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नीलम सक्सेना चंद्रा : शब्दों की बुनाई से सफलता की नई परिभाषा गढ़ती लेखिका



संदीप सिंह गहरवार 
भोपाल। जीवन हर पल एक नई सीख और भावना लेकर आता है, चाहे वह प्रेम हो, खुशी हो या दर्द। इन भावनाओं को शब्दों की कला में पिरोते हुए, प्रसिद्ध लेखिका नीलम सक्सेना चंद्रा ने अपनी नवीनतम काव्य संग्रह “मैंने बिखेरे हैं अलफ़ाज़” को प्रस्तुत किया है। यह संग्रह जीवन के हर पहलू को चार पंक्तियों की कविताओं में व्यक्त करता है। नीलम की कविताएं पाठकों को जीवन के गहरे भावों को समझने और उनके भीतर छिपी प्रेरणा को खोजने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान करती हैं।
नीलम अब तक चार अन्य काव्य संग्रह प्रकाशित कर चुकी हैं जिनमें चार पंक्तियों की कवितायें हैं, जैसे: “मैंने पिरोए हैं अलफ़ाज़,” “मैंने रंग दिए अलफ़ाज़,” “मैंने तराशे हैं अलफ़ाज़,” और “रंगी मैं तेरे रंग में”। उनकी कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता है सरल और प्रभावशाली भाषा, जो आम जीवन की गहराइयों को सहजता से व्यक्त करती है। उनकी लेखनी पाठकों के दिलों को छूने के साथ-साथ उन्हें प्रेरित भी करती है।

लेखन में मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान 

नीलम की रचनाओं को न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी व्यापक सराहना मिली है। उन्होंने सार्क, साहित्य अकादमी अंतर्राष्ट्रीय उत्सव, आईएसआईएसआईएआर, जश्न-ए-अदब, जश्न-ए-हिंद, पोएट्स अक्रॉस बॉर्डर्स और पेपर फेस्ट जैसे प्रमुख कार्यक्रमों में अपनी कविताओं का प्रस्तुतीकरण किया है। उनके कविता पाठ को फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाखों दर्शकों ने सराहा है। उनकी कविताओं की लाइव प्रस्तुतियों को 8 मिलियन से अधिक बार देखा गया है। दूरदर्शन और दूरदर्शन सह्याद्रि जैसे चैनलों पर भी उनके साक्षात्कार प्रसारित किए गए हैं।

सरकारी सेवा के साथ साहित्य साधना जारी 

नीलम सक्सेना चंद्रा भारतीय रेलवे में मुख्य विद्युत अभियंता के रूप में कार्यरत हैं और वर्तमान में कोलकता में कार्यभार संभाल रही हैं। उन्होंने नागपुर के प्रतिष्ठित वीएनआईटी से इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा, उन्होंने मानव संसाधन और वित्त में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी किया है और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से वित्त में ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम भी पूरा किया है।

साहित्य लेखन में मिली नई ऊंचाइयां 

नीलम ने अब तक 7 उपन्यास, 9 लघु कहानी संग्रह, 46 कविता संग्रह और 15 बच्चों की किताबें लिखी हैं। उनकी 2000 से अधिक कविताएँ और कहानियाँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। वह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखती हैं। उनके नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स-2015 में एक वर्ष में हिंदी और अंग्रेजी में सबसे अधिक प्रकाशन का रिकॉर्ड भी दर्ज है।


नीलम को मिल चुके हैं कई सम्मान और पुरस्कार 

नीलम ने अपने लेखन के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं। इनमें शामिल हैं। सोहनलाल द्विवेदी पुरस्कार (2018), जो महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा प्रदान किया गया। प्रेमचंद पुरस्कार, जो रेल मंत्रालय द्वारा दो बार प्रदान किया गया। रवींद्रनाथ टैगोर अंतर्राष्ट्रीय कविता पुरस्कार। रेडियो सिटी स्वतंत्रता पुरस्कार। ह्यूमैनिटी इंटरनेशनल वूमन अचीवर अवार्ड (2018), रूएल लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड। इसके अतिरिक्त, उनकी कविता 2021 में नेशनल अलायंस ऑन मेंटल इलनेस, यूएसए द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में शीर्ष 10 में शामिल हुई थी।

नीलम की लेखनी: प्रेरणा का स्रोत 

नीलम सक्सेना चंद्रा ने अपनी लेखनी से न केवल साहित्य प्रेमियों को प्रेरित किया है, बल्कि नई पीढ़ी के लिए एक आदर्श भी स्थापित किया है। उनकी कविताओं में जहां भावनाओं की गहराई है, वहीं उनकी भाषा की सादगी उन्हें हर वर्ग के पाठकों के लिए सुलभ बनाती है। उनकी किताबें पाठकों को यह संदेश देती हैं कि हर अनुभव, चाहे वह सुखद हो या दुखद, हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। अपनी लेखनी के माध्यम से नीलम ने यह साबित कर दिया है कि साहित्य की शक्ति असीमित है। 

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