाती है, लेकिन थोड़ा नोंक-झोंक तो हर मां-बेटी में होता है, है न? मैं सभी अद्भुत और बेमिसालमांओं को ‘मदर्स डे‘ की शुभकामनाएं देती हूं।
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