जयराम एजुकेशन सोसायटी पर राजस्व हेरफेर के गंभीर आरोप, कलेक्टर से दंडात्मक कार्रवाई की मांग
भोपाल। राजधानी भोपाल के कोकता बायपास स्थित ट्रीनिटी कालेज (वर्तमान में प्रेस्टीज कालेज) की जयराम एजुकेशन सोसायटी के उपाध्यक्ष कैलाश चंद्र जैन और संचालक विजय हरिरमानी पर गंभीर राजस्व अफसरों के साथ मिलकर पारिवारिक जमीन हड़पने का आरोप लगाते हुए राजधानी निवासी अभय राजन सक्सेना ने भोपाल कलेक्टर को शिकायत करते हुए जांच की मांग की है। भोपाल निवासी अभय राजन सक्सेना ने कलेक्टर भोपाल को की गई शिकायत में आरोप लगाए गए हैं कि जयराम एजुकेशन सोसायटी ने राजस्व अधिकारियों के साथ षड्यंत्र रचते हुए उनके परिवार की कीमती जमीन पर कब्जा कर लिया और राजस्व अभिलेखों में हेरफेर कर अपनी जमीन की सीमा का विस्तार किया।
एक पत्रकार वार्ता में अभय राजन सक्सेना ने बताया कि उनके दादा, स्व.मुंशी रघुवर दयाल सक्सेना के नाम पर ग्राम हताईखेड़ा, तहसील हुजूर, जिला भोपाल में खसरा नंबर 154/1 (रकबा 35 एकड़) और खसरा नंबर 154/2 (रकबा 14.82 एकड़) भूमि दर्ज थी। वर्ष 1959 के राजस्व अभिलेखों के अनुसार, यह भूमि उनके स्वामित्व में थी। वसीयत के अनुसार, खसरा नंबर 154/1 की 35 एकड़ भूमि उनके पोतों, अजय राजन सक्सेना, विजय राजन सक्सेना, अभय राजन सक्सेना, उदय राजन सक्सेना और संजय राजन सक्सेना के नाम दर्ज की गई थी। वर्ष 1984 में वैध प्रक्रिया के तहत इस भूमि का नामांतरण कर सह-खातेदारों के नाम दर्ज किया गया। इसके बाद वर्ष 1996 में, तहसीलदार हुजूर ने आदेश संख्या 02/31-27/95-96 के माध्यम से भूमि का बंटवारा कर प्रत्येक वारिस को 7 एकड़ का हिस्सा प्रदान किया। श्री सक्सेना ने मीडिया को इन सभी सरकारी दस्तावेजों की प्रति दिखाई।
जयराम एजुकेशन सोसायटी पर नक्शे में हेरफेर का आरोप
श्री सक्सेना ने बताया कि जयराम एजुकेशन सोसायटी के उपाध्यक्ष कैलाश चंद्र जैन और संचालक विजय हरिरमानी द्वारा राजस्व कर्मचारियों के साथ मिलकर बीते वर्ष 1959 में दर्ज नक्शों में हेरफेर की गई। खसरा नंबर 154/1 और 154/2 की स्पष्ट सीमाएं पहले से निर्धारित थीं। इसके बाद भी सोसायटी ने राजस्व नक्शों में बदलाव कर खसरा नंबर 154/1/5/2 को खसरा नंबर 154/1/5/3 के रूप में दर्ज कर दिया। इसके अलावा राजस्व विभाग ने प्रतीक राजन सक्सेना की भूमि को जयराम एजुकेशन सोसायटी के नाम पर दर्ज कर दिया। जबकि सरकारी नक्शों में भूमि की सभी बटांने गायब हैं।
रजिस्ट्रियां में हेराफेरी और स्टांप ड्यूटी में की भारी गड़बड़ी :
अभय राजन सक्सेना ने आरोप लगाया कि कैलाश चंद्र जैन ने 7 जून 2007 को एक ही भूखंड की दो अलग-अलग रजिस्ट्रियां करवाईं। स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए उठाया गया यह कदम पूर्ण तरीके से नियमों का उल्लंघन है। इससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। श्री सक्सेना ने आवेदक ने 24 नवम्बर 2024 को कलेक्टर ऑफ स्टांप को शिकायत दर्ज कराई पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
भूअर्जन के बाद भी बची उतनी ही जमीन
साल 2007-08 में भोपाल बायपास निर्माण के दौरान खसरा नंबर 154/1 और 154/2 की भूमि का एक हिस्सा सरकार द्वारा अधिगृहित किया गया। भूअर्जन के बाद जयराम एजुकेशन सोसायटी ने इस भूमि के मुआवजे के रूप में 3,15,988 रुपए प्राप्त किए। बड़ी बात यह है कि मुआवजे के बाद, सोसायटी के पास केवल 10.50 एकड़ भूमि शेष रहनी चाहिए थी। इसके बावजूद, राजस्व विभाग के नक्शों में सोसायटी की 11.90 एकड़ भूमि दर्ज है।
कॉलेज संचालकों और राजस्व अफसरों पर हो दंडात्मक कार्रवाई
अभय राजन सक्सेना ने कलेक्टर भोपाल से मांग की है कि जयराम एजुकेशन सोसायटी के उपाध्यक्ष कैलाश चंद्र जैन, संचालक विजय हरिरमानी और संबंधित राजस्व अधिकारियों के खिलाफ सरकारी दस्तावेजों में कूटरचना, हेरफेर और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कराते हुए दंडात्मक कार्रवाई की जाए। श्री सक्सेना ने कलेक्टर भोपाल को शिकायत के साथ नक्शे, पंजीकरण दस्तावेज, और राजस्व रिकॉर्ड की प्रतियां प्रस्तुत की हैं।
7 आरटीआई लगाईं, नहीं मिला कोई जवाब
मामले की पड़ताल के लिए अभय राजन सक्सेना ने 21 अक्टूबर 2024 को 7 अलग-अलग आरटीआई लगाईं। एक महीने तक संबंधित विभाग से जवाब नहीं मिलने पर, 16 नवम्बर 2024 को भोपाल कलेक्टर से अपील की। इसके अलावा 26 दिसंबर 2024 को कलेक्टर से खुद मुलाकात की तब कलेक्टर द्वारा कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक न्याय नहीं मिला।
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