अनीता सिंह की कविता, मैं स्त्री हूं.....
हां स्त्री हूं मैं....
एक बेटी जिसको परवाह है हर पल
अपने पिता के मर्यादा की...!!
हर क्षण मैं प्रयासरत रहती हूं कि
कोई त्रुटि न हो जाए....
हां स्त्री हूं मैं.......
एक बहन जिसे हरदम निभाना है
स्नेह का अटूट बंधन.....!!
हर क्षण मैं प्रयासरत रहती हूं कि
कोई त्रुटि न हो जाए....
हां स्त्री हूं मैं.......
एक संगिनी जिसे सहेजे रखना है
जीवनसाथी के विश्वास को...!!
हर क्षण मैं प्रयासरत रहती हूं कि
कोई त्रुटि न हो जाए....
हां स्त्री हूं मैं.......
एक मां जिसे न्यौछावर करना है
ममता अपनी संतान पर....!!
हर क्षण मैं प्रयासरत रहती हूं कि
कोई त्रुटि न हो जाए....
हां स्त्री हूं मैं.......
एक मित्र जिसे मैत्री के पवित्र रिश्ते को
कभी धूमिल नहीं होने देना है...!!
हर क्षण मैं प्रयासरत रहती हूं कि
कोई त्रुटि न हो जाए....
हां स्त्री हूं मैं.......
एक संवेदनशील इंसान जिसे परवाह है
आत्मीय रिश्तों को संभाले रखने की...!!
हर क्षण मैं प्रयासरत रहती हूं कि
कोई त्रुटि न हो जाए....
हां स्त्री हूं मैं
गर्व है मुझे अपने स्त्री होने पर..!!
गर्व है मुझे अपने स्त्री होने पर..!!
रचनाकार : अनीता सिंह
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