किन्नर अखाड़े में बड़ा विवाद: अजय दास ने लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को बताया भटका हुआ, अखाड़ा परिषद ने किया पलटवार
प्रयागराज। किन्नर अखाड़े में नेतृत्व को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। किन्नर अखाड़ा के संस्थापक ऋषि अजय दास ने दावा किया है कि उन्होंने महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी और अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को पद से हटा दिया है। उनका कहना है कि ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, जबकि उन पर देशद्रोह के आरोप हैं।
ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने का मामला और तूल पकड़ सकता है।
किन्नर अखाड़े के आंतरिक विवाद से इसकी विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है।
अब देखना यह होगा कि अखाड़ा परिषद इस विवाद पर क्या कदम उठाता है और किन्नर अखाड़े का भविष्य किस दिशा में जाता है।
अजय दास का बड़ा बयान: "यह कोई बिग बॉस का शो नहीं"
अजय दास ने कहा, "यह कोई बिग बॉस का शो नहीं है, जिसे कुंभ के दौरान एक महीने के लिए चला दिया जाए। मैंने लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को किन्नर समाज के उत्थान और धर्म प्रचार-प्रसार के लिए महामंडलेश्वर बनाया था, लेकिन वह भटक गईं। इसलिए मुझे यह कदम उठाना पड़ा।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि त्रिपाठी ने बिना अनुमति के 2019 के प्रयागराज कुंभ में जूना अखाड़ा के साथ एक अनुबंध किया, जिसे उन्होंने अनैतिक और धोखाधड़ी करार दिया।लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी की प्रतिक्रिया: "अजय दास हैं कौन?"
लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने अजय दास के दावे को खारिज कर दिया और कहा, "वे कौन होते हैं मुझे अखाड़े से निकालने वाले? 2016 में ही अजय दास को किन्नर अखाड़े से निकाल दिया गया था। वे निजी स्वार्थ के कारण यह बयान दे रहे हैं।"अखाड़ा परिषद का समर्थन, अध्यक्ष रवींद्र पुरी बोले- "हम लक्ष्मीनारायण के साथ"
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने अजय दास के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, "किन्नर अखाड़ा की आचार्य महामंडलेश्वर को निकालने की बात पूरी तरह गलत है। अजय दास कौन हैं? उन्हें कोई नहीं जानता। अब अचानक कहां से आ गए? अखाड़ा परिषद इस पर सख्त एक्शन लेगा और किन्नर अखाड़े के साथ खड़ा रहेगा।"ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर विवाद
24 जनवरी को ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर की पदवी दी गई थी। संगम में स्नान और पिंडदान के बाद उनका भव्य पट्टाभिषेक हुआ था, जिसमें उन्हें "श्रीयामाई ममता नंद गिरि" नाम दिया गया था। अजय दास ने इसे भी गलत करार दिया और कहा कि इस फैसले से सनातन परंपराओं का उल्लंघन हुआ है।किन्नर अखाड़े की परंपराओं पर सवाल
अजय दास ने यह भी कहा कि संन्यास की सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, "किन्नर अखाड़े के गठन के समय वैजयंती माला गले में पहनाई गई थी, जो श्रृंगार का प्रतीक है। लेकिन इन्होंने उसे त्यागकर रुद्राक्ष की माला पहन ली, जो संन्यास का प्रतीक है। बिना मुंडन संस्कार के संन्यास मान्य नहीं होता, यह समाज और सनातन धर्म के साथ छलावा है।"अब क्या होगा?
अखाड़ा परिषद लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी के समर्थन में खड़ी है, जिससे अजय दास के दावे कमजोर पड़ सकते हैं।ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने का मामला और तूल पकड़ सकता है।
किन्नर अखाड़े के आंतरिक विवाद से इसकी विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है।
अब देखना यह होगा कि अखाड़ा परिषद इस विवाद पर क्या कदम उठाता है और किन्नर अखाड़े का भविष्य किस दिशा में जाता है।
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