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शिक्षा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा आज का दिन : अमित शाह



अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति मिल रही है, हिंदी में पढ़ने वाले गरीब छात्रों को भी अवसर मिलेंगे : शिवराज सिंह
केंद्रीय गृहमंत्री ने राजधानी भोपाल में लोकार्पित की हिन्दी भाषा में चिकित्सा शिक्षा की पुस्तकें

भोपाल। देश में अंग्रेजी भाषा के पैरोकारों ने भाषा को बौद्धिक क्षमता के साथ जोड़ दिया था। वो ये बताना चाहते थे कि जिसे अंग्रेजी आती है, वही बुद्धिमान है। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। भाषा सिर्फ बौद्धिक क्षमता को निखारती है। मैं देश के युवाओं से यह आह्वान करना चाहता हूं कि अब उन्हें भाषा के कारण हीनभावना के शिकार होने की जरूरत नहीं है। देश में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है, जो भारतीय भाषाओं के गौरव की पुनर्स्थापना के लिए संकल्पित हैं। अब आप अपनी मातृभाषा में ही अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकते हैं। यह बात केंद्रीय गृहमंत्री  अमित शाह ने राजधानी भोपाल में रविवार को हिंदी भाषा में मेडिकल की पुस्तकों को लोकार्पित करते हुए कही। कार्यक्रम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी संबोधित किया। 

इस अवसर पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आज का दिन शिक्षा के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा। ये क्षण देश में शिक्षा के पुनर्निर्माण और पुनर्जागरण का क्षण है। आज से देश में तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा की हिंदी भाषा में शुरुआत हो रही है और छात्र अनुसंधान एवं विकास के कार्य भी हिंदी भाषा में कर सकेंगे। श्री शाह ने प्रधानमंत्री श्री मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने नई शिक्षा नीति में मातृभाषा को अहमियत दी और देशवासियों से भारतीय भाषाओं में शिक्षा का आह्वान किया। मध्यप्रदेश में हिंदी भाषा में चिकित्सा शिक्षा की बात भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में कही गई थी। जब प्रदेश में शिवराज सिंह  के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी, तो उन्होंने नई शिक्षा नीति को सबसे पहले प्रदेश में लागू किया। मुझे गर्व है कि मातृभाषा में शिक्षा की प्रधानमंत्री की पहल और संकल्प को म.प्र. की भाजपा सरकार ने साकार किया है। श्री शाह ने इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को साधुवाद दिया। 



सीधे दिल में उतरती है मातृभाषा में कही गई बात

श्री शाह ने कहा कि आजादी के बाद महात्मा गांधी ने कहा था कि सिर्फ आजादी हासिल कर लेने से कुछ नहीं होगा। जब हमारे रसायनशास्त्री, वैज्ञानिक, इंजीनियर और डॉक्टर अपनी मातृभाषा में पढ़ेंगे, तो सही तरीके से देश की सेवा कर पाएंगे। आज से इसकी शुरुआत हो गई है। उन्होंने कहा कि नेल्सन मंडेला जी ने कहा था कि जब कोई उस भाषा में बात करता है, जिसे आप जानते हैं, तो वो बात आपके दिमाग तक पहुंचती है। लेकिन जब कोई आपकी मातृभाषा में बात करता है, तो वो आपके दिल में उतर जाती है। श्री शाह ने कहा कि हमारी सोचने-समझने, संशोधन करने, अनुसंधान, तर्क और विश्लेषण करने तथा निर्णय लेने की प्रक्रिया मातृभाषा में ही होती है। उन्होंने कहा कि जब हम अपनी मातृभाषा में अनुसंधान करेंगे, तो मुझे पूरा विश्वास है कि भारत के छात्र किसी से पीछे नहीं हैं और सारी दुनिया में अनुसंधान के क्षेत्र में भारत का डंका बजाएंगे। 

शिक्षा के विकास और विस्तार को समर्पित है मोदी सरकार

गृहमंत्री श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी की सरकार देश में शिक्षा के विकास और विस्तार के लिए समर्पित है। मोदी सरकार ने देश में नई शिक्षा नीति लागू की है। अंग्रेजी छात्रों की राह की रुकावट न बने, इसके लिए जेईई, एनईईटी, यूजीसी जैसी परीक्षाओं को मातृभाषा में देने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। सरकार ने चिकित्सा शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और कानून जैसे विषयों की शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध कराने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जब सत्ता में आई थी, तब देश में 387 मेडिकल कॉलेज थे, जो अब बढ़कर 596 हो गए हैं। आईआईटी 16 से बढ़कर 23 हो गए। आईआईएम की संख्या 13 से बढ़कर 20 हो गई। देश में 723 यूनिवर्सिटी थीं, जो अब 1043 हो गई हैं। 

एक संकल्प पूरा हुआ, एक सपना साकार हुआः शिवराज

कार्यक्रम में संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज का दिन एक ऐतिहासिक दिन है। गृहमंत्री श्री अमित शाह हिंदी में चिकित्सा शिक्षा का शुभारंभ कर रहे हैं। इसके साथ ही हमारे प्रधानमंत्री जी का संकल्प पूरा हो रहा है और चिकित्सा सहित तकनीकी एवं अन्य विषयों की शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध कराने का सपना साकार हो रहा है। अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति मिल रही है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा की शिक्षा हिंदी भाषा में उपलब्ध होने से हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले उन गरीब छात्रों को भी अवसर मिलेंगे, जो अंग्रेजी न आने के कारण हीनभावना के शिकार हो जाते थे और पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते थे। श्री चौहान ने कहा कि वास्तव में देश में यह शुरुआत आजादी के बाद ही हो जाना थी, लेकिन कुछ लोगों के कारण ऐसा नहीं हो सका। इन लोगों के लिए तन-मन-जीवन अंग्रेजी ही थी और उन्होंने देश में ऐसा माहौल बनाया कि अंग्रेजी से ही इज्जत मिलती है। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने इस मानस को बदल दिया है। श्री चौहान ने कहा कि मेडिकल के अलावा प्रदेश के 6 इंजीनियरिंग और 6 पॉलीटेक्निक कॉलेजों में भी हिंदी में पढ़ाई जल्द शुरू हो जाएगी। 

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने मैकाले की नीति को बदलाः  सारंग

कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में देश में परिवर्तन की बयार बह रही है और इतिहास में परिवर्तन हो रहा है। श्री सारंग ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति को बदलने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी के प्रति आभार जताया। उन्होंने कहा कि देश-विदेश में हुए अनुसंधानों से यह पता चला है कि अपनी भाषा में सीखने से अच्छा कुछ नहीं होता। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा है कि जो डॉक्टर्स अपनी मातृभाषा में पढ़ाई करते हैं, वे लोगों की अच्छे से सेवा कर पाते हैं। श्री सारंग ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने मध्यप्रदेश में हिंदी में चिकित्सा शिक्षा उपलब्ध कराने की पहल की और आज वह शुभ दिन आ गया है, जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इसका शुभारंभ कर रहे हैं। इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष  विष्णुदत्त शर्मा, संसदीय बोर्ड सदस्य सत्यनारायण जटिया, प्रदेश शासन के मंत्री भूपेन्द्र सिंह, मोहन यादव, इंदर सिंह परमार, महापौर श्रीमती मालती राय उपस्थित थी।



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