प्रदेश में एक लाख से अधिक कुओं को किया जा रहा रिचार्ज
जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत भू-जल स्तर में सुधार की बड़ी पहल
भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार पर्यावरण संरक्षण और जल प्रबंधन को प्राथमिकता देते हुए “जल गंगा संवर्धन अभियान” को राज्य में एक जन आंदोलन का रूप दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "ज्ञान अभियान" और "कैच द रेन" जैसे अभियानों से प्रेरित होकर मध्यप्रदेश ने ग्रामीण अंचलों में जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में एक ठोस पहल की है।
प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रह्लाद पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि अभियान के अंतर्गत राज्य सरकार ने 1 लाख से अधिक कुओं को वर्षाजल से रिचार्ज करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह कार्य महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है।
कूप रिचार्ज पिट: पारंपरिक स्रोतों का पुनर्जीवन
प्रदेशभर में कुओं के पास कूप रिचार्ज पिट (डगवेल रिचार्ज विधि) का निर्माण किया जा रहा है। अब तक 75,000 से अधिक कुओं पर कार्य प्रारंभ हो चुका है और कई जिलों में यह लक्ष्य तेजी से पूरा किया जा रहा है। विशेष रूप से खंडवा जिले ने अपने निर्धारित लक्ष्य से अधिक पिट बनाकर अनुकरणीय कार्य किया है। रिचार्ज पिट की संरचना इस प्रकार बनाई जा रही है कि वर्षा जल सीधे भूगर्भ में जाकर जल स्तर को बढ़ा सके। इसके तहत 3 मीटर लंबा, 3 मीटर चौड़ा और 8 मीटर गहरा गड्ढा खोदा जाता है। इस गड्ढे में पत्थर और मोटी रेत की परतें डाली जाती हैं। फिर इसमें 8 इंच का पाइप लगाकर इसे कुएं से जोड़ा जाता है। पाइप के छोर पर एल्बो लगाकर एक फुट लंबा पाइप नीचे की ओर लगाया जाता है जिससे वर्षा जल पाइपलाइन के माध्यम से सीधे कुएं तक पहुंच सके।
भविष्य की चिंता और वर्तमान में समाधान
मंत्री श्री पटेल ने बताया कि यह पहल न केवल गर्मी के मौसम में जल संकट से राहत दिलाने वाली है, बल्कि भू-जल स्तर बढ़ाकर सिंचाई और पीने के पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी सहायक होगी। किसानों ने भी इस प्रयास में उत्साहपूर्वक भाग लिया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि गांवों में जल संरक्षण को लेकर एक नई चेतना जागृत हुई है।
तीन माह प्रकृति से जुड़ने का प्रयास
यह अभियान 30 मार्च से 30 जून तक चलेगा। इस अवधि में न केवल कूप रिचार्ज पिट का निर्माण किया जा रहा है, बल्कि पुराने जल स्रोतों का जीर्णोद्धार, खेत-तालाब, अमृत सरोवर, चेक डैम, और अन्य जल संरचनाओं के निर्माण/पुनर्निर्माण का भी कार्य किया जा रहा है।
समाज और सरकार की साझी जिम्मेदारी
यह अभियान सरकार और समाज के सहयोग से जल संरक्षण को धरातल पर उतारने का एक सकारात्मक और स्थायी प्रयास है। आने वाले वर्षों में यदि मानसून सामान्य रहा, तो यह रिचार्ज पिट संरचनाएँ लाखों ग्रामीण परिवारों को जल संकट से उबार सकती हैं और कृषि उत्पादन को भी स्थिरता प्रदान कर सकती हैं। प्रदेश सरकार का यह मिशन भविष्य की जल आवश्यकताओं के लिए एक स्थायी समाधान की दिशा में अग्रसर कदम है, जो “जल है तो कल है” की भावना को साकार कर रहा है।
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