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योग में महिलाओं के योगदान का भव्य उत्सव है योगिनी पुरस्कार: डॉ लता



5वां अंतर्राष्ट्रीय योगिनी सम्मेलन काशी में सफलता पूर्वक संपन्न

भोपाल। पवित्र नगरी काशी में योग और नारी शक्ति का अद्वितीय संगम देखने को मिला, जब 5वां अंतर्राष्ट्रीय योगिनी पुरस्कार एवं सम्मेलन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। इस प्रतिष्ठित आयोजन का आयोजन इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर टीचर एजुकेशन में किया गया, जिसमें योग के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान देने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया। इस भव्य समारोह में भारत और विदेशों से योग विशेषज्ञों, विद्वानों और गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में आईयूसीटीई के निदेशक डॉ. प्रेम नारायण सिंह, महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहदास, सिंगापुर से प्रसिद्ध योगाचार्य डॉ. मनोज ठाकुर व्यासा और प्रख्यात विद्वान डॉ. पंडित राधे श्याम मिश्र जैसे सम्माननीय अतिथियों ने शिरकत की। इसके साथ ही, भले ही प्रयागराज कुंभ मेले में भारी भीड़ थी, फिर भी इस आयोजन में बड़ी संख्या में दर्शक और प्रतिभागी शामिल हुए, जिससे इसकी लोकप्रियता और महत्व स्पष्ट हुआ।

33 विशिष्ट योगिनियों को सम्मान 

आयोजन के संबंध में जानकारी देते हुए भारतीय योगिनी महासंघ की संस्थापक डॉ आरएच लता ने बताया कि योग और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान देने के लिए भारत और विदेशों से कुल 33 योगिनियों को इस बार सम्मानित किया गया। इन पुरस्कार विजेताओं में लॉस एंजिल्स, सिंगापुर, जापान, टेक्सास और नेपाल से आए अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि शामिल थे। इसके अलावा, सिक्किम, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और बिहार जैसे विभिन्न राज्यों से भी अनेक योगिनी साधिकाओं ने भाग लिया और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

ज्ञानवर्धक पैनल चर्चा और 17 शोध पत्र की प्रस्तुति 

इस सम्मेलन का एक विशेष आकर्षण इंटरैक्टिव पैनल चर्चा थी, जिसमें 17 विद्वानों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इन शोध पत्रों में योग और संपूर्ण कल्याण के विभिन्न आयामों पर गहन विचार विमर्श किया गया। जापान की योगिनी सयाका मोरी ने जब अपनी योग से जुड़ी परिवर्तनकारी यात्रा साझा की, तो पूरा सभागार भावुक हो गया और उनके अनुभवों ने श्रोताओं पर गहरी छाप छोड़ी।


योगिनी सम्मेलन महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत 

डॉ आरएच लता ने इस अवसर पर कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योगिनी पुरस्कार एवं सम्मेलन सिर्फ एक आयोजन नहीं बल्कि योग में महिलाओं की उपलब्धियों का उत्सव है। यह मंच न केवल उन्हें सम्मानित करता है, बल्कि योग और समग्र कल्याण के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विचारों और संस्कृतियों के आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देता है। इस तरह के आयोजनों से न केवल योग की महत्ता बढ़ती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि महिलाएं इस क्षेत्र में आगे बढ़ें और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाएं।
डॉ लता ने कहा कि इस सफल आयोजन के बाद, सभी की नजरें अगले अंतर्राष्ट्रीय योगिनी पुरस्कार एवं सम्मेलन पर टिकी हैं, जहां योग और महिलाओं के योगदान को और भी व्यापक स्तर पर पहचान मिलेगी। डॉ लता ने कहा कि काशी में संपन्न हुआ 5वां अंतर्राष्ट्रीय योगिनी पुरस्कार एवं सम्मेलन योग, नारीशक्ति और संस्कृति का अद्भुत संगम साबित हुआ। इस आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि यह आत्मा, मन और शरीर का समग्र विकास है। इस तरह के कार्यक्रम न केवल योग को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करते हैं। इस ऐतिहासिक सम्मेलन ने न केवल योग साधना को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि महिलाओं की शक्ति, समर्पण और योगदान को भी वैश्विक मंच पर स्थापित किया।

पुस्तक विमोचन के साथ भव्य समापन 

इस कार्यक्रम को शैक्षणिक और साहित्यिक दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण बनाते हुए, योग और मानसिक स्वास्थ्य पर आधारित पुस्तक "तनाव प्रबंधन" का विमोचन किया गया, जिसे प्रख्यात लेखक डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने लिखा है। इसके साथ ही एक विशेष स्मारिका भी जारी की गई, जिसमें योग और कल्याण से जुड़े महत्वपूर्ण लेख और विचार संकलित किए गए हैं। कॉन्फ्रेंस का संचालन डॉ शैलेन्द्र शर्मा और डॉ ममता तिवारी ने किया। सम्मेलन का समापन डॉ. अनुराग पांडे के हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजकों का आभार व्यक्त किया।

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